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यहां होती है भगवान शिव के पुत्र की अस्थियों की पूजा, उत्तर-दक्षिण भारत के मिलन का केंद्र बनेगा यह स्थल

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Published : May 16, 2023, 8:47 PM IST

Updated : May 16, 2023, 9:03 PM IST

Kartik Swami Temple

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के क्रौंच पर्वत कार्तिक स्वामी मंदिर स्थित है. यह मंदिर भगवान शिव के पुत्र भगवान कार्तिक को समर्पित है. भगवान कार्तिकेय या कार्तिक स्वामी को भारत के कुछ हिस्सों में भगवान मुरुगा या भगवान मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है. यही वजह है कि अब कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तर और दक्षिण भारत के मिलन का केंद्र बनेगा.

कार्तिक स्वामी मंदिर में 108 बालमपुरी शंख पूजा कार्यक्रम.

रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड): भगवान कार्तिकेय का एकमात्र मंदिर कार्तिक स्वामी अब उत्तर और दक्षिण भारत के मिलन का केंद्र बनेगा. पर्यटन विभाग ने इसके लिए बनाई योजना को धरातल पर उतारने की शुरुआत कर दी है. आज यहां कार्तिक स्वामी मंदिर में 108 बालमपुरी शंख पूजा और हवन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें दक्षिण भारत के 6 प्रमुख संतों के साथ ही प्रसिद्ध ड्रम वादक शिवमणि भी शामिल हुए.

दक्षिण भारत में मुरुगन स्वामी नाम से मशहूर भगवान कार्तिकेय का उत्तर भारत में रुद्रप्रयाग जिले के कौंच पर्वत पर प्राचीन मंदिर स्थापित है. माना जाता है कि यहां पर भगवान कार्तिकेय ने कई वर्षों तक साधना करने के साथ ही भगवान गणेश की प्रथम पूजा का अधिकार देने पर अपने माता पिता से रुष्ठ होकर अपने अस्थियों का त्याग किया था.

पर्यटन विभाग की ओर से अब इस मंदिर को उत्तर और दक्षिण भारत के मिलन का केंद्र बनाने के लिए एक नई पहल शुरू की गई है. इस पहल में दक्षिण भारत के मंदिरों में भगवान के वस्त्रों को कार्तिक स्वामी मंदिर में लाया गया. कार्तिक स्वामी मंदिर से भगवान कार्तिकेय के वस्त्रों को दक्षिण भारत में मुरुगन स्वामी के मंदिरों की मूर्तियों के लिए भेजा जाएगा. ये पहल भविष्य में कार्तिक स्वामी मंदिर की लोकप्रियता में चार चांद लगा सकती है.

उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड की ओर से कार्तिक स्वामी मंदिर में भव्य 108 बालमपुरी शंख पूजा और हवन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत, दक्षिण भारत से आए शिवाचार्य और गुरुजनों ने पूजा अर्चना की. सतपाल महाराज ने कहा कि पृथ्वी की परिक्रमा करने के बाद कार्तिकेय स्वामी यहां पर पहुंचे तो गणेश को श्रेष्ठ पद दिया गया, जिसके बाद कार्तिकेय ने अपनी मां पार्वती से नाराज होकर यहां पर तपस्या की.
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उन्होंने कहा कि इसके बाद कार्तिकेय दक्षिण भारत को चले गए. जहां उनकी मुरूगन स्वामी के नाम से विशेष रूप से आराधना की जाती है. सतपाल महाराज ने कार्तिक स्वामी मंदिर और कार्तिकेय स्वामी के जीवन के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि उत्तर भारत का यह कार्तिकेय स्वामी का एकमात्र मंदिर है. दक्षिण भारत में तमिलनाडु और कर्नाटक में भगवान कार्तिकेय के बहुत अनुयायी हैं. धार्मिक अनुष्ठान में दक्षिण के शिवाचार्य आए हैं. सभी अनुयायी देश के आगे बढ़ने की कामना कर रहे हैं.

सतपाल महाराज ने कहा कि अगस्त्यमुनि के अगस्त्य ऋषि, कार्तिक स्वामी मंदिर और अनसूया मंदिर को पर्यटन सर्किट से जोड़ा जाएगा. पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा. कार्तिक स्वामी मंदिर के विकसित होने से स्थानीय स्तर पर भी रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. कार्तिक स्वामी मंदिर पर्यटन के मानचित्र पर उभरकर आए, पर्यटन की दृष्टि से इसे विकसित किया जाएगा.

केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत ने कहा कि उत्तर भारत और दक्षिण भारत के लोगों के लिए यह ऐतिहासिक मिलन का दिन है. जहां सभी लोग एक साथ मिले हैं. उन्होंने कार्तिक स्वामी को पांचवें धाम के रूप में विकसित किए जाने और कार्तिक सर्किट बनाए जाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से इस स्थल को विकसित किए जाने से क्षेत्र के लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे.
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कार्तिक स्वामी में आयोजित इस मिलन कार्यक्रम में दक्षिण भारत के 6 प्रमुख संतों के साथ ही प्रसिद्ध ड्रम वादक शिवमणि भी शामिल हुए. पर्यटन विभाग कार्तिक स्वामी को उत्तराखंड के पांचवे धाम के रूप में विकसित करने की भी तैयारी कर रहा है. इससे जहां इस क्षेत्र के लोगों को रोजगार और विकास के नए आयाम स्थापित होंगे.

वहीं, प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर कार्तिक स्वामी क्षेत्र को देख दक्षिण भारत के हस्तियां भी गदगद दिखी. इस दौरान ड्रोन कैमरे के माध्यम से श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की गई. कार्तिक स्वामी मंदिर में दक्षिण भारत से तीर्थाटन की अपार संभावनाएं हैं. पर्यटन विभाग ने इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए अपने कदम बढ़ाए हैं, जो भविष्य में उत्तराखंड के तीर्थाटन के लिए मील के पत्थर साबित हो सकते हैं.

Last Updated :May 16, 2023, 9:03 PM IST

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