रायपुर: छत्तीसगढ़ में चुनाव के दौरान परिणाम को लेकर कयासों का दौर चला. अब जब परिणाम आ गए हैं तो छत्तीसगढ़ का सीएम कौन होगा. इसको लेकर कयासबाजी जारी है. कतार में कई कद्दावर नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन सिर्फ एक नाम पर ही मुहर लगेगी. हम आपको बताने जा रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में सीएम की रेस में कौन सा फेस आगे है. इसके साथ ही हम यह भी बताने जा रहे हैं कि मंत्रियों की रेस में कौन से नाम सबसे आगे बने हुए हैं.
बीजेपी की सत्ता में दोबारा वापसी:साल 2018 में 15 साल शासन करने के बाद बीजेपी सत्ता से बेदखल हो गई. बीजेपी को बड़ी हार मिली थी. अब पांच साल बात बीजेपी सत्ता में आ गई है. जैसे 5 साल पहले बड़ी हार मिली. वैसे ही साल 2023 में बड़ी जीत मिली है. बीजेपी ने 90 में से 54 विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया. कांग्रेस महज 35 सीट पर सिमट गई. एक सीट अन्य के खाते में गए.
सत्ता का सरताज कौन बनेगा: छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत के बाद सबसे बड़ा सवाल इस वक्त जो सियासी गलियारों में गोते लगा रहा है, वो ये कि, बीजेपी छत्तीसगढ़ में सत्ता की बागडोर किसे सौंपेगी. यानी छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री कौन बनेगा? इस बार के चुनाव में छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने किसी को सीएम कैंडिडेट के तौर पर नहीं उतारा था. पीएम मोदी का चेहरा पार्टी ने आगे किया और उसी चेहरे के दम पर चुनाव लड़ा गया.
सीएम पद की रेस में रमन सिंह टॉप पर: डॉक्टर रमन सिंह इस बार राजनांदगांव से विधायक चुने गए हैं. वे साल 2003 से 2015 यानी 15 साल तक छत्तीसगढ़ के सीएम रहे. सरकार चलाने का उनका ये अनुभव सभी रेसर पर भारी है. इसके अलावा उन्हें केंद्र में मंत्री पद संभालने का भी अनुभव है. संगठन में भी उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है. सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट ये है कि, उनकी छवि पर कोई दाग नहीं है.
लिस्ट में अरुण साव का नाम भी बन रहा पहली पसंद: छत्तीसगढ़ बीजेपी के अध्यक्ष अरुण साव का नाम भी सीएम रेस की सूची में शामिल है. इनका नाम इसलिए भी रेस में आगे है क्योंकि, साल 2003 के चुनाव में बीजेपी, इस बार की तरह ही बिना की सीएम फेस के मैदान में उतरी थी. 2003 में डॉक्टर रमन सिंह छत्तीसगढ़ बीजेपी के अध्यक्ष थे. चुनाव में मिली जीत के बाद सीएम पद की जिम्मेदारी उन्हीं को सौंप दी गई. अतीत को देखते हुए ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि, इस बार भी वहीं फॉर्मूला दोहराया जा सकता है. हालांकि, सरकार चलाने का अनुभव अरुण साव के पास नहीं है. सगंठन के खिलाड़ी होने का परिचय तो उन्होंने दे ही दिया है. अरुण साव ओबीसी हैं. साहू समाज से उनका ताल्लुक है.