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ओटीटी सेवाओं पर सुझाव देने के लिए यह उपयुक्त समय नहीं : ट्राई

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Published : Sep 14, 2020, 11:03 PM IST

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने ओटीटी संचार सेवाओं के लिए नियामकीय व्यवस्था के मामले में अपना विचार रखते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीजें और स्पष्ट होने खासकर आईटीयू (अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ) के अध्ययन के बाद मामले पर गौर किया जा सकता है.

कॉन्सेप्ट इमेज
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नई दिल्ली : दूरसंचार नियामक ट्राई ने सोमवार को कहा कि व्हाट्सएप, स्काइप जैसे ओटीटी (ओवर द टॉप) सेवा प्रदाताओं के लिए वर्तमान कानून और नियमों के बाहर कोई व्यापक नियामकीय व्यवस्था की सिफारिश करने के लिए यह उपयुक्त समय नहीं है. नियामक ने तत्काल नियामकीय हस्तक्षेप नहीं करने का फैसला किया है.

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने ओटीटी संचार सेवाओं के लिए नियामकीय व्यवस्था के मामले में अपना विचार रखते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीजें और स्पष्ट होने खासकर आईटीयू (अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ) के अध्ययन के बाद मामले पर गौर किया जा सकता है. आईटीयू इस ओटीटी सेवाओं को लेकर व्यापक अध्ययन कर रहा है.

ओटीटी सेवाओं में वह अनुप्रयोग और सेवाएं आती हैं, जिनका उपयोग इंटरनेट के जरिए किया जाता है और इसके लिए परिचालक के नेटवर्क का उपयोग होता है. स्काइप, वाइबर, व्हाट्सएप और हाइक कुछ लोकप्रिय और व्यापक स्तर पर उपयोग होने वाली ओटीटी सेवाएं हैं.

ट्राई ने यह भी कहा कि ओटीटी सेवाओं से जुड़े निजता और सुरक्षा मुद्दों को लेकर नियामकीय हस्तक्षेप की फिलहाल जरूरत नहीं है.

नियामक ने एक बयान में कहा, 'कानून और नियमों के दायरे से फिलहाल बाहर ओटीटी (ओवर द टॉप) की सेवाओं से संबद्ध विभिन्न पहलुओं के लिए व्यापक नियामकीय व्यवस्था सिफारिश करने के लिए यह उपयुक्त समय नहीं है.'

ट्राई ने नवंबर 2018 में इस प्रकार की सेवाओं के लिए परिचर्चा पत्र जारी किया था. इस परिचर्चा पत्र के जरिए उसने विभिन्न मुद्दों पर उद्योग से अपने विचार देने को कहा था.

नियामक ने कहा है कि बिना कोई नियामकीय हस्तक्षेप के बाजार की शक्तियों (मांग एवं आपूर्ति) को स्थिति का जवाब देने के लिये काम करने की अनुमति दी जा सकती है.

ट्राई ने कहा, 'हालांकि गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी और जरूरत पड़ने पर उपयुक्त समय पर हस्तक्षेप किया जाएगा.'

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देश में दूरसंचार कंपनियां लंबे समय से मांग कर रही हैं कि ओटीटी इकाइयों को नियामकीय व्यवस्था के अंतर्गत लाया जाए क्योंकि वे समान प्रकार की सेवाएं दे रही हैं जबकि उन पर लाइसेंस और शुल्क (जैसे लाइसेंस फी) जैसी कोई बाध्यताएं नहीं हैं.

हालांकि ओटीटी सेवा प्रदाताओं का कहना है कि उनको नियामकीय व्यवस्था के अंतर्गत लाये जाने से नवप्रवर्तन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.

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