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राजस्थान : जनसंघ से गढ़ रहे हाड़ौती को क्या बीजेपी इस बार मान रही कमजोर ? परिवर्तन यात्रा में पहुंचे तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 21, 2023, 10:17 PM IST

Updated : Sep 22, 2023, 6:22 AM IST

राजस्थान में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भाजपा जमीनी स्तर पर रणनीति बनाते हुए आगे बढ़ रही है. लेकिन हाड़ौती में विशेष फोकस के कारण सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. हाड़ौती में इस बार पार्टी ने तीन राज्यों गुजरात, उत्तराखंड और असम के मुख्यमंत्रियों को उतारते हुए कमान सौंपी.

Assam Gujarat Uttarakhand CM Campaign
परिवर्तन यात्रा में भेजे तीन राज्यों के मुख्यमंत्री

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कोटा. राजस्थान में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है. इस चुनावी मैदान में परचम फहराने के लिए भाजपा इस बार हाड़ौती में बदली हुई रणनीति के तहत आगे बढ़ रही है. हाड़ौती संभाग शुरुआत से जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रहा है. सत्ता में चाहे कांग्रेस रही हो, लेकिन भाजपा का प्रतिनिधित्व हाड़ौती में ज्यादा ही रहा है. इसके बाद भी इस बार पार्टी ने हाड़ौती क्षेत्र पर ज्यादा फोकस किया है. यहां पर तीन प्रदेशों के सीएम को परिवर्तन यात्रा की जिम्मेदारी सौंप गई है. ऐसा केवल राजस्थान में हाड़ौती में ही किया गया, जबकि अन्य जगहों पर एक सीएम या अन्य केंद्रीय नेताओं को ही जिम्मेदारी दी गई.

पार्टी की इस बदली रणनीति के कारण चर्चा शुरू हो गई है कि क्या भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व हाड़ौती को कमजोर मान रहा है. ये चर्चा इसलिए भी है क्योंकि हाड़ौती से ही प्रतिनिधित्व कर दो बार मुख्यमंत्री रही वसुंधरा राजे सिंधिया परिवर्तन संकल्प यात्रा से दूरी बनाए रही हैं.

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3 मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री ने संभाली कमानःहाड़ौती में बूंदी जिले से परिवर्तन संकल्प यात्रा ने 16 सितंबर को प्रवेश किया था. केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी यात्रा लेकर आए थे और कोटा जिले के ग्रामीण इलाके से बारां जिले में प्रवेश कर गए थे. यहां 17 सितंबर को यात्रा में शामिल होने के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल आए, वे तीन दिन बारां में ही यात्रा की कमान संभालते रहे. इसके बाद झालावाड़ जिले में यात्रा की कमान संभालने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बुलाया गया. उन्होंने 20 सितंबर को यात्रा की कमान संभाली, इसके बाद 21 सितंबर को यात्रा छोड़कर वापस लौट गए. वहीं, 21 सितंबर को यात्रा को संभालने के लिए असम के फायर ब्रांड नेता और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पहुंचे थे.

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री ने बनाई दूरीःराजस्थान में परिवर्तन संकल्प यात्राओं की शुरुआत में जरूर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया अलग-अलग जगह पर पहुंची थीं, लेकिन उसके बाद यात्राओं से वसुंधरा राजे नदारद ही रहीं. यहां तक कि उनके खुद के क्षेत्र हाड़ौती में कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ चारों जिले में वसुंधरा राजे सिंधिया नजर नहीं आईं. उनकी कई जगह पर सभा होने की भी पहले घोषणा स्थानीय नेताओं ने की थी. बारां-झालावाड़ से उनके बेटे दुष्यंत सिंह चौथी बार सांसद हैं. वे बारां जिले में यात्रा के प्रवेश के बाद ही साथ रहे थे. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने गृह जिले झालावाड़ में भी मौजूद नहीं थी. इस संबंध में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि वसुंधरा राजे से उनकी फोन पर बात हुई थी और किसी कार्य में व्यस्तता के चलते इस यात्रा में शामिल नहीं हुईं. उनके नेता और समर्थक जरुर यात्रा में पहुंचे हैं, मिलकर गए हैं.

एक सभा के दौरान वसुंधरा राजे

राजस्थान में तीन यात्राएं निकाल चुकी वसुंधरा ही गायबः हाड़ौती की झालरापाटन सीट से चार बार विधायक रही वसुंधरा राजे सिंधिया दो बार सूबे की मुख्यमंत्री भी रही हैं. उन्होंने तीन बार प्रदेश में यात्राएं भी निकाली हैं. सबसे पहले 2003 में प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए परिवर्तन यात्रा वसुंधरा राजे सिंधिया ने निकाली थी, इसके बाद भाजपा सत्ता में काबिज हुईं. इसके बाद 2013 में फिर प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए सुराज संकल्प यात्रा निकाली थीं, जिसमें भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला था. इसके बाद साल 2018 में बतौर मुख्यमंत्री गौरव यात्रा निकाली थीं. हालांकि, इस चुनाव में भाजपा सत्ता से बाहर हो गईं. इसके बाद 2023 में भारतीय जनता पार्टी परिवर्तन संकल्प यात्रा निकाल रही हैं, जिनमें से वसुंधरा राजे सिंधिया की गैरमौजूदगी की चर्चा सब जगह हैं.

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भीड़ न होना व कुर्सियां खाली रहना भी चर्चा का विषयः परिवर्तन यात्रा राजस्थान में हाड़ौती में निकली जरूर रही है, लेकिन ज्यादा भीड़ उसमें नजर नहीं आई थी. हजारों की संख्या में भीड़ का दावा करने वाले नेताओं की सभा में भी लोगों की कमी देखी गई है. यही स्थिति हाड़ौती के चारों जिले कोटा, बूंदी, झालावाड़ और बारां में देखने को मिली है. वहीं, फायर ब्रांड नेता असम के मुख्यमंत्री सरमा की उम्मेद स्टेडियम में सभा के दौरान भी कुछ कुर्सियां खाली रही थीं. इसके अलावा चारों जिलों में करीब 30 से ज्यादा स्वागत कार्यक्रम हुए, उसमें भी लोगों की भीड़ कम ही नजर आई थी. यात्रा के साथ कई जगह पर लोग काफी कम नजर आए थे.

इस हाड़ौती में 2013 में कांग्रेस का हुआ था सूपड़ा साफः साल 2013 के विधानसभा चुनाव में हाड़ौती की जनता ने भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में पूरा जनादेश दिया था. यहां पर 17 सीटों में से 16 पर भाजपा के विधायक काबिज थे. कोटा, बारां और झालावाड़ जिले में एक भी कांग्रेस का विधायक नहीं जीता था. केवल भीलवाड़ा संसदीय क्षेत्र में आने वाली हिंडौली विधानसभा से अशोक चांदना चुनाव जीते थे. बीजेपी की ऐसी लहर 2013 में थी कि कांग्रेस के दो दिग्गज शांति धारीवाल और प्रमोद जैन भाया भी चुनाव हार गए थे. दूसरी तरफ, राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी 163 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं, कांग्रेस 21 सीटों पर जीत हासिल कर पाई थी, जबकि 16 सीटों पर अन्य पार्टियों व निर्दलीय जीते थे.

2003 से उलट रहा 2008 का परिणामःसाल 2003 के चुनाव में 18 विधानसभा सीटें हाड़ौती में थी, इनमें से 11 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी जीत कर आए थे. वहीं, दो सीटों पर निर्दलीय और शेष 5 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी विजयी हुए थे. राजस्थान में 120 सीटों पर बीजेपी और 57 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. वहीं, 23 सीटों पर अन्य पार्टियों व निर्दलीय जीते थे. 2003 में वसुंधरा राजे सिंधिया पहली बार मुख्यमंत्री बनी थीं. इसके बाद 2008 में प्रदेश में कांग्रेस की 96 और बीजेपी की 78 सीटें आई थी, जबकि अन्य पार्टी और निर्दलीय मिलकर 26 सीटों पर जीते थे. इसमें हाड़ौती की 17 सीट में से 6 पर बीजेपी का कब्जा था, जबकि शेष 11 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीते थे. बारां जिले में भाजपा खाता भी नहीं खोल पाई थी.

कांग्रेस के 7 एमएलए जीते, जिनमें 3 मंत्रीः 2018 का चुनाव राजस्थान में कांग्रेस के पक्ष में रहा था. प्रदेश में कांग्रेस को 100, भाजपा 73, अन्य पार्टी और निर्दलीयों का 27 सीट पर कब्जा रहा है. हाड़ौती की 17 सीटों पर भाजपा का पलड़ा भारी था, यहां पर 10 विधायक वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के हैं. वहीं, कांग्रेस के 7 विधायक हैं, जिनमें झालावाड़ जिले से कांग्रेस का कोई विधायक नहीं है. हालांकि, इस बार हाड़ौती से कांग्रेस के 7 विधायक होने के बावजूद भी तीन मंत्री हैं. जिनमें यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, खनन गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया और खेल एवं युवा मंत्री अशोक चांदना शामिल हैं.

यह रहा है सीटों का गणित :

साल बीजेपी कांग्रेस निर्दलीय कुल
2003 12 4 2 18
2008 5 13 0 17
2013 16 1 0 17
2018 10 7 0 17
Last Updated : Sep 22, 2023, 6:22 AM IST

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