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Manipur Crisis : I.N.D.I.A की 'पॉलिटिक्स', क्या राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा मणिपुर ?

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Published : Jul 30, 2023, 5:14 PM IST

मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष बराबर सरकार पर दबाव बना रहा है. विपक्षी गठबंधन, इंडिया, का एक प्रतिनिधिमंडल पूर्वोत्तर राज्य के दौरे से लौट चुका है. उसने राज्यपाल से मिलकर अपील की है कि राज्य की हकीकत केंद्र सरकार को बताएं. दूसरी ओर इंडिया के घटक दल इस मामले पर किसी भी तरीके से झुकने को तैयार नहीं हैं. पश्चिम बंगाल विधानसभा में सोमवार को मणिपुर मुद्दे पर चर्चा हो सकती है.

Opposition MPs meet Governor
विपक्षी सांसदों की राज्यपाल से मुलाकात

नई दिल्ली :विपक्ष के भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) गठबंधन के 21 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने मणिपुर का दौरा किया. इस दल ने मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की. उनसे अनुरोध किया कि पिछले 89 दिनों से मणिपुर में कानून और व्यवस्था के पूरी तरह से खराब होने के बारे में केंद्र सरकार को अवगत कराएं ताकि शांति और सामान्य स्थिति बनाने के लिए वह हस्तक्षेप कर सके.

दरअसल केंद्र को ये अधिकार है कि वह आर्टिकल 355 के तहत बाहरी आक्रमण या आंतरिक अशांति के समय राष्ट्रपति शासन लगाकर राज्य की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी अपने हाथ में ले सकती है. मणिपुर बॉर्डर स्टेट है इस समय यहां के बिगड़े हालात को देखते हुए कहा जा सकता है कि ऐसा हो तो कोई आश्चर्य नहीं होगा.

हालांकि अब ये तो समय ही बताएगा कि विपक्षी सांसदों पर राज्यपाल का रुख क्या रहेगा. लेकिन राज्यपाल ने भी बीते दिनों कहा था कि इतनी हिंसा कभी नहीं देखी.

राहत शिविरों का किया दौरा :प्रतिनिधिमंडल ने चुराचांदपुर, मोइरांग और इंफाल में राहत शिविरों का दौरा किया और राहत शिविरों में पीड़ितों से बातचीत की. इसके बाद व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अगर मणिपुर जातीय संघर्ष को जल्द ही हल नहीं किया गया, तो यह देश के लिए सुरक्षा समस्याएं पैदा कर सकता है.

सरकार पर लगाए आरोप : राज्यपाल को दिए गए विपक्ष के ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि पिछले कुछ दिनों में लगातार गोलीबारी और घरों में आगजनी की रिपोर्टें हैं. इससे साफ है कि राज्य मशीनरी पिछले लगभग तीन महीनों से स्थिति को नियंत्रित करने में पूरी तरह से विफल रही है. इसमें कहा गया है कि राहत शिविरों में स्थिति 'दयनीय है'. प्राथमिकता के आधार पर बच्चों की विशेष देखभाल करने की आवश्यकता है. प्रतिनिधिमंडल ने तर्क दिया कि पिछले तीन महीनों से जारी इंटरनेट प्रतिबंध निराधार अफवाहों को बढ़ावा दे रहा है, जो मौजूदा अविश्वास को बढ़ा रहा है.

'मानसून सत्र के आखिरी दिन तक लड़ेंगे' :वहीं, तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव ने एक संवाददाता सम्मेलन में राज्य के लोगों को आश्वासन दिया कि विपक्षी गठबंधन उनके साथ खड़ा है और मणिपुर के लिए 'प्रधानमंत्री को जवाबदेह बनाने' के लिए संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन तक लड़ेगा. उन्होंने कहा कि बीजेपी विपक्ष पर फोटो-ऑप करने, संसद को बाधित करने और इस मुद्दे पर बहस नहीं करने का आरोप लगाएगी.

सुष्मिता देव ने कहा कि उनकी मुलाकात उन दो महिलाएं से भी हुई जिन्हें 4 मई को मणिपुर में भीड़ ने निर्वस्त्र अवस्था में घुमाया था और उनका यौन उत्पीड़न किया था.

21 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में ये नेता :दोनों सदनों के 21 सदस्यीय विपक्षी प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई, के. सुरेश और फूलो देवी हैं. जदयू के राजीव रंजन, ललन सिंह, तृणमूल कांग्रेस से सुष्मिता देव, डीएमके से कनिमोझी, सीपीआई के संतोष कुमार, सीपीआई (एम) से एए रहीम, राजद के मनोज कुमार झा, सपा के जावेद अली खान, झामुमो की महुआ माजी, एनसीपी के पीपी मोहम्मद फैज़ल, जेडीयू के अनिल प्रसाद हेगड़े, आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, आप के सुशील गुप्ता, शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत, वीसीके के डी रविकुमार, वीसीके के थिरु थोल थिरुमावलवन और आरएलडी के जयंत सिंह शामिल हैं.

बंगाल विधानसभा में कल लाया जाएगा प्रस्ताव :हिंसाग्रस्त मणिपुर की स्थिति पर तृणमूल कांग्रेस सोमवार को राज्य विधानसभा में चर्चा के लिए विशेष प्रस्ताव लाएगी. हालांकि तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व और राज्य के संसदीय कार्य मंत्री सोवन्देब चट्टोपाध्याय ने पहले घोषणा की थी कि मणिपुर पर प्रस्ताव विधानसभा के चल रहे मानसून सत्र के दौरान पेश किया जाएगा, लेकिन तब प्रस्ताव लाने की तारीख का उल्लेख नहीं किया गया था. माना जा रहा है कि चट्टोपाध्याय प्रस्ताव पेश करेंगे. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चर्चा में भाग लेने के लिए सोमवार को सदन में मौजूद रहेंगी.

जमीन से जुड़ा है जातीय संघर्ष :मणिपुर में 3 मई से भड़की हिंसा के पीछे जमीन का मामला है. मणिपुर में तीन दशकों से अधिक समय से जातीय संघर्ष ज्यादातर भूमि केंद्रित रहे हैं और उन सभी में कुकी आदिवासी शामिल हैं.

कुकी और उनकी उप-जनजातियां मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा म्यांमार और दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश में चटगांव पहाड़ी इलाकों में रहने वाली पहाड़ी जनजातियां हैं. पूर्वोत्तर क्षेत्र में 200 से अधिक जातीय समूह हैं, जिनमें मणिपुर की 34 जनजातियां शामिल हैं. कुकी आदिवासियों को लगा कि अगर मेइती समुदाय को एसटी का दर्जा मिल जाता है, तो भूमि अधिकार सहित उनके विभिन्न अधिकार कम हो जाएंगे और मेइती लोग उनकी मौजूदा जमीन खरीदकर वहां रह सकेंगे.

गैर-आदिवासी मेइती और कुकी आदिवासियों के बीच चल रहे संघर्ष को पहाड़ी बनाम मैदानी संघर्ष भी कहा जा सकता है.

30 लाख की आबादी में 53 फीसदी मेइती :मणिपुर की 30 लाख आबादी में मेइती लोगों की हिस्सेदारी 53 फीसदी है, जबकि आदिवासी समुदायों की हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है. इनमें से नागा जनजातियां 24 प्रतिशत और कुकी/ज़ोमी जनजातियां 16 प्रतिशत हैं. घाटी क्षेत्र, जहां मेइती लोग रहते हैं, मणिपुर के कुल भौगोलिक क्षेत्रों का लगभग 10 प्रतिशत हैं, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में लगभग 90 प्रतिशत क्षेत्र शामिल हैं.

अलग राज्य की मांग :जातीय हिंसा के बीच कुकी समुदाय के 10 आदिवासी विधायकों ने भी मणिपुर आदिवासियों के लिए अलग राज्य की मांग की है. सत्तारूढ़ भाजपा के सात विधायकों सहित 10 विधायकों ने अपनी मांग के समर्थन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक ज्ञापन भी भेजा है.3 मई को भड़की हिंसा के बाद से कम से कम 180 लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं.

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(एक्स्ट्रा इनपुट एजेंसी)

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