नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े व्यापारी संगठनों में से एक कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने मंगलवार को देश के माननीय प्रधानमंत्री को ई-कॉमर्स (E-Commerce) कंपनियों द्वारा लगातार किए जा रहे नियमों के उल्लंघन के बारे में पत्र लिखा है. साथ ही जानकारी दी कि देशव्यापी स्तर पर ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ हस्ताक्षर कैंपेन (Signature Campaign) की भी शुरुआत कर दी गई है. CAIT द्वारा 14 जून से शुरू किये गए ई कॉमर्स शुद्धिकरण सप्ताह के दौरान कैट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन भेजकर, कई विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा एफडीआई (FDI) नीति तथा विभिन्न नियमों और कानूनों के निरंतर उल्लंघन को लेकर, इन कंपनियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने का आग्रह किया है.
विदेशी कंपनियां देश के छोटे व्यापारियों को उनकी आजीविका से कर रही विस्थापित
कैट ने अपने पत्र में इस बात पर जोर दिया कि ये विदेशी कंपनियां (Foreign Companies) भारत के खुदरा व्यापार को अत्यधिक नुकसान पहुंचाते हुए देश के छोटे व्यापारियों को उनकी आजीविका से विस्थापित कर रही हैं. देश के ई-कॉमर्स एवं रिटेल कारोबार को नियंत्रित कर उस पर अपना एकाधिकार स्थापित करने का निरन्तर प्रयास कर रही है.
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि प्रधान मंत्री को लिखे पत्र में कैट ने इस बात को प्रमुखता से उठाया है. की ये विदेशी धन से पूरित ई-कॉमर्स कंपनियां प्रमुख रूप से अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट अनैतिक व्यापार प्रथाओं में शामिल हैं और भारत को कमजोर कानूनों और नियमों वाला देश समझती हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि उनका उद्देश्य ईस्ट इंडिया कंपनी का दूसरा संस्करण बनना है,जिनका मुख्य उद्देश्य देश के 8 करोड़ से अधिक छोटे व्यवसायीयों द्वारा की जा रही आर्थिक गतिविधियों पर खुद का नियंत्रण करना है. ये व्यापारी देश में लगभग 40 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं.
प्रवीन खंडेलवाल ने यह भी कहा की एफडीआई (FDI) नीति के प्रेस नोट 2 की शर्तो के अनुसार, इन विदेशी संस्थाओं को ई-कॉमर्स के इन्वेंट्री-आधारित मॉडल में शामिल होने से प्रतिबंधित किया गया था.लेकिन इन स्पष्ट प्रावधान का पुरजोर और खुलेआम उल्लंघन करते हुए, अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट और अन्य विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां इन्वेंट्री-आधारित खुदरा कारोबार कर रही हैं, जिस पर अब कार्रवाई करना बेहद जरूरी हो गया है.ये भी पढ़ें:
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इस पूरे मुद्दे पर कैट ने प्रधानमंत्री मोदी के तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए आग्रह किया कि एफडीआई (FDI) नीति के प्रेस नोट नंबर 2 के स्थान पर एक नया प्रेस नोट तुरंत जारी किया जाए.वहीं भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय की निगरानी और विनियमन के लिए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India) जैसा नियामक तंत्र गठित किया जाना चाहिए, जो नीति, नियमों या कानून के किसी भी उल्लंघन के मामले में सख्त कार्रवाई करने के लिए अधिकृत हो. कैट ने ये भी आग्रह किया कि यह समझने के लिए एक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए कि ई-कॉमर्स में विदेशी संस्थाओं के अनैतिक व्यवसाय प्रथाओं के कारण देश में कितने छोटे व्यवसाय बंद हो गए हैं या बंद होने के कगार पर हैं.