वाराणसी.सावन और भादो दो ऐसे महीने होते हैं जिसमें त्योहारों की अधिकता मानी जाती है. त्यौहार के साथ कृष्ण और शुक्ल पक्ष दोनों ने अलग-अलग तिथियों पर कई महत्वपूर्ण व्रत और तिथि भी पड़ती हैं. जैसे आज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानी भाद्रपद अमावस्या (Shani Amavasya 2022) है भाद्रपद अमावस्या को शिव आराधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे कुशा गृहिणी नाम से भी जाना जाता है तो आइए बताते हैं इस दिन की पूजा का विधान और पूजा का समय.
भाद्रपद मास में शनि अमावस्या के बारे में पंडित प्रसाद दीक्षित क्या कहना है कि 28 अगस्त को सुबह 2:07 तक भाद्रपद अमावस्या पर विशेष योग रहेगा. जिसे सर्वार्थ सिद्धि योग कहा जा रहा है सर्वार्थ सिद्धि योग के दिन पूजन से सभी तरह के मनोवांछित फल आपको प्राप्त होंगे. पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 26 अगस्त की दोपहर 12:23 से प्रारंभ हो चुकी है, जो 27 अगस्त शनिवार को दोपहर 1:46 तक समाप्त होगी इसलिए शनि अमावस्या या भाद्रपद अमावस्या का पर्व 27 अगस्त को ही मनाया जाएगा.
पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि अमावस्या तिथि पितृ कर्म यानी श्राद्ध तर्पण करने के लिए फलदाई मानी जाती है और शनिवार को पढ़ने की वजह से यह शनि के प्रकोप और शनि की अढ़ैया और साढ़ेसाती से पीड़ित लोगों के लिए भी काफी अच्छा दिन लेकर आ रही है. आज शाम सनी मंदिर में या फिर हनुमान जी के सामने तेल के दीपक जलाने सनी का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा और भगवान शनिदेव पर तेल भी अर्पित करना उत्तम माना गया है.
पंडित प्रसाद दीक्षित के मुताबिक इस अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन तीर्थ स्नान दान धर्म करने के अलावा भगवान शिव की आराधना करना विशेष फलदाई होता है. इसके अतिरिक्त गंगा किनारे का किसी नदी सरोवर के निकट पितरों की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म भी किया जाता है. अमावस्या के दिन पीपल की परिक्रमा करने का विधान है और किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराने से भी आपकी कुंडली मैं ग्रह अच्छे फल देते हैं.