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Diwali 2023 : जिन्होंने कभी नहीं देखी रोशनी, बिहार के उन दिव्यांग बच्चों की बनाई मोमबत्ती से रोशन होंगे घर

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 10, 2023, 6:32 AM IST

Patna News: ईटीवी भारत आपको पटना के कुम्हरार स्थित अंतर्ज्योति बालिका विद्यालय की दृष्टिहीन बच्चियों के संघर्ष, बुलंद हौसले और सफलता की कहानी बताने जा रहा है. अपनी जिंदगी में अंधेरा होने के बावजूद ये बच्चियां खूबसूरत रंग बिरंगी मोमबत्तियां बनाकर दूसरे की जीवन को रोशनी से भरती हैं. इनकी बनाई मोमबत्ती इतनी आकर्षक हैं कि देश ही नहीं बल्कि यूएस से भी ऑर्डर मिल रहे हैं.

पटना की दृष्टिहीन बच्चियां बनीं मिसाल
पटना की दृष्टिहीन बच्चियां बनीं मिसाल

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पटना: बहुत सारे लोग करना तो बहुत कुछ चाहते हैं लेकिन विजन की कमी के कारण वे कुछ कर नहीं पाते या पिछड़ जाते हैं. कई बार लोग ऐसे हालात में हार मान कर बैठ जाते हैं. ऐसे ही नाउम्मीद हो चुके लोगों के लिए पटना के कुम्हरार स्थित अंतर्ज्योति बालिका विद्यालय की दृष्टिहीन बच्चियां मिसालकी तरह हैं.

पटना की दृष्टिहीन बच्चियों द्वारा बनाए गए कैंडल्स

पटना की दृष्टिहीन बच्चियां बनीं मिसाल: इस दिवाली में दूसरों के घरों को रोशन करने के लिए रंग बिरंगी मोमबत्तियां तैयार करने में ये दृष्टिहीन बच्चियां जुटी हुई हैं. इनकी बनाई हुई मोमबत्तियों की डिमांड सिर्फ प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश भर में है. देश के साथ ही विदेशों तक में भी इसकी सप्लाई हो रही है.

US से आया मोमबत्तियों का आर्डर :इस वर्ष इन दृष्टिहीन बच्चियों के बनाए गए मोमबत्तियों की डिमांड यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका से भी आई है और सप्लाई भी की गई है. पटना के कुम्हरार में अंतर्ज्योति बालिका विद्यालय में इन दृष्टिहीन बच्चियों की पढ़ाई और रहने की भी सुविधा है.

मोमबत्ती के खांचे से मोमबत्ती काट रही रागिनी की तस्वीर

अमेरिका पहुंची पटना की मोमबत्तियां: यह बच्चियां भले ही देख नहीं सकती हैं, लेकिन इस दीपावली में लोगों के घरों को रोशन करने के लिए रंग बिरंगी मोमबत्तियां तैयार करने में जुटी हुई हैं. विभिन्न वैरायटी में यह बच्चियां मोमबत्तियां तैयार कर रही है, जिनकी डिमांड देश के विभिन्न कोणों से ही नहीं बल्कि विदेश से भी आ रही है. इस बार यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका में 18000 रुपए की मोमबत्ती इन बच्चियों के द्वारा तैयार करके भेजी गई है.

दृष्टिहीन ईशा की अपील:दृष्टिहीन बच्ची ईशा कुमारी ने बताया कि वह विभिन्न प्रकार की मोमबत्तियां बना रही हैं. यहां की प्रशिक्षक उन्हें विभिन्न प्रकार की मोमबत्तियां तैयार करने की विधि सीखाती है ताकि वह स्वावलंबी बन सकें. ईशा कहती हैं कि मैं लोगों से अपील करूंगी कि आकर देखें कि हम कैसे मोमबत्ती तैयार करते हैं और उनकी अगर अच्छा लगे तो आप भी इन मोमबत्तियों को खरीदें.

अमेरिका पहुंची पटना की मोमबत्तियां

"मोमबत्ती तैयार करने में हमें काफी आनंद आ रहा है. हम 10 से 12 प्रकार की मोमबत्ती तैयार करते हैं. टेडी बियर और विभिन्न फूलों की आकृति में भी मोमबत्ती तैयार की जाती है. दीपावली का पर्व आ रहा है इसलिए हम लोग मोमबत्ती तैयार करने में जुटे हैं. एक मोमबत्ती को 15 मिनट में तैयार कर लेते हैं."-ईशा कुमारी, दृष्टिहीन बच्ची

दृष्टिहीन अनिता के बनाए कैंडल हैं लाजवाब:अंतर्ज्योति बालिका विद्यालय की कक्षा दसवीं की छात्रा अनिता कुमारी ने बताया कि उनके हाथों में बबल्स कैंडल है. वह दृष्टिहीन है लेकिन अपने अंदाज पर जो उन्हें प्रशिक्षकों ने सिखाया है, उसके आधार पर वह मोमबत्ती तैयार करने में इन दिनों जुटी हुई हैं.

अंतर्ज्योति बालिका विद्यालय की दृष्टिहीन बच्चियां बन रहीं मिसाल

"मैं मोमबत्ती बनाने के अलावा हैंडीक्राफ्ट का भी काम जानती हूं. इन दिनों मोमबत्ती बनाने पर इसलिए अधिक फोकस है क्योंकि दीपावली का पर्व नजदीक है. हम देख नहीं सकते इसलिए यहां प्रशिक्षकों को हमें सीखने में भी काफी मेहनत लगी है. अब हम मोमबत्ती बनाना सीख चुके हैं. विभिन्न डिजाइन में मोमबत्तियां तैयार कर लेते हैं."- अनिता कुमारी, दृष्टिहीन बच्ची

दृष्टिहीन रागिनी है प्रतिभा की धनी:मोमबत्ती के खांचे से मोमबत्ती काट रही रागिनी कुमारी ने बताया कि वह मोमबत्ती बना रही हैं और विभिन्न डिजाइन में मोमबत्तियां तैयार कर रही हैं. वह देख नहीं सकती, ऐसे में प्रशिक्षकों द्वारा उन्हें सिखाया जाता है कि कैसे विभिन्न डिजाइन में मोमबत्तियां तैयार की जाती है और यह वह सीख चुकी है.

हर साल 10 बच्चियों को मोमबत्ती बनाने की ट्रेनिंग

"मोमबत्ती तैयार करने के अलावा मैं हैंडीक्राफ्ट तैयार करने के साथ-साथ डांस और मार्शल आर्ट्स का हुनर भी जानती हूं. मोमबत्ती तैयार करने के दौरान कई बार जब मोम गर्म होता है तो हाथ भी हल्की जल जाती है लेकिन सब कुछ का मुझे अंदाजा अच्छे तरीके से है. इस दीपावली को लेकर हमने काफी अधिक कैंडल बनाया है. मेरे बनाए कैंडल कई जगहों पर सप्लाई भी हुए हैं."- रागिनी कुमारी, दृष्टिहीन बच्ची

ट्रेनिंग दे रही शिक्षिका ने कही ये बात: बच्चियों को कैंडल बनाने के लिए प्रशिक्षित कर रहीं प्रशिक्षिका कुमारी रजनी ने बताया कि वह अंतर्ज्योति विद्यालय की शिक्षिका हैं. दिन के 10 से 3:00 बजे तक विद्यालय अवधि समाप्त हो जाती है और उसके बाद वह 10 बच्चियों को मोमबत्ती बनाने का हुनर सिखाती हैं.

"यह बच्चियां दृष्टिहीन हैं. ऐसे में दिन के 3:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक प्रतिदिन 2 घंटे इन बच्चियों को मैं मोमबत्ती बनाना सिखाती हूं. हर साल 10 बच्चियों को मोमबत्ती बनाने का हुनर सिखाया जाता है और इस बार भी 10 बच्चियों को मोमबत्ती बनाने का हुनर सिखाया जा रहा है."- कुमारी रजनी, प्रशिक्षिका

हर साल 10 बच्चियों को दी जाती है ट्रेनिंग:अंतर्ज्योति बालिका विद्यालय के हॉस्टल की वार्डन और शिक्षिका रेणु कुमारी ने बताया कि हर साल कक्षा नौवीं और कक्षा दसवीं की 10 बच्चियों को मोमबत्ती बनाने का हुनर सिखाया जाता है. इन बच्चियों के बनाए गए मोमबत्तियां का डिमांड इस बार यूनाइटेड और स्टेट ऑफ अमेरिका तक चला गया है. यूएस से इस बार इन बच्चियों के बनाए गए मोमबत्ती का 18000 रुपए का आर्डर आया है और उसे सप्लाई भी कर दिया गया है.

"बिहार के विभिन्न प्रदेशों से डिमांड तो आता ही है, पटना के दानापुर स्थित आर्मी स्कूल और विभिन्न स्कूलों से भी ऑर्डर आता है. बिहार के उद्योग विभाग की ओर से खादी मॉल में इस बार ₹6000 के मोमबत्ती का स्टॉक नमूना के रूप में भेजा गया था जो पहुंचते ही 1 घंटे के अंदर खत्म हो गया. बुधवार 8 नवंबर को ₹30000 तक का सेकंड स्टॉक सप्लाई की गई है."-रेणु कुमारी, प्रशिक्षिका, हॉस्टल वार्डन

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