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कोविड जंबो सेंटर घोटाला: IAS अधिकारी की 100 करोड़ रुपये की संपत्ति ईडी की नजर में

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Published : Jun 23, 2023, 1:00 PM IST

ईडी ने बुधवार की सुबह मुंबई में कई जगहों पर छापेमारी की थी. यह छापेमारी से कोविड सेंटर में हुए कथित घोटाले से जुड़ी हुई थी. अब जानकारी सामने आ रही है कि ईडी की नजर एक आईएएस अधिकारी पर है. ईडी इस मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी संजीव जयसवाल की भूमिका की जांच कर रही है.

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मुंबई : कथित 38 करोड़ रुपये के कोविड जंबो सेंटर घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने दावा किया है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी संजीव जयसवाल की इसमें अहम भूमिका थी. एजेंसी ने उनके बांद्रा (पूर्व) आवास पर छापा मारा है. उनके आवास से 13 लाख रुपये नकद और संपत्ति के दस्तावेज जब्त किए हैं. इसके अलावा अधिकारी की 100 करोड़ रुपये से अधिक की कई अन्य संपत्तियों पर छापा मारा है. जिसमें मड द्वीप में आधा एकड़ जमीन भी शामिल है.

गुरुवार को, ईडी ने चार स्थानों पर तलाशी ली, जिसमें एमएमआर क्षेत्र में बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों और एक संदिग्ध आपूर्तिकर्ता के दो स्थान शामिल थे. एजेंसी अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इनमें से कितनी संपत्तियां अपराध की कमाई से जुड़ी हैं. सूत्रों के अनुसार, जायसवाल ने दावा किया कि ईडी द्वारा चल रही कार्रवाई में उन्हें यह कहते हुए बलि का बकरा बनाया गया है कि वह कोविड महामारी के दौरान राज्य सरकार की ओर से काम कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि केवल वह ही उपकरण, दवाओं की खरीद और अनुबंधों को मंजूरी देने में शामिल नहीं थे. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नौकरशाह और नागरिक अधिकारी भी इसमें शामिल थे. लेकिन केवल उन्हें ही निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने यह भी दावा किया कि जो संपत्तियां ईडी की जांच के दायरे में हैं, वे उनकी पैतृक संपत्तियां हैं, जिनकी कीमत मौजूदा बाजार मूल्य के कारण अब 100 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है. हालांकि, एजेंसी ने पूछताछ के लिए जयसवाल को तलब किया था. लेकिन अधिकारी समय की मांग करते हुए ईडी की पूछताछ में शामिल नहीं हुए. जानकारी के मुताबिक, एजेंसी जल्द ही उन्हें दूसरा समन जारी करेगी.

काम एक महीने का, बिल एक साल का :ईडी ने महामारी के दौरान अपनी सेवाएं देने वाले 200-300 डॉक्टरों को ईमेल लिखे हैं, क्योंकि उनमें से कुछ ने बीएमसी को अपना बायोडाटा दिया था, जबकि अन्य ने नागरिक निकाय के लिए काम किया था. उन्होंने ईडी को बताया कि उन्होंने बीएमसी के लिए 15-30 दिन काम किया, लेकिन पूरे साल की बिलिंग उनके नाम पर कर दी गई. ईडी को 20 करोड़ रुपये की बिलिंग का संकेत देने वाले लेनदेन और रिकॉर्ड मिले हैं.

पूर्व मेयर रडार पर :ईडी के सूत्रों ने कहा कि उन्हें कथित घोटाले में शहर की पूर्व मेयर किशोरी पेडनेकर की भूमिका की जानकारी मिली है. ऐसा संदेह है कि पेडनेकर को अधिकांश अनियमितताओं की जानकारी थी. उन्होंने विशेष संस्थाओं को आपूर्ति के अनुबंधों को मंजूरी देने के निर्देश भी दिए थे. पेडनेकर के अलावा बीएमसी के कई वरिष्ठ अधिकारी भी जांच के दायरे में हैं.

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ईडी सूत्रों ने बताया कि अगले हफ्ते से प्रमुख संदिग्धों को पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा. एजेंसी पहले ही बीएमसी अधिकारियों, बिचौलियों, आपूर्तिकर्ताओं और ठेकेदारों के 12 मोबाइल फोन जब्त कर चुकी है. इसने शिव सेना यूबीटी सांसद संजय राउत के करीबी सहयोगी सुजीत पाटकर की पार्टनरशिप फर्म लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज के चार भागीदारों के व्हाट्सएप संचार को भी स्कैन किया है. एजेंसी ने चैट से अहम सुराग मिलने का दावा किया है.

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