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बड़ी नौकरी में व्यस्त बेटे, अकेली रह रही कोविड पॉजिटिव 80 वर्षीय मां को कोई बांधकर मार गया

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Published : May 22, 2021, 10:36 PM IST

हरिद्वार में कोरोना संक्रमित बुजुर्ग महिला का शव घर में संदिग्ध परिस्थिति में मिला. बुजुर्ग महिला अकेले रहती थीं उनका एक बेटा हॉलैंड में है, जबकि एक दिल्ली में नौकरी करता है.

हरिद्वार:एक मां जिसकी उम्र 80 साल है वो अब इस दुनिया में नहीं है. उनके दोनों बच्चे बड़ी कंपनियों में काम कर रहे हैं. पति एयरफोर्स से रिटायर थे. सब कुछ होते हुए भी 80 साल की रामदुलारी के पास कोई अपना नहीं था. शुक्रवार शाम हरिद्वार के कनखल थाना स्थित भागीरथी विहार कॉलोनी में रहने वाली इन्हीं राजदुलारी देवी का शव संदिग्ध परिस्थिति में उनके घर पर मिला.

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, राजदुलारी देवी की मौत की जानकारी पड़ोस में रहने वाले युवक के जरिए मिली. राजदुलारी घर पर अकेली रहती थी. उनका एक बेटा हॉलैंड और दूसरा बेटा दिल्ली में रहता है. बुजुर्ग महिला को रोज खाना देने के लिए अमित नामक एक लड़का घर में आता था. बुजुर्ग महिला कुछ दिन पहले कोरोना संक्रमित पाई गई थी और उन्हें होम क्वारंटाइन किया गया था.

शुक्रवार शाम जब अमित खाना लेकर वृद्धा के घर पहुंचा तो उसे दरवाजा खुला हुआ मिला. एक कमरे में बुजुर्ग महिला का शव पड़ा था तो दूसरे कमरे में सामान बिखरा हुआ था.

सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने फॉरेंसिक टीम को बुलाया और मामले की जांच की जा रही है. पुलिस जांच में यह बात निकल कर आई है कि महिला के घर के ताले टूटे हुए थे, अलमारियां खुली हुई थीं और महिला को चुन्नी से बांधा गया था.

वहीं, जिस जगह महिला रहती हैं वह कॉलोनी हाल ही में बसी है. लिहाजा आसपास के इलाके में ज्यादा बसावट नहीं है. फिलहाल पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि बुजुर्ग महिला की मौत किन कारणों से हुई है.

चार साल से नहीं मिले बेटे

बताया जा रहा है कि राजदुलारी देवी के दो बेटे हैं. एक हॉलैंड में काम करता है तो दूसरा दिल्ली में एक बड़ी कंपनी में काम करता है. जानकारी ये भी मिली है कि 4 सालों से दोनों में से कोई भी बेटा उनको मिलने तक नहीं आया. जून महीने में वह पहली बार कोरोना पॉजिटिव हुई थी. इस वक्त भी वो दूसरी बार पॉजिटिव होने के बाद घर में अकेली ही थीं.

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हरिद्वार में घटी इस घटना को भले ही लोग सामान्य लूट की तरह से देख रहे हों, लेकिन ये हकीकत उस समाज की है जिस समाज में हम पढ़े-लिखे लोग यह भूल जाते हैं कि कैसे हमारे बूढ़े मां-बाप अकेले जीवन बिताएंगे.

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