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छत्तीसगढ़ में बड़ा शराब घोटाला, ईडी ने किया 2000 करोड़ के घपले का खुलासा !

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Published : May 7, 2023, 5:56 PM IST

Updated : May 8, 2023, 10:39 PM IST

ईडी ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है. शनिवार को ईडी ने इस मामले में रायपुर महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया. रविवार को ईडी ने पूरी घटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई बड़े खुलासे किए हैं.

Big liquor scam in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में बड़ा शराब घोटाला

रायपुर: छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले का खुलासा हुआ है. ईडी ने शनिवार को रायपुर महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर को अरेस्ट किया. रविवार सात मई को ईडी ने प्रेस नोट जारी कर महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर की गिरफ्तारी की पुष्टि की है. इसके साथ ही ईडी ने शराब घोटाले को लेकर बड़ा बयान जारी किया है. ईडी के मुताबिक "छत्तीसगढ़ में शराब की बिक्री में अभूतपूर्व भ्रष्टाचार हुआ है. हर बोतल की बिक्री से अवैध कमाई की गई है. इसके पक्के सबूत ईडी को मिले हैं. करीब 2000 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के सबूत है. जो मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम यानि की पीएमएलए के तहत आते हैं.

होटल से भागते वक्त हुई अनवर ढेबर की गिरफ्तारी: ईडी के अधिकारियों के मुताबिक "प्रवर्तन निदेशालय ने रायपुर महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर को शनिवार को उस वक्त गिरफ्तार किया. जब वह होटल के पिछले दरवाजे से भागने की कोशिश कर रहा था. अनवर ढेबर सात बार तलब किए जाने के बावजूद मामले की जांच में शामिल नहीं हुआ. वह लगातार बेनामी सिम कार्ड और इंटरनेट डोंगल का उपयोग कर रहा था. इसके अलावा वह स्थान बदल रहा था.जब ईडी ने उन्हें रायपुर के होटल में रोका. तब वह समन स्वीकार करने के बजाय पिछले दरवाजे से भागने की कोशिश करने लगा. फिर उनकी गिरफ्तरी की गई. अरेस्ट करने के बाद विशेष पीएमएलए अदालत ने अनवर ढेबर को चार दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा है."

ईडी ने अनवर ढेबर पर लगाए गंभीर आरोप: ईडी ने अनवर ढेबर पर गंभीर आरोप लगाए हैं. ईडी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि" छत्तीसगढ़ में अनवर ढेबर के नेतृत्व में एक संगठित सिंडिकेट काम कर रहा है. जो उच्च-स्तरीय राजनीतिक अधिकारियों और वरिष्ठ नौकरशाहों की अवैध कार्य को पूरा करने का काम करता है. अधिकारियों के साथ मिलकर अनवर ढेबर ने साजिश रची और घोटाले को अंजाम देने के लिए व्यक्तियों और संस्थाओं का एक व्यापक नेटवर्क तैयार किया. ताकि, इसके तहत छत्तीसगढ़ में बेची जाने वाली शराब की हर बोतल से अवैध रूप से कमाई की जा सके. मार्च 2023 में अनर ढेबर के ठिकानों पर छापे मारे गए थे. इसके अलावा पश्चिम बंगाल, दिल्ली में 35 स्थानों पर छापे मारे गए थे. जिसमें छत्तीसगढ़ के अंदर 2000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले का खुलासा हुआ. इसमें भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत जुटाए गए थे." ईडी ने इस मामले में ट्वीट कर भी जानकारी दी है.

आईएएस अनिल टुटेजा का भी नाम आया सामने: ईडी की तरफ से जारी बयान में आईएएस अनिल टुटेजा पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं. ईडी ने दावा किया है" कि इस पूरे शराब घोटाले और अवैध कमाई में अनवर ढेबर जिम्मेदार है. यह स्थापित हो गया है कि अनवर ढेबर ने शराब की बिक्री से मिले राशि में एक प्रतिशत कटौती के बाद, उन्होंने शेष राशि अपने राजनीतिक आकाओं को दे दी थी. मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला 2022 के आयकर विभाग के चार्जशीट से उपजा है. जो राज्य के आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और अन्य के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में दायर किया गया था."

छत्तीसगढ़ में कैसे होती है शराब की बिक्री: ईडी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में शराब की बिक्री को लेकर भी कई दावे किए गए हैं. राज्य में शराब बिक्री से प्रदेश सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती है. राज्य में जहरीली शराब की बिक्री रोकने के लिए आबकारी विभाग के जरिए शराब की आपूर्ति कराई जाती है. लेकिन इस सप्लाई के उदेश्य को अनवर ढेबर के सिंडिकेट ने बदल दिया. राज्य में शराब व्यापार के सभी पहलुओं की खरीद से लेकर शराब की खुदरा बिक्री तक आबकारी विभाग इसे कंट्रोल करती है. राज्य में किसी भी निजी शराब की दुकान के संचालन की अनुमति नहीं है. राज्य में सभी 800 शराब की दुकानें आबकारी विभाग द्वारा चलाई जाती है. छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड यानि सीएसएमसीएल केंद्रीय रूप से सभी शराब खरीदने का काम करता है. सीएसएमसीएल दुकानों को संचालित करने के लिए टेंडर जारी करता है. उसके बाद शराब बिक्री की प्रक्रिया राज्य सरकार के द्वारा सिलेक्ट किए गए शराब दुकान से शुरू होती है.

राजनीतिक तंत्र का हुआ गलत इस्तेमाल: ईडी की तरफ से जारी बयान में ये भी कहा गया है कि" राजनेताओं और अधिकारियों के समर्थन से अनवर ढेबर की सांठ गांठ सीएसएमसीएल के आयुक्त और एमडी से हुई. फिर अधिकारी विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू और अरविंद सिंह जैसे करीब सहयोगियों के साथ मिलकर अनवर ढेबर ने शराब घोटाले को अंजाम दिया. इसके लिए उन्होंने निजी डिस्टिलर्स, FL-10A लाइसेंस धारकों और आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलीभगत की. इसके अलावा जिला स्तर के आबकारी अधिकारियों, जनशक्ति आपूर्तिकर्ताओं, कांच की बोतल बनाने वालों, होलोग्राम निर्माताओं, कैश कलेक्शन वेंडर आदि से शुरू होने वाले शराब के व्यापार की पूरी चेन को कंट्रोल किया. फिर रिश्वत और कमीशन के तौर पर अधिकतम राशि की उगाही की गई."

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ऐसे हुआ घपला: एजेंसी ने कहा कि "अनवर ढेबर के तहत राज्य में काम करने वाले कथित शराब सिंडिकेट ने 75 और150 रुपये प्रति केस शराब के प्रकार के आधार पर कमीशन लिया. जिसे सीएसएमसीएल द्वारा खरीदे गए प्रत्येक खाते में नकदी के लिए सप्लायर्स से वसूला गया. ईडी ने दावा किया, "अनवर ढेबर ने दूसरों के साथ मिलकर बेहिसाब देसी शराब बनवाना शुरू कर दिया. फिर सरकारी दुकानों के माध्यम से इसे बेचना शुरू कर दिया. इस तरह से वे सरकारी खजाने में एक रुपये भी जमा किए बिना बिक्री की पूरी आय रख सकते थे." जांच में पाया गया कि 2019 और 2022 के बीच, इस तरह की "अवैध बिक्री राज्य में शराब की कुल बिक्री का लगभग 30-40 प्रतिशत थी. इसके तहत 1,200 से 1,500 करोड़ रुपये अवैध शराब की बिक्री हुई."

सोर्स: पीटीआई

Last Updated :May 8, 2023, 10:39 PM IST

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