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budget 2023 : एक रुपये की कमाई में 34 पैसे उधार के, सिर्फ उधारी का ब्याज चुकाने में ही खर्च हो जाते हैं 20 पैसे

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Published : Feb 1, 2023, 8:57 PM IST

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट पेश हो चुका है. आइए जानते हैं कि सरकार की आमदनी कितनी है और खर्च कितना है. इसे हम एक रुपये के हिस्से में बांटकर समझने का प्रयास करते हैं (budget 2023).

budget 2023 one rupee
बजट में रुपया

नई दिल्ली :अगर सरकार के बजट को एक रुपये के टर्म में समझना हो, तो उसे इस तरह से समझ सकते हैं. मान लीजिए कि सरकार की आमदनी एक रुपये है. लेकिन यह रुपया कहां से आएगा. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एक रुपये में 34 पैसे सरकार उधार लेती है. उसे 17 पैसे जीएसटी से मिलते हैं. 15 पैसे कॉरपोरेट टैक्स के जरिए मिलते हैं.

इसी तरह 15 पैसे इनकम टैक्स से और चार पैसे देश में आयात होने वाले सामानों पर कस्टम ड्यूटी के जरिए प्राप्त होते हैं. सरकार सात पैसे पेट्रोल-डीजल पर ड्यूटी लगाकर कमाती है. नॉन टैक्स रेवेन्यू के जरिए पांच पैसे मिलता है. दो पैसे अन्य मदों से प्राप्त होते हैं.

एक नजर में समझिए

58 पैसा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों से आएगा :सरकार के खजाने में आने वाले प्रत्येक एक रुपये में 58 पैसा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों से आएगा. इसके अलावा 34 पैसा कर्ज और अन्य करों से आएगा. आम बजट 2023-24 के अनुसार, विनिवेश जैसे गैर-कर राजस्व से छह पैसे और गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियों से दो पैसे मिलेंगे.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बुधवार को संसद में पेश किए गए आम बजट के अनुसार माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का सरकार की आमदनी में प्रति एक रुपये के मुकाबले 17 पैसे का योगदान होगा. इसके अलावा कॉरपोरेट कर से 15 पैसे मिलेंगे. सरकार हर रुपये में सात पैसे उत्पाद शुल्क से और चार पैसे सीमा शुल्क से हासिल करेगी. उसे आयकर से 15 पैसे मिलेंगे.

उधार पर ब्याज चुकाने में खर्च हो जाते हैं 20 पैसे:सरकार के खर्च की बात करें तो सबसे बड़ा हिस्सा लिए गए कर्ज पर ब्याज का है. सरकार प्रत्येक एक रुपये के खर्च में 20 पैसे ब्याज चुकाने के लिए खर्च करती है. इसके बाद करों और शुल्कों में राज्यों का 18 पैसे का हिस्सा है. रक्षा के लिए आवंटन आठ पैसे है. केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं पर व्यय प्रत्येक रुपये में 17 पैसे होगा, जबकि केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं के लिए नौ पैसे का आवंटन किया गया है. सब्सिडी और पेंशन पर क्रमशः नौ पैसे और चार पैसे खर्च होंगे. जबकि 8 पैसे अन्य प्रकार के व्यय पर खर्च होंगे.

पहले और अब की तुलना :आमदनी की बात है तो अब आप इसकी तुलना पिछले साल से भी कर सकते हैं. आप पाएंगे कि एक रुपये में 15 पैसे की आमदनी जीएसटी से होती थी. इनकम टैक्स से 14 पैसे मिलते थे. इसी तरह से कॉरपोरेट टैक्स से 13 पैसे, एक्साइज से आठ पैसे, नॉन टैक्स रेवेन्यू से छह पैसे, कस्टम से तीन पैसे, नॉन डेट कैपिटल से पांच पैसे और दूसरी देनदारी से 36 पैसे मिलते थे.

इसी तरह से खर्च की बात करें तो 20 पैसे कर्ज के भुगतान में खर्च हो जाते थे. 16 पैसे टैक्स और शुल्क पर खर्च होते थे. केंद्र सरकार की अलग-अलग योजनाओं पर 13 पैसे, वित्त आयोग और दूसरे ट्रांसफर पर 10 पैसे खर्च होते थे. केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के लिए नौ पैसे, आर्थिक सब्सिडी पर नौ पैसे, पेंशन में पांच पैसे, दूसरे मदों पर 10 पैसे खर्च होते थे.

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