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Research of BHU: मधुमक्खियों के डंक से होगा कैंसर का इलाज, कीमोथेरेपी से कम हानिकारक होगा, जानिए कैसे?

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Published : Aug 9, 2023, 8:44 PM IST

Updated : Aug 9, 2023, 10:04 PM IST

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के जेनेटिक डिसऑर्डर सेंटर में मधुमक्खियों के डंक से कैंसर की दवा तैयार की जा रही है. इस स्पेशल रिपोर्ट में जानिए अब तक हुए शोध में क्या सामने आया है और कितना कारगर होगा मधुमक्खी का डंक.

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मधुमक्खियों के डंक से निकले विष पर हो रहा शोध.

वाराणसी:मधुमक्खी अगर डंक मार दे, तो इंसान की हालत खराब हो जाती है. अगर हम आपसे कहें कि मधुमक्खी का यही डंक आपकी जान बचा सकता है तो क्या कहेंगे? जी हां, मधुमक्खी के डंक में मौजूद विष से इंसान की जान बचाने की कोशिशें की जा रही है. इसको लेकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं. बीएचयू के जेनेटिक डिसऑर्डर सेंटर में यह शोध काम किया जा रहा है. जिसमें कैंसर के मरीजों को मधुमक्खी के विष से ठीक करने के लिए दवा बनाने की कोशिश की जा रही है. अच्छी बात यह है कि यह दवा के रूप में 80 से 85 फीसदी काम कर रहा है. जिसका प्रयोग चूहे व कैंसर टिश्यू पर किया जा चुका है.

मधुमक्खी का डंक करेगा कैंसर का खात्मा



डेढ़ साल से चला रहा शोधःकाशी हिन्दू विश्वविद्यालय के जेनेटिक डिसऑर्डर सेंटर में कृषि विज्ञान संस्थान के एंटोमोलॉजी विभाग से जुड़े शोधकर्ता इस शोध कार्य में शामिल हैं. यह शोध कार्य लगभग डेढ़ साल से अधिक समय से चल रहा है. इसमें कैंसर के मरीजों पर मधुमक्खी के विष का प्रभाव देखा जा रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक मधुमक्खी का विष कैंसर मरीजों के लिए लाभदायक होता है. यह कैंसर सेल्स को खत्म करता है. कैंसर सेल्स पर काम करने के लिए चूहे पर इसका प्रयोग किया गया है. इसमें अच्छे परिणाम निकलकर सामने आए हैं.


मधुमक्खियों को दिया जाता है इलेक्ट्रिक करंट:कृषि विज्ञान संस्थान बीएचयू के कीट तंत्र विज्ञान के विभाध्यक्ष प्रो. एसवीएस राजू ने बताया कि मधुमक्खी के विष से कैंसर सेल्स को खत्म करने को लेकर शोध कार्य शुरू किया गया है. आस-पास के किसानों और मधुमक्खी पालकों से हम इनका विष इकट्ठा करते हैं. वीनम कलेक्शन ट्रे होता है, जिसमें 9 वोल्ट का करंट दौड़ता है. जैसे ही मधुमक्खी उसपर बैठती है तो उसे हल्का सा करंट का झटका लगता है. इससे मधुमक्खी यह समझती है कि उस पर कोई अटैक हो रहा होगा. वह तुरंत उसपर डंक मार देती है. ट्रे में एक ग्लास की प्लेट लगी रहती है. उसी प्लेट पर उसका विष एक बूंद जैसा गिर जाता है.

बीएचयू में मधुमक्खी के जहर पर हो रहा शोध


चूहों में ट्यूमर विकसित कर विष का प्रयोग:उन्होंने बताया कि मधुमक्खी के विष को इकट्ठा करके एक फ्रिज में रखा जाता है. जिसके बाद विष को 20 डिग्री सेल्सियस पर रखते हैं. फिर विष को लैब में ले जाया जाता है. इसके बाद विष से कैंसर सेल्स का ट्रीटमेंट करते हैं. वहीं, मरीज के ऊपर डायरेक्ट ट्रीटमेंट नहीं किया जा सकता है. इसीलिए कैंसर सेल्स को बाहर से मंगवाया जाता है. जिसपर अलग-अलग तरीके से मधुमक्खी के विष से ट्रीटमेंट करते हैं. ट्रीटमेंट में देखा जाता है कि मधुमक्खी का विष कितनी मात्रा में काम कर रहा है. अभी चूहे में ट्यूमर विकसित उसपर इस विष का प्रयोग किया गया है , जिसके परिणाम अच्छे रहे हैं.

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के जेनेटिक डिसऑर्डर सेंटर में हो रहा शोध.



विष कई बीमारियों को करता है ठीक:विभाध्यक्ष प्रो. एसवीएस राजू ने बताया कि अभी ये शोध शुरुआती प्रक्रिया में है. लैब स्टेज पर ही काम किया जा रहा है. इसके अच्छे परिणाम मिल रहे हैं. इसीलिए आगे चलकर कैंसर मरीजों पर भी काम शुरू किया जाएगा. वहीं, शोधकार्ताओं की टीम से कैंसर इंस्टीट्यूट भी जुड़ा हुआ है. इसमें माइक्रोबायोलॉजी मेडिकल साइंस के लोगों को भी जोड़ा गया है. जनरल मेडिसिन्स से भी हम मरीजों के सेल्स मंगाते रहते हैं. अभी ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि मधुमक्खी के विष के कई गुण हैं. जो हार्ट बीट और ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करता है. वहीं, मधुमक्खी का विष आर्थराइटिस में घुटने का दर्द भी ठीक कर देता है.

मधुमक्खी के विष से कैंसर सेल्स का ट्रीटमेंट

माउथ कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर पर कर रहे शोध:एसवीएस राजू ने बताया कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के जेनेटिक डिसऑर्डर सेंटर में शोधकर्ता माउथ कैंसर, नेक कैंसर पर काम कर चुके हैं. इसमें भी अच्छे परिणाम मिले हैं. इसके बाद ब्रेस्ट कैंसर पर शोध करने की प्रक्रिया हो रही है. माउथ और ब्रेस्ट कैंसर में लगभग 70 से 80 प्रतिशत का रिजल्ट मिला है. वहीं, बीएचयू के सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अख्तर अली ने बताया कि हम कई साल से खून के कैंसर पर शोध कर रहे हैं. सीएमल, एएमएल, एएलएल इसके प्रकार होते हैं. इनकी कई मुख्य वजहें होती हैं. हमारी एक दवा पेटेंट की प्रक्रिया में है.

बीएचयू में शोध करते वैज्ञानिक.


कीमोथेरेपी से कम हानिकारक होगा मधुमक्खी का विष:उन्होंने बताया कि मधुमक्खी के विष का ब्लड कैंसर के अलग-अलग प्रकार पर टेस्ट किया है. करीब 80 से 85 फीसदी की उम्मीद है कि यह दवा के रूप में काम करेगा. इसमें और भी बदलाव करने के बाद इसे दवा के रूप में और भी प्रभावशाली बनाया जा सकता है. अगर साइड इफेक्ट की बात करें, तो कीमोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं की नॉर्मल कोशिकाओं को खत्म करती है. इससे मरीज में कमजोरी आ जाती है. मधुमक्खी का विष नेचुरल प्रोडक्ट है. इससे मरीज की नॉर्मल कोशिकाओं पर हानिकारक प्रभाव उतना नहीं होगा. इस शोध को भी हम पेटेंट के लिए भेजेंगे.



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Last Updated : Aug 9, 2023, 10:04 PM IST

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