दिल्ली

delhi

घग्घर बेसिन बाढ़ : SC ने पंजाब, हरियाणा सरकार से कहा- राजनीति नहीं, जनहित पर विचार करें, आम आदमी मीटिंग में दिलचस्पी नहीं रखता

By

Published : Nov 16, 2022, 12:57 PM IST

खंडपीठ ने मंगलवार को दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को तलब किया था. कोर्ट ने कहा कि कहा कि हालांकि दोनों राज्यों ने स्टेटस रिपोर्ट दायर की है लेकिन बैठक करने के अलावा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. कोर्ट ने कहा कि आम आदमी बैठकों में दिलचस्पी नहीं रखता है. उसे समाधान चाहिए. हर राज्य सरकार को राजनीति से ऊपर जनहित को रखना चाहिए.

Ghaggar River Case
घग्घर बेसिन बाढ़

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय जल और विद्युत अनुसंधान केंद्र (सीडब्ल्यूपीआरएस), पुणे द्वारा सुझाए गए उपायों को लागू करने में विफल रहने के लिए पंजाब और हरियाणा की सरकारों की खिंचाई की. घग्घर बेसिन में अत्यधिक बाढ़ से दोनों राज्यों के 25 गांवों के किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. न्यायमूर्ति एमआर शाह के नेतृत्व वाली एक खंडपीठ ने मंगलवार को कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि, इस न्यायालय द्वारा पारित अंतिम आदेशों के बाद, घग्घर स्थायी समिति की दो बैठकों को छोड़कर, सीडब्ल्यूपीआरएस, पुणे द्वारा की गई सिफारिशों पर न तो पंजाब राज्य और/या हरियाणा राज्य द्वारा कोई ठोस कदम उठाए गए हैं.

खंडपीठ ने मंगलवार को दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को तलब किया था. कोर्ट ने कहा कि कहा कि हालांकि दोनों राज्यों ने स्टेटस रिपोर्ट दायर की है लेकिन बैठक करने के अलावा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. कोर्ट ने कहा कि आम आदमी बैठकों में दिलचस्पी नहीं रखता है. उसे समाधान चाहिए. हर राज्य सरकार को राजनीति से ऊपर जनहित को रखना चाहिए. हालांकि प्रभावित क्षेत्र का बड़ा हिस्सा पंजाब में है लेकिन उसने भी इस मामले को बहुत गंभीरता से नहीं लिया है.

पढ़ें: दुनिया में तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप हब में से एक भारत : पीएम मोदी

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हम उन्हें बहुत गंभीरता और ईमानदारी से इस मुद्दे को उठाने के लिए कह रहे हैं ताकि 25 गांवों के लोग जो बाढ़ से प्रभावित हैं उन्हें हर साल बाढ़ का और नुकसान न उठाना पड़े. खंडपीठ ने दोनों राज्यों को CWPRS, पुणे द्वारा प्रस्तुत अंतिम मॉडल अध्ययन रिपोर्ट में की गई सिफारिशों को लागू करने के लिए प्रस्तावित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने और जमा करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया. वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान और अजीत कुमार सिन्हा ने हरियाणा सरकार और पंजाब सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए इसके लिए समय मांगा.

मामले की अगली सुनवाई 3 जनवरी2023 को होगी. कोर्ट ने सख्त हिदायत दी है कि विस्तृत परियोजना रिपोर्ट पूरी तरह से सीडब्ल्यूपीआरएस, पुणे की सिफारिशों के अनुरूप होगी और कोई भी राज्य इससे विचलित नहीं होगा. विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में, संबंधित राज्य समय-सीमा तय करेंगे और तय समय सीमा में सिफारिशों को लागू करेंगे. सिफारिशों के कार्यान्वयन में देरी बर्दाश्त नहीं की जायेगी क्योंकि हर साल कम से कम 25 गांव बाढ़ के कारण पीड़ित होते हैं.

पढ़ें: यूक्रेन में युद्ध-विराम और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का तरीका तलाशना होगा: प्रधानमंत्री मोदी

कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रस्तावित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को शीर्ष अदालत में जमा करने से पहले, इसे दोनों राज्यों द्वारा केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के साथ साझा किया जाना चाहिए. केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) खंडपीठ को बताएगा कि प्रस्तावित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट सीडब्ल्यूपीआरएस, पुणे के आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के अनुरूप है या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने 17 अगस्त को पंजाब और हरियाणा की सरकारों को सेंट्रल वाटर एंड पावर रिसर्च स्टेशन (CWPRS), पुणे द्वारा घग्घर बेसिन की बाढ़ की समस्या को हल करने के लिए सुझाए गए उपायों को लागू करने का आदेश दिया था.

ABOUT THE AUTHOR

...view details