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अंटार्कटिका पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव मानव जीवन के लिए खतरनाक

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Published : Mar 12, 2021, 7:45 PM IST

Updated : Mar 12, 2021, 10:14 PM IST

अंटार्कटिका पृथ्वी का सबसे ठंडा स्थान है. अंटार्कटिका का पूर्वी भाग, पश्चिमी भाग की अपेक्षा अधिक उंचाई पर स्थित होने के कारण अपेक्षाकृत अधिक ठंडा है. इसका केंद्रीय भाग हमेशा ठंडा और शुष्क रहता है. यह पूरा क्षेत्र बर्फ से ढका है, जो पृथ्वी का सबसे विशाल बर्फ का समूह है. लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के कारण अब यह पिघल रहा है, जो दुनिया के समाने बड़ी चुनौती बनकर उभरा है.

ग्लोबल वार्मिंग
ग्लोबल वार्मिंग

हैदराबाद : अंटार्कटिका महाद्वीप पर दुनियाभर के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं. वैज्ञानिकों ने हाल ही में अंटार्कटिक हिमचादर के 900 मीटर नीचे पिच-ब्लैक गहराई में जिज्ञासा पैदा करने वाली खोज की है. वैज्ञानिकों के अनुसार, अंटार्कटिक हिमचादर के नीचे कुछ जीव हो सकते हैं. अंटार्कटिका से जुड़ी कई परेशान करने वाली खोजें हुई हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि अंटार्कटिका की हिमचट्टान के पिघलने के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि हो रही है.

  • कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगाने से महाद्वीप पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव सीमित हो सकता है.
  • अंटार्कटिका सुदूर और वीरान हो सकता है, लेकिन यह जल्द ही हम सभी को प्रभावित कर सकता है.
  • एक अध्ययन में कहा गया है कि 2019-2020 गर्मियों के मौसम के दौरान अंटार्कटिक प्रायद्वीप पर दूसरी सबसे बड़ी बर्फ की चट्टान में रिकॉर्ड पिघलाव हुआ है.
  • समुद्र का स्तर अब 2019 के प्रत्याशित होने की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ने की उम्मीद है. अंटार्कटिक ग्लेशियर और बर्फ की चादरें पिघलना इसका महत्वपूर्ण कारक है.
    अंटार्कटिका पर प्रतिवर्ष बर्फ पिघलने का आंकड़ा.
  • अंटार्कटिका महाद्वीप पर 2002 से, हर साल अनुमानित 150 बिलियन मीट्रिक टन बर्फ पिघल रही है.
  • अंटार्कटिका में बर्फ पिघलने की धारणा समुद्र के स्तर में वृद्धि के लिए केवल सैद्धांतिक नहीं है.
  • 2019 में प्रकाशित एक अध्ययन का अनुमान है कि अंटार्कटिका में प्रतिवर्ष बर्फ के पिघटने में छह गुना वृद्धि होने के कारण वैश्विक समुद्र का स्तर लगभग आधा इंच से अधिक बढ़ गया.

विश्व आर्थिक मंच सामरिक खुफिया का दृष्टिकोण

  • वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिक हिमचादर के पिघलने का अध्ययन के लिए वहां पाए जाने वाले जीव सील का सहारा लिया, क्योंकि कठोर सर्दियों में जहाजों या विमानों का उपयोग संभव नहीं था. सात साउथर्न एलिफैंट सील और सात वेडेल सील तैनात किए गए थे.
  • अंटार्कटिक बर्फ के नीचे 900 मीटर की गहराई में जीवन की खोज एक दुर्घटना थी. इस रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं ने तलछट के नमूनों की तलाश में एक बोरहोल किया था. इस दौरान 13 स्पंज और 22 अज्ञात 'डंठलदार जीव' पाए गए.
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी अंटार्कटिका में 2.7 किलोमीटर के पक्के रनवे के साथ एयरपोर्ट बनाने की ऑस्ट्रेलिया की योजना विवादास्पद है, क्योंकि इसके संभावित पर्यावरणीय प्रभाव और भू-राजनीतिक चिंताओं के कारण यह संभव नहीं है.
  • रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि पश्चिमी अंटार्कटिक प्रायद्वीप पर जलवायु परिवर्तन, पर्यटन, मछली पकड़ने और अनुसंधान बुनियादी ढांचे के प्रभावों को सीमित करने के लिए बिना देरी के निवारक उपाय किए जाने चाहिए.
  • पहले से अधिक तेजी से बड़े माइक्रोप्लास्टिक्स को ले जाने के लिए तरंगों की क्षमता हमें यह समझने में मदद करती है कि अंटार्कटिका के आसपास सहित वे अब पूरे महासागर में क्यों पाए जाते हैं.
  • वर्तमान मॉडल मानते हैं कि वे समान रूप से पिघलते हैं, वे वास्तव में आकार के आधार पर अलग-अलग गति से ऐसा करते हैं. यह खोज जलवायु परिवर्तन का बेहतर आकलन करने में मदद कर सकती है.
Last Updated :Mar 12, 2021, 10:14 PM IST

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