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International Womens Day 2023: 22 साल की उम्र में डिप्टी कलेक्टर बनीं रूचि शर्मा की मोटिवेशनल स्टोरी

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Published : Mar 7, 2023, 7:20 PM IST

Updated : Mar 8, 2023, 12:56 PM IST

अंतररार्ष्ट्रीय महिला दिवस के खास मौके पर हम आपको रुचि शर्मा से मिलवाने जा रहे हैं. रूचि शर्मा महज 22 साल की उम्र में ही डिप्टी कलेक्टर बनने में सफल हुई हैं. वर्तमान में रूचि शर्मा राजधानी रायपुर में डिप्टी कलेक्टर हैं. उन्होंने पीएससी 2015 के एग्जाम में तीसरा रैंक हासिल किया था. Raipur deputy collector ruchi Sharma

raipur deputy collector ruchi sharma
रायपुर की डिप्टी कलेक्टर रूचि शर्मा

रायपुर की डिप्टी कलेक्टर रूचि शर्मा से खास बातचीत

रायपुर:महिला दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने रायपुर डिप्टी कलेक्टर रुचि शर्मा से खास बातचीत की है. आइये जानते हैं उन्होंने अंतररार्ष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाओं को क्या संदेश दिया है.

सवाल: आपने यह मुकाम कैसे हासिल किया?
जवाब: शुरुआती समय में मुझे सिविल सर्विस के बारे में जानकरी नहीं थी. मुझे सिविल सर्विस में आना था. मेरा फैमिली बैकग्राउंड भी उस तरह का नहीं रहा. घर में सभी इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के लोग थे. घर में जो बड़े भाई बहन करते हैं, वही करना हमारा मोटिवेशन होता है. लेकिन मेरे अंदर सिविल सेवा में काम करने की इच्छा थी. दसवीं के बाद मुझे सब्जेक्ट चयन करने का मौका मिला. उस दौरान मुझे पता चला था कि सिविल सर्विस में ग्रेजुएशन कंप्लीट करना जरूरी होता है. इस दौरान गणित में जो ग्रेजुएशन करते हैं, उनका सिलेक्शन ज्यादा होता है. उस समय मैंने यह डिसाइड किया कि मैं इंजीनियरिंग ग्रेजुएट होने के बाद सिविल सर्विस की तैयारी शुरू करूंगी.


सवाल: क्या आप पहली बार में ही सेलेक्ट हो गईं?
जवाब: साल 2014 में मैंने पहला सीजीपीएससी दिया. उस दौरान मैं पहली बार में ही सेलेक्ट हो गई. मेरा 216 रैंक आया. साल 2015 में फिर से मैंने पीएससी की परीक्षा दी. मैरिट में मेरा तीसरा स्थान आया.

सवाल: आज आप डिप्टी कलेक्टर हैं, कितना चैलेंजिंग होता है घर परिवार के साथ इन जिम्मेदारियों को संभालना ?
जवाब: थोड़ा चैलेंजिंग तो होता है, लेकिन किसी भी काम को आप इंजॉय करते हैं और काम में ही आप खुशी देखते हैं तो उस चैलेंज में फिर आपको मजा आने लगता है. घर और ऑफिस, दोनों के बीच सामंजस्य बैठाकर काम करना मुझे अच्छे लगता है.

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सवाल: इससे पहले आप 4 जिलों में रहीं, वहां का कैसा एक्सपीरियंस रहा और अब रायपुर में डिप्टी कलेक्टर की जिम्मेदारी निभा रही हैं?
जवाब: रायपुर से पहले मैं गरियाबंद, मुंगेली और रायगढ़ में रह चुकी हूं. सभी जिले अलग-अलग थे, जिनमें रायगढ़ बड़ा जिला था, फिर मैं मुंगेली गई. लोरमी के पास अचानकमार जंगल का क्षेत्र बहुत खूबसूरत था. फिर मेरी पोस्टिंग गरियाबंद में हुई. जिस जगह में थी, वह अनुसूचित जनजाति का क्षेत्र था. वहां काम करने का बहुत अलग एक्सपीरियंस रहा. काम के दौरान मैंने जनजातियों को करीब से जाना. अब रायपुर में मेरी पोस्टिंग है. रायपुर जिला विकास के दौर पर बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है. यहां अलग प्रकार के चैलेंज होते हैं.

सवाल: इन दिनों समाज में फेमिनिज्म की बातें बहुत ज्यादा होती है, इसे लेकर आपका क्या मानना है ?
जवाब: मेरा मानना है अगर महिलाएं आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, शैक्षणिक, लैंगिग और अध्यात्मिक. इन सभी शक्तियों में जब विकास कर लेते हैं, तो उसे फेमिनिज्म कहते हैं. जब महिलाएं हर प्रकार से आत्मनिर्भर हो जाती हैं. सामाजिक, आर्थिक सभी दृष्टि में जब महिलाएं आत्मनिर्भर हो जाती हैं. जब जीवन के बारे में स्वयं निर्णय लेने लगते हैं. महिलाएं जब समाज में सहभागी हो जाती हैं. मेरे हिसाब से फिर आप फेमिनिज्म में आगे बढ़ रहे हैं. यही जीवन में आगे बढ़ना है.


सवाल: आज के समय में फेमिनिज्म की अवधारणा अलग ही मानी जा रही है, इसे लेकर आपका क्या कहना है?
जवाल: वह कहीं ना कहीं इम मैच्योरिटी है, फेमिनिज्म को गलत धारणा के रूप में समझना, वह एक बुराई के रूप में है. फेमिनिज्म का अर्थ क्या है कि आप को अपने अधिकारों के साथ दूसरों के अधिकारों की भी रक्षा करनी है. अधिकारों से पहले स्वयं के कर्तव्य जानने हैं. अपने अधिकार जानने से पहले अपने कर्तव्यों को जानें और दूसरों के अधिकारों के बारे में भी जानें. तब सही मायने में फेमिनिज्म की परिभाषा समझी जाएगी.


सवाल: 22 साल की उम्र में ही आपने डिप्टी कलेक्टर का पद हासिल किया, शुरुआती दौर में लोग क्या कहते थे?
जवाब: मैं पहली बार किसी सरकारी कार्यालय में गई थी. मैं जब वहां कार्यप्रणाली को देखती थी, तो लोगों का रिएक्शन थोड़ा अलग हुआ करता था. लोग कहते थे कि यह कैसे कर पाएगी. लेकिन मेरे जो सीनियर कलेक्टर, सीईओ थे, उन्होंने मेरा बहुत सपोर्ट किया. मुझे हमेशा मोटिवेट किया जाता था. मेरे सीनियर कहा करते थे, तुम गलतियां करोगी तो कोई बात नहीं. लेकिन तुम काम जरूर करो. काम करोगी, तो गलतियां होंगी और उस गलती को सुधारने के लिए हम हैं. मेरे लिए यह बहुत बड़ा इंस्पिरेशन था. वैसे सपोर्ट मिलता है, तो आप आगे ही बढ़ते जाते हैं.


सवाल: महिला दिवस के मौके पर आप महिलाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी ?
जवाब: मैं महिलाओं को यही संदेश देना चाहूंगी कि आप अपने आप को महिला मत समझिये. मुझे कोई कहता है कि आप महिला अधिकारी हैं, तो मुझे अच्छा नहीं लगता है. अधिकारी सिर्फ अधिकारी होता है. पुरुष यह नहीं सोचते कि मैं पुरुष अधिकारी हूं. उसको अलग से डिफाइन नहीं किया जाता है. इसलिए महिलाओं को भी डेफिनेशन देने मत दीजिए. आप समाज में आगे बढ़ रहे हैं. जिस तरह से पुरुष आगे बढ़ रहे हैं. महिलाओं को यही संदेश देना चाहूंगी कि वह अपने ज्ञान को बढ़ाएं. अपनी फील्ड अच्छे से जानें और समझें. आप आगे बढ़ें और आर्थिक रूप से मजबूत बनें.


सवाल:जो बच्चे सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें क्या संदेश देना चाहेंगी.
जवाब: पीएससी में 3 चरण होते हैं, प्रीलिम्स, मेंस और इंटरव्यू. तीनों अलग अलग चीजें हैं. पीएससी पास करना 1 दिन की बात नहीं है. लंबी तैयारी करनी पड़ती है. अच्छा अध्ययन करें, अच्छे से पढ़ाई करें. अगर आप इन तीनों चरण में भी पास होते हैं. इसके बाद भी एक चरण होता है रैंकिंग का. कई बार ऐसा होता है कि सलेक्शन तो हो जाता है, लेकिन रैंकिंग के कारण मनचाहा पद नहीं मिल पाता. इसलिए सभी चीजों का गहन अध्ययन करें, ताकि आप अपने लक्ष्य में सफल हो पाएं.

Last Updated : Mar 8, 2023, 12:56 PM IST

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