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कुत्ते-बिल्ली और चूहे एक साथ, इस पशु प्रेमी के 'एनिमल वर्ल्ड' में जानवरों में गजब का प्यार

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 4, 2024, 12:07 PM IST

Updated : Jan 4, 2024, 12:30 PM IST

Stray Animals In Buxar : सत्तर के दशक में हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना की एक फिल्म आई थी 'हाथी मेरा साथी', जो बेहद हिट हुई थी. फिल्म में राजेश खन्ना की जानवरों के साथ एक प्यारी सी दुनिया थी, जहां सभी जानवर एक साथ बड़े प्यार से रहते थे. कुछ ऐसा ही दृश्य बक्सर में देखने को मिलता है, जहां लावारिस घायल जानवरों के मसीहा हरिओम के रेस्क्यू सेंटर में खरगोश, बिल्ली, कुत्ता और चूहे सभी एक साथ घूमते और बैठे मिल जाएंगे.

लावारिस जानवर के मसीहा
लावारिस जानवर के मसीहा

लावारिस जानवरों के मसीहा हरिओम से बातचीत

बक्सरःअपने लिए तो हर कोई जीता है, लेकिन जो औरों के लिए जिए निश्चय ही उसका जीवन धन्य है. बचपन से ही जानवरों को पालने का शौक रखने वाले बक्सर के हरिओम चौबे अब जानवरों के मसीहा बन गए हैं. दरअसल बक्सर में कहीं भी कोई जानवर दुर्घटनाग्रस्त होता है या उसे कोई शारिरिक परेशानी हो जाती है तो हरिओम उसे अपने रेस्क्यू सेंटर पर लातें हैं और उनका इलाज करते हैं, फिर स्वस्थ होने के बाद उन्हें वहीं उनकी जगह पर छोड़ आतें हैं.

जानवरों के साथ हरिओम

जानवरों के मसीहा बने हरिओमः हरिओम से जब इस बारे में पूछा गया कि लोग अपने और अपने परिवार के लिए जीते हैं, लेकिन आप इन लावारिस जानवरों के बीच अपना जीवन गुजार रहे हैं, कैसे और कहां से प्रेरणा मिली तो हरिओम ने बताया कि बचपन से ही शौक था. हैरत की बात तो ये है कि हरिओम की इस प्यार की दुनिया में कुत्ता, बिल्ली, खरगोश और चूहे सब एक साथ रहतें हैं. एक साथ एक ही बर्तन में खाना खाते हैं और कोई जानवर किसी अन्य जानवर को नुकसान नहीं पहुंचाता.

एक साथ बैठे खरगोश और बिल्ली

एक साथ रहते हैं सभी जानवरः जब उनसे पूछा गया कि आम तौर पर देखा जाता है कि कुत्ता, बिल्ली और खरगोश एक साथ नहीं रह सकते. बिल्ली उन्हें खा जाती है, लेकिन यहां जो दृश्य दिख रहा है वो निश्चित रूप से अलौकिक है. इस पर हरिओम ने कहा कि प्रकृति हमको यही सिखाती है. कोई भी जानवर हो या व्यक्ति मां के पेट के अंदर से वैसा नहीं होता है, उसको अवगुण मां के पेट के बाहर ही मिलता है. लेकिन परिवार और मां अगर अच्छा ज्ञान देती है तो इंसान अच्छा बन जाता है. इसी तरह इन जानवरों को वैसी ही ट्रेनिंग दी गई है.

एक साथ दूध पीता कुत्ता और बिल्ली

"बहुत कम उम्र में जब 6-7 साल के थे, सांप पकड़ने लगे. इसी समय से कुत्तों को पालना उनके लिए घर बनाना बचपन से ही अच्छा लगता था. फिर धीरे-धीरे जैसे-जैसे बड़े हुए इस लाइन में जितना पढ़ाई किया तो लगा कि मुझे इन सब के लिए कुछ करना चाहिए"- हरिओम चौबे, पशु प्रेमी

घर के लोग रहते थे नाराजःहरिओम के इस शौक को लेकर घर के लोगों में नाराजगी भी रहती थी. हरिओम बताते हैं- 'बहुत दिनों तक पापा बात नहीं किये बोले नहीं. घर के लोग ठीक से बात नहीं करते थे. कहते थे कि पंडित का लड़का होकर सांप पकड़ेगा. शुरू में बहुत दिक्कतें आई पर धीरे धीरे इसी में मन लग गया'.

जानवरों को ट्रेनिंग देते हरिओम

सुंदर-सुंदर पक्षी भी पालते हैं हरिओमः हरिओम के रेस्क्यू सेंटर में जानवरों के एलावा कई तरह के सुंदर-सुंदर पक्षी भी देखने को मिल जाएंगे. जिनकी देखभाल वो खुद करते हैं. हालांकि इस सेंटर को चलाने के लिए उन्हें प्रशासन और सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती. वो खुद सांप पकड़कर जमा किए गए पैसे या फिर कुछ लोगों के डोनेशन से इसको चला रहे हैं. हरिओम ने बताया कि वो आगे इसके लिए जिले के एसडीएम से बात करेंगे, ताकि इसको और बड़े रूप में विकसित किया जा सके.

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Last Updated : Jan 4, 2024, 12:30 PM IST

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