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शराब पीने की न्यूनतम उम्र घटाने के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी

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Published : Aug 24, 2021, 7:48 PM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के तहत शराब के सेवन की उम्र कम किए जाने के खिलाफ दायर नई याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है.

दिल्ली सरकार को नोटिस जारी
दिल्ली सरकार को नोटिस जारी

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के तहत शराब के सेवन की उम्र कम किए जाने के खिलाफ दायर नई याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार को 17 सितंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी.

दिल्ली हाई कोर्ट में यह याचिका कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकेन ड्राइविंग नाम के एनजीओ ने दायर की है. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वकील राहुल मेहरा ने कहा कि याचिका दायर कर कहा गया है कि शराब पीने की न्यूनतम उम्र 25 साल से घटाकर 21 साल करने का फैसला गैरकानूनी है. ऐसा कर वे शैडो बॉक्सिंग कर रहे हैं ताकि इस योजना को रोका जा सके. तब कोर्ट ने पूछा कि आपने शराब पीने की न्यूनतम उम्र किस मकसद से घटाई. इसका जवाब देते हुए सरकार के वकील ने बताया कि पड़ोसी राज्यों में भी ये उम्र घटाई गई है. कुछ राज्यों में तो इससे भी कम उम्र है. मेहरा ने कहा कि शराब पीकर गाड़ी चलाना गैरकानूनी है. इसलिए उम्र घटाई जाए या नहीं ये मायने नहीं रखता है.

दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि याचिकाकर्ता का नाम है कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकेन ड्राइविंग. इसका मतलब है कि वे शराब पीकर वाहन चलाने के विरोधी हैं. इससे शराब पीने की न्यूनतम उम्र घटाने का कोई संबंध नहीं है. सिंघवी ने कहा मतदान की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष है. ऐसे में अगर यह मांग की जाए कि 18 वर्ष के ऊपर के लोग शराब नहीं पी सकते तो ये आश्चर्य की बात है.

यह भी पढ़ें-नई आबकारी नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से मांगा जवाब

बता दें कि शराब पीने की न्यूनतम उम्र घटाने के खिलाफ बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा पहले ही याचिका दायर कर चुके हैं. पिछले 9 अगस्त को प्रवेश वर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था.

नई आबकारी नीति के अलग-अलग प्रावधानों को अलग-अलग याचिकाएं दायर कर चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के तहत दिल्ली को 32 जोनों में विभाजित किया गया है. जबकि इन 32 जोनों में केवल 16 लाइसेंस धारक ही होंगे जिनके द्वारा संचालन किया जा सकेगा. साथ ही कहा गया है कि इससे कुछ खास लोगों का ही इस व्यवसाय पर एकाधिकार हो जाएगा.

दिल्ली कंज्यूमर कॉआपरेटिव होलसेल स्टोर कर्मचारी यूनियन ने भी नई आबकारी नीति में सरकार की अधिगृहित कंपनी या सोसायटी को शराब के खुदरा व्यापार का लाईसेंस नहीं देने के प्रावधान को चुनौती दी है. इस याचिका पर हाईकोर्ट नोटिस जारी कर चुका है.

पिछले 28 जुलाई को कोर्ट ने नई आबकारी नीति में शराब पीने की न्यूनतम उम्र 25 वर्ष से घटाकर 21 वर्ष करने के प्रावधान को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिकाओं में दिल्ली सरकार की ओर से पिछले 28 जून को जारी ई-टेंडर नोटिस को वापस लेने की भी मांग की गई है. दिल्ली सरकार का कहना है कि नई आबकारी नीति भ्रष्टाचार को कम करने की कोशिश की गई है.

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