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Fighter Aircraft Sukhoi 30MKI : राफेल के टक्कर का टॉप लड़ाकू विमान सुखोई 30 MKI, दुश्मनों में खौफ का दूसरा नाम

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Published : Jan 28, 2023, 1:55 PM IST

भारत और रूस के बीच साल 2000 में समझौता हुआ था. भारत को पहला सुखोई-30 विमान 2002 में मिला था. रूस के सहयोग से भारत ने 2015 में स्वेदश निर्मित सुखोई-30 एमकेआई को भारतीय वायुसेना में शामिल करके अपनी ताकत कई गुना बढ़ा ली. वर्तमान में भारत के पास 200 से ज्यादा सुखोई-30 MKI विमान हैं.

Sukhoi 30MKI
सुखोई 30 एमकेआई

नई दिल्ली: रूस में निर्मित Sukhoi 30MKI लड़ाकू विमान इस वक्त भारतीय वायुसेना में सबसे घातक विमान है. ये उड़ान के दौरान ही फ्यूल भर सकता है. इस फाइटर प्लेन में 12 टन तक युद्धक सामग्री लोड की जा सकती है. साथ ही इस विमान में डबल इंजन लगे हुए हैं जो इमरजेंसी की स्थिति में पायलट को मदद करते हैं. सुखोई 30 एमकेआई एक बार में 3,000 किमी की उड़ान भर सकता है. रूस के सहयोग से भारत द्वारा निर्मित सुखोई-30 एमकेआई को दुनिया के सबसे ताकतवर लड़ाकू विमानों में एक माना जाता है. भारत को पहला सुखोई-30 विमान 2002 में मिला था.

सुखोई Su-30MKI भारतीय वायु सेना सबसे टॉप फाइटर जेट माना जाता है. सुखोई लड़ाकू विमान दुश्मनों में खौफ का दूसरा नाम रहा है. हाल ही में भारतीय वायुसेना ने इसको अपग्रेड किया है. अपग्रेड के बाद सुखोई (SU-30MKI) विमानों को भी नई मिसाइल से लैस किया गया. जिससे इनकी मारक क्षमता और बढ़ गई.

Su-30MKI में MKI का मतलब क्या है? :दरअसल सुखोई-30 रूसी विमान का नाम है जिसके भारतीय संस्करण का नाम है सुखोई-30MKI है. एमकेआई (MKI) का मतलब रूसी भाषा में (Modernizirovannyi Kommercheskiy Indiski - Modernised Commercial Indian) है. Su-30MKI का निर्माण भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) करती है. असल में इसे रूस के सुखोई कॉर्पोरेशन ने 1995 में बनाना शुरू किया था, जिसे 1997 में HAL ने लाइसेंस लेकर भारतीय वायुसेना के हिसाब से बदलना शुरू कर दिया था. असल में सुखोई-30MKI फाइटर जेट सुखोई Su-27 का अपग्रेडेड वर्जन है.

इस लड़ाकू विमान की ताकत: इसकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनियाभर के 10 खतरनाक लड़ाकू विमानों में इसकी गिनती की जाती है. इस विमान को रूस और भारत ने मिलकर बनाया है. भारत ने अब तक 272 Su-30MKI विमान अपनी वायुसेना के लिए प्राप्त किए हैं. इसे 4.5 जनरेशन का लड़ाकू विमान माना जाता है. इसकी लंबाई 72 फीट है. विंगस्पैन 48.3 फीट है. ऊंचाई 20.10 फीट है और वजन 18,400 किलोग्राम है.

दो हजार किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक की रफ्तार : सुखोई-30MKI में लीयुल्का एल-31एफपी आफ्टरबर्निंग टर्बोफैन इंजन लगे हैं, जो उसे 123 किलोन्यूटन की ताकत देता है. इस विमान की अधिकतम गति 2120 किलोमीटर प्रतिघंटा है, जबकि ज्यादा ऊंचाई पर रेंज 3000 किलोमीटर है. वहीं अगर बीच रास्ते में ईंधन भर दिया जाए तो सुखोई-30MKI 8000 किलोमीटर की रेंज तक जा सकता है. साथ ही यह विमान अधिकतम 56,800 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है.

सुखोई-30MKI में 30mm की एक ग्रिजेव-शिपुनोव ऑटोकैनन लगी है, जो सिर्फ 1 मिनट में 150 राउंड फायर करती है. इसमें 12 हार्ड प्वाइंट्स हैं जिनमें हथियार लगा सकते हैं. इसमें 4 तरह के रॉकेट्स, 4 तरह की मिसाइल और 10 तरह के बम लगाए जा सकते हैं या फिर इन सबका मिश्रण लगाया जा सकता है.

भारत को कैसे मिले ये विमान : 1996 में जब केंद्र में पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार थी. तभी 1996 में आम चुनाव से पहले नरसिम्हा राव सरकार ने अंतिम दिनों में रूस के साथ सुखोई विमान समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. तब अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में भाजपा इस डील का विरोध कर रही थी. क्योंकि भाजपा का कहना था कि नरसिम्हा राव की सरकार अपने अंतिम दिनों में जल्दबाजी में ये डील क्यों कर रही है. लेकिन बाद में भाजपा इस सुखोई विमान की डील के विरोध से पीछे हट गई. फिर बाद में अटल बिहारी वाजपेयी से राय मशविरा कर तत्कालीन रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव ने डील को मंजूर दी और भारत में सुखोई-30 लड़ाकू विमान आया.

इस विमान में है ऑटोमेटिक फ्लाइट कंट्रोल सिस्‍टम :लंबाई से लेकर रेंज और मिसाइल ले जाने की क्षमता तक के मामले में सुखोई-30 एमकेआई को अमेरिका F-16 से बेहतर माना जाता है. इसमें सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम लगा है, जो इसे किसी भी मौसम में दिन और रात दोनों वक्त काम करने के काबिल बनाता है. साथ ही इसमें लॉन्ग रेंज रेडियो नेविगेशन सिस्टम है. इसमें ऑटोमेटिक फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम है. ऑटोमेटिक सिस्टम से नेविगेशन सिस्टम को जानकारी मिलते ही यह खुद ही फ्लाइट के रूट से जुड़ी समस्‍याओं को ही सुलझा लेता है. इसमें टारगेट को नेस्तनाबूद करने के साथ ही वापस अपने एयरफील्ड तक लैंडिंग करना शामिल है.

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