सरगुजा : छत्तीसगढ़ मेंपहले चरण के मतदान में बस्तर संभाग की 12 सीटों के साथ दुर्ग संभाग की 8 सीटों पर मतदान हुआ. वहीं अब दूसरे चरण में बची 70 सीटों के लिए 17 नवंबर को वोटिंग है. दूसरे चरण के चुनाव में 958 प्रत्याशियों की किस्मत दांव पर लगी है. सेकंड फेज के चुनाव में कई विधानसभा सीट ऐसी हैं, जो हाथी के आतंक से प्रभावित हैं. यही वजह है कि इस चुनाव में हाथी का भी मुद्दा छाया है.
कहां हैं हाथी प्रभावित क्षेत्र ? :गरियाबंद, महासमुंद, कोरबा, रायगढ़, धरमजयगढ़, सरगुजा, बलरामपुर और सूरजपुर जैसे जिले हाथी प्रभावित हैं.इन इलाकों में हाथी अक्सर किसानों की फसल और घरों को निशाना बनाते रहते हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि जिन इलाकों में हाथी सक्रिय हैं, क्या वहां के मतदाता वोटिंग के लिए पोलिंग बूथ तक पहुंचेंगे.
सरगुजा में हाथी के कारण परेशानी :सरगुजा जिले में उदयपुर, मैनपाट और लुंड्रा विकासखण्ड में हाथी लगातार सक्रिय रहते हैं. हाथियों का सबसे अधिक आतंक सूरजपुर जिले में देखा जाता है. यहां के प्रतापपुर विकासखण्ड में हाथी सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. प्रतापपुर के किसान सबसे ज्यादा गन्ना उगाते हैं. इसलिए हाथियों का रुख इस ओर सबसे ज्यादा रहता है. बलरामपुर जिले का रामचंद्रपुर विकासखण्ड भी हाथी प्रभावित है. वहीं सूरजपुर जिले के प्रेमनगर विकासखण्ड के कुछ गांव में भी हाथियों का आतंक भी बना रहता है. इसके बावजूद इन इलाकों में स्वीप की टीम निर्वाचन आयोग के निर्देश पर लगातार मतदाता जागरूकता फैला रही है, लेकिन इस टीम के पास भी हाथियों का हल नहीं है.
"प्रतापपुर के गणेशपुर, धरमपुर, मदनपुर, गोटगवा, बंशीपुर क्षेत्र में अक्सर हाथी आते हैं, अन्य क्षेत्रों में तो हाथी रात में आते हैं.लेकिन इन गांवों में इतने हाथी हैं कि दिन में भी मुख्य मार्ग और आबादी वाले क्षेत्र में दिखाई दे जाएंगे.'' रवींद्र गुप्ता, ग्रामीण प्रतापपुर