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Holika Dahan 2023: होलिका दहन पर ना करें यह गलतियां, आपको कर देंगी कंगाल, जानिए

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Published : Mar 5, 2023, 9:20 PM IST

Updated : Mar 7, 2023, 12:36 PM IST

रंगों के महापर्व होली को कुछ ही दिन शेष बचे हैं. ऐसे में लोगों ने तैयारियां भी जोर शोर से जारी है. होली के 1 दिन पहले होलिका दहन होता है. होलिका दहन के दौरान बहुत से लोग कुछ गलतियां कर जाते हैं और यह गलतियां उनके लिए नुकसानदायक सिद्ध होती है. होलिका दहन के दौरान ऐसा क्या किया जाए और ऐसी कौन सी गलतियां हैं, जो हमारे लिए हानिकारक हो सकती है. इससे कैसे बचा जाए. जानिए यहां

Holika Dahan 2023
होलिका दहन 2023

होलिका दहन पर बरती जानी वाली सावधानियां

रायपुर: रंगों के महापर्व होली पर इन तमाम विषयों को लेकर के ईटीवी भारत ने ज्योतिष शास्त्री पंडित विनीत शर्मा से खास बातचीत की और जानने की कोशिश की कि आखिरकार होलिका दहन के दौरान की गई गलतियों से कितना नुकसान उठाना पड़ सकता है.

सवाल: होलिका दहन के दौरान क्या गलतियां नहीं करनी चाहिए, इससे क्या नुकसान उठाना पड़ सकता है?
जवाब: होलिका दहन के समय सबसे ज्यादा सावधानी रखनी है कि गर्भवती जो महिलाएं हैं, जिनके गर्भ में शिशु पल रहा है. ऐसी महिलाओं को होलिका का पूजन वर्जित किया है. शास्त्र ने यहां पर कोई भी अनिष्ट होने की आशंका बताई है. इसके साथ ही जो नवजात शिशु है, जिनका जन्म अभी-अभी हुआ है. ऐसे नवजात शिशु को लेकर के भी होलिका दहन के पूजन में माताओं को आना वर्जित माना गया है. जिन्होंने अभी-अभी अपने शिशु को जन्म दिया है, उसके पीछे यह तर्क है कि कोई भी अप्रिय घटना हो सकती है.

नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए: इसके साथ ही साथ जो नहीं करने वाली जो चीजें हैं, वह यह है कि इस दिन किसी भी तरह का नशा या नशीले पदार्थों का सेवन नहीं होना चाहिए. होलिका दहन के दिन ऐसे जातक, जो मनोरोगी हैं, मानसिक तौर पर कमजोर है या मानसिक तौर पर बहुत ज्यादा सक्रिय हैं. ऐसे लोगों को भी होलिका दहन के आसपास हमेशा दूरी बनाकर रखनी चाहिए. क्योंकि पूर्णिमा काल का प्रभाव होने के कारण इंडेनसिटी बहुत हाईएस्ट डिग्री पर रहती है. ऐसे व्यक्ति का मानसिक संतुलन डगमगा सकता है. इस तरह के लोगों को दूर रहना चाहिए.

शनि और चंद्रमा की युक्ति हो, तो बना लें दूरी: इसके साथ ही खासकर जिनका जन्म अमावस्या को हुआ हो, पूर्णिमा काल को हुआ हो और कुछ हद तक जिनकी कुंडली में विष दोष बन रहा हो, यानी शनि और चंद्रमा की युक्ति हो. ऐसे जातकों को भी होलिका दहन के समय उस पूजन से दूरी बना कर रखना चाहिए. यदि यह लोग शामिल भी होना चाहते हैं, तो वह होलिका दहन के स्थल से कम से कम 100 मीटर की दूरी पर रहें, ताकि किसी भी किस्म की मानसिक असंतुलन की गतिविधि होने पर उन्हें संभाला जा सके.

वस्त्रों का चुनाव उपयुक्त ढंग से हो: इसके अलावा भी यह महत्वपूर्ण तथ्य है कि वस्त्रों का चुनाव उपयुक्त ढंग से होना चाहिए. बहुत ही खुले और बहुत ही हवादार और बहुत ही भड़कीले वस्त्रों का धारण नहीं करना चाहिए. होलिका के समय में इस बात का भी बहुत अधिक ध्यान रखें कि जिनका दांपत्य जीवन अभी-अभी शुरू हुआ है. वह होलिका दहन के नियम का पालन करें.

आपके संबंध जिनसे मधुर नहीं, उनसे बनाएं दूरी: इसके साथ ही साथ जिन लोगों से आपके संबंध मधुर नहीं है. यानी जिनसे आपकी फ्रीक्वेंसी मैच नहीं करती है, जिनसे आपका मेल मैच नहीं करता, जिनसे हो सकता है कि आपको शत्रुता के भाव हो सकते हैं. ऐसे जातकों को भी आपस में नजदीक से नहीं रहना चाहिए. उन्हें दूर दूर से होलिका दहन के पर्व का आनंद लेना चाहिए.

मिट्टी तेल का उपयोग इस होलिका में न करें: इसके अलावा होलिका दहन के समय अधिक सावधानी बरतें. मिट्टी तेल का उपयोग इस होलिका में नहीं होना चाहिए. होलिका एक हवन है. एक यज्ञ की परंपरा है. इस समय चूंकि ऋतु परिवर्तन का समय होता है. नई फसलों के आगमन का समय होता है. तो इस होलिका दहन में याद रखें कि किसी भी रूप में मिट्टी तेल का प्रयोग पूरी तरह से नेगेटिव एनर्जी को जनरेट करता है. इसलिए इसका इस्तेमाल न करें.

दिन ढलने के बाद न लागए किसी को रंग: इसके अलावा खासकर जो रंग खेलते हैं, वह रंग रात्रि के उपरांत ना लगाएं. दिन ढलने के दौरान एक दूसरे को रंग लगाया जा सकता है, होलिका दहन के दिन खासकर. लेकिन जब रात्रि ढल जाए सूरज अस्त हो जाए. उसके पश्चात एक दूसरे को रंग लगाना पूरी तरह से वर्जित माना गया है. वहीं होलिका दहन के समय में सूखी लकड़ियों का प्रयोग करें.


सवाल: होलिका दहन के क्या नियम हैं?
जवाब: सबसे पहले बताया जाए कि ये होलिका एक हवनावली है. इसे भयसज्य यज्ञ का रूप भी कहा जाता है. इस हवन में इस पूजन में वही सामग्री डालनी चाहिए. जैसे अश्वगंधा, जो सुगंधित हो, जो औषधीय गुणों से युक्त हो, जिनमें जड़ी बूटियों तत्व हों, जो वायुमंडल का शुद्धिकरण करती हो. जैसे ही आप अग्नि जलाते हैं, वहां पर अग्नि जो वायु षोधन का कार्य करती है. प्राण वायु को षोधन करने का कार्य करती है. उस पूरे एटमॉस्फेयर के एनर्जी लेवल को पॉजिटिव एनर्जी में डायवर्ट करने का काम करती है.

पेड़ काटकर नहीं, प्राकृतिक रूप से सूखी लकड़ी का करें उपयोग: यह ध्यान रखने वाली बात है कि जो लकड़ियां जलाई जाएं वह पीपल की हो, आम की हो और अच्छी लकड़ियां हो. कोई भी नकारात्मक लकड़ियां उस पर नहीं पड़नी चाहिए. इसके साथ ही उसमें गाय के गोबर का कंडा, जो सूखा हुआ हो. साथ ही जो बताशा है, वह डाला जा सकता है. तिल डाला जा सकता है, चावल डाले जा सकते हैं, अक्षत डाले जा सकते हैं. परिमल यानी की हल्दी जो ऑलरेडी औषधि गुणों से तृप्त होता है. इसके साथ ही होलिका में शक्कर नहीं डाला जाता, उसके स्थान पर गुड़ का प्रयोग करना चाहिए. साथ ही साथ चना, अलसी आदि पदार्थों को डालकर भी इनको पकाकर डाला जाता है. फिर उसे निकालकर प्रसाद के रूप में उपयोग किया जाता है.

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सवाल: होलिका दहन का मुहूर्त निश्चित रहता है, लेकिन मुहूर्त से पहले या बाद में भी होलिका दहन होता है. इस पर आप क्या कहते हैं?
जवाब: कोई भी कार्य को करने का विशिष्ट मुहूर्त होता है. जैसे हम अपना जीवन जीते हैं, तो सुबह उठने का क्रम है, रात में सोने का क्रम है, इसको बदलना नहीं चाहिए. होलिका दहन की समय अवधि होती है, उसका एक मुहूर्त होता है. उस मुहूर्त और अवधि का निश्चित तौर पर पालन किया जाना चाहिए. उस मुहूर्त के अलावा यदि हम होलिका दहन करते हैं, तो सबसे पहले बात यह होती है कि इसका पाप पड़ता है, दोष हो सकते हैं. पितृदोष लगते हैं और ना जाने अलग-अलग तरह के दोष लगते हैं.

वैदिक मंत्रों के साथ करें होलिका दहन: होलिका दहन वैदिक मंत्रों के साथ किया जाना चाहिए. महामृत्युंजय मंत्र के साथ और श्री गायत्री मंत्र के उच्चारण के साथ विधि-विधान पूर्वक होलिका दहन किया जाना चाहिए. मुहुर्त के उपरांत यदि दहन करते हैं, तो परिणाम कुछ भी हो सकते हैं. हो सकता है क्षेत्र में अग्नि लग जाए, हो सकता है कि जिन लोगों ने अग्नि जलाई है, जो लोग आयोजक हैं, उनको इस पाप का दोष पड़े.

Last Updated : Mar 7, 2023, 12:36 PM IST
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