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चिकित्सकों का दावा- दुनिया का जटिलतम और यूनिक केस सफल, रंजीत को मिली नई जिंदगी

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Published : Sep 21, 2021, 9:03 AM IST

कोरोना से ठीक होने की खुशी मना भी नहीं पाए थे कि ब्लैक फंगस ने रंजीत को दोबारा मौत के मुहाने लाकर खड़ा कर दिया था, लेकिन सर गंगा राम हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने इंफेक्शन से खराब हो चुके रंजित के फेफड़े और किडनी को निकालकर जान बचा ली. सर गंगा राम हॉस्पिटल पूरी दुनिया में इस तरह का पहला मामला होने का दावा कर रहा है.

सर गंगा राम हॉस्पिटल पूरी दुनिया में इस तरह का पहला मामला होने का दावा कर रहा है
सर गंगा राम हॉस्पिटल पूरी दुनिया में इस तरह का पहला मामला होने का दावा कर रहा है

नई दिल्ली:कोरोना की दूसरी लहर थम चुकी है, लेकिन इसने जो तबाही मचाई है, उसके निशान अभी भी बाकी हैं. कितने परिवारों ने अपनों को खोया और कितने महंगे इलाज के चक्कर में फंसकर कंगाली के कगार पर पहुंच गए. एक मरीज ऐसा भी है जो कोरोना से तो ऊबर गया, लेकिन उसके बाद की जटिलताओं में एक म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस इंफेक्शन ने इस तरह जकड़ा कि वह महीनों तक जिंदगी और मौत से जूझता रहा. सर गंगा राम हॉस्पिटल में इस व्यक्ति को एक नया जीवन मिला है. लगभग 45 दिनों तक हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत से जूझने के बाद आज वह अपने पैरों पर चलकर अपने घर लौट आया है.

34 वर्षीय रंजीत कुमार सिंह गाजियाबाद के रहने वाले हैं. अप्रैल महीने में वह कोरोना की गिरफ्त में आए थे, जिसका इलाज उन्होंने कराया. वह ठीक भी हो गए थे. इलाज पर लगभग 15 लाख रुपए का खर्च आया, लेकिन कुछ दिनों के बाद ही पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशन के चलते ब्लैक फंगस ने उन्हें बुरी तरह जकड़ लिया. सांस लेने में तकलीफ होने लगी. तेज बुखार से परेशान हो गए तो उन्हें आपात स्थिति में सर गंगा राम हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. यहां जब उनकी जांच हुई तो रिपोर्ट देख डॉक्टर भी दंग रह गए. वह खतरनाक ब्लैक फंगल इंफेक्शन की चपेट में आ चुके थे.

सर गंगा राम हॉस्पिटल पूरी दुनिया में इस तरह का पहला मामला होने का दावा कर रहा है

ब्लैक फंगल इन्फेक्शन खतरनाक रूप से रंजीत के नाक, फेफड़ा और किडनी को नुकसान पहुंचा चुका था. सर गंगा राम हॉस्पिटल में चेस्ट मेडिसिन विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. उज्जवल प्रकाश ने तत्काल उनका इमरजेंसी ऑपरेशन करने का निर्णय लिया, जिसमें थोरेसिक सर्जन डॉक्टर सब्यसाची बल ने रंजीत के खराब हो चुके बाएं फेफड़े के आधे हिस्से को काटकर हटाया. वहीं, सीनियर यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर मनु गुप्ता ने गंभीर रूप से संक्रमित उनकी दायीं किडनी को निकाला. ईएनटी डिपार्टमेंट के कंसलटेंट डॉ. वरुण राय ने साइनस की सर्जरी कर उनके नाक में जमा खतरनाक ब्लैक फंगस को हटाकर साफ किया. इस तरह 3 विशेषज्ञों की टीम ने इमरजेंसी सर्जरी कर मौत के करीब पहुंच चुके रंजीत की जान बचाने में सफलता पाई. यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मनु गुप्ता ने बताया कि रंजीत का केस अपनी तरह का पूरी दुनिया में अकेला और यूनिक है. किसी मरीज की किडनी, फेफड़ा और नेजल साइनस बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिसमें फेफड़े के एक हिस्से को एवं एक किडनी को पूरी तरह निकालना पड़ा हो. अच्छी बात यह है कि मरीज इतना कुछ होने के बावजूद बेहतर इलाज मिलने की वजह से मौत के मुंह से वापस लौट आया है. वे इस केस को साइंस जर्नल में पब्लिश के लिये भेजेंगे.

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मरीज रंजीत के भाई सुनील सिंह ने बताया कि किस तरह कोरोना ने उनके परिवार को आर्थिक रूप से बदहाली की स्थिति में ला दिया. जब जून महीने में रंजीत कोरोना संक्रमित हुए, तब उनके इलाज पर लगभग 15 लाख रुपए खर्च हुए. कोरोना को हराने की जितनी खुशी थी, वह खुशी ब्लैक फंगस इंफेक्शन ने फिर मातम में बदल दी. ब्लैक फंगस इंफेक्शन ने रंजीत को इस तरह से जकड़ लिया कि वह बिल्कुल मौत के करीब पहुंच गये. फेफड़ा का हिस्सा, दायीं किडनी और नाक के कुछ हिस्से को हटाना पड़ा. तब जाकर रंजीत की जान बचाई जा सके. इस पूरी प्रक्रिया में हॉस्पिटल में लगभग डेढ़ महीने रुकना पड़ा, जिसका इलाज का खर्च करीब 45 लाख रुपये पड़ा. रंजीत अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है. सप्ताह में एक दवाई की खुराक लेनी पड़ती है, जिसका खर्च 45 हजार रुपये है.

रंजीत के भाई सुनील ने बताया कि पैसे आते-जाते रहेंगे. उन्हें इस बात की खुशी है कि उनका भाई उनके सामने है. उम्मीद है जल्दी ही वह पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएंगे. उन्होंने बताया कि एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार के लिए इलाज के लिए 60-70 लाख रुपए जुटाना कितना मुश्किल काम है, लेकिन उन्होंने अपने कुछ रिश्तेदारों की मदद से इतनी बड़ी रकम जुटा लिया और अपने भाई को मौत के मुंह से बचा लिया.

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