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सभी राज्य सरकारों को सीमा सुरक्षा बल के प्रति सहानुभूति और संवेदनशील होने की जरूरत : जगदीप धनखड़

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Published : May 24, 2023, 7:14 PM IST

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने राज्य सरकारों से सीमा सुरक्षा बल के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रखने एवं संवेदनशील बनने के लिए कहने के साथ ही देश के नागरिकों से राष्ट्रीय सुरक्षा कार्य में लगे हुए बीएसएफ का विस्तार एवं समर्थन करने का आह्वान किया. उन्होंने उक्त बातें सीमा सुरक्षा बल के 20वें अलंकरण समारोह के दौरान कहीं.

Vice President Jagdeep Dhankhar
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

नई दिल्ली:उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने बुधवार को सभी राज्य सरकारों, विशेषकर सीमावर्ती राज्यों की सरकारों से सीमा सुरक्षा बल (BSF) के प्रति सहानुभूति और संवेदनशील होने की अपील की है. उपराष्ट्रपति ने उक्त बातें सीमा सुरक्षा बल के 20वें अलंकरण समारोह के दौरान कहीं. रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान-2023 में धनखड़ ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकों से बीएसएफ का विस्तार होने और सीमा सुरक्षा बला का समर्थन करने की भी अपील की. साथ ही उपराष्ट्रपति ने बीएसएफ द्वारा तस्करों से जब्त किए गए मवेशियों की देखभाल के लिए एक तंत्र बनाने का भी आह्वान किया. बता दें कि यह व्याख्यान बीएसएफ के पहले प्रमुख के.एफ. रुस्तमजी की याद में आयोजित किया जाता है, जो 1965-74 के दौरान 3.25 लाख की क्षमता वाले बल के महानिदेशक थे.

उन्होंने कहा कि बीएसएफ कर्मियों को भारत की लंबी और जटिल सीमाओं की रक्षा करने में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि सभी राज्य सकारात्मक कदम उठाएं और अपने तंत्र को संवेदनशील बनाएं जिससे बीएसएफ का मनोबल हमेशा ऊंचा बना रहे. अलंकरण समारोह में 35 बीएसएफ कर्मियों को सम्मानित किया गया, जिसमें वीरता के लिए 2 पुलिस पदक और मेधावी सेवा के लिए 33 पुलिस पदक शामिल थे.

बीएसएफ कर्मियों की भावना की सराहना करते हुए, धनखड़ ने कहा कि वे थार रेगिस्तान, कच्छ के रण, बर्फ से ढके पहाड़ों और पूर्वोत्तर के घने जंगलों जैसी कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी भारत की सीमाओं की रक्षा करते हैं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत पहले की तरह बढ़ रहा है और इस वृद्धि में योगदान देने वाला एक महत्वपूर्ण कारक हमारी सुरक्षित सीमाएं हैं. यह उल्लेख करते हुए कि रुस्तमजी 1977 में स्थापित पहले राष्ट्रीय पुलिस आयोग (NCP) के सदस्य थे, धनखड़ ने कहा, 'राष्ट्रीय पुलिस आयोग की आवश्यकता महसूस की गई क्योंकि 1975 में आपातकाल के एक अंधेरे युग में सबसे बड़े लोकतंत्र में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन, संस्थानों की पराजय, कुछ ऐसा देखा जिसकी संविधान के निर्माताओं ने कभी कल्पना भी नहीं की थी. बड़ी संख्या में लोगों को सलाखों के पीछे डाल दिया गया जिनकी न्यायपालिका तक उनकी पहुंच नहीं थी.'

भारत में न्यायिक सक्रियता की घटना के लिए रुस्तमजी की प्रशंसा करते हुए, धनखड़ ने कहा कि उन्होंने भारत के पहले जनहित याचिका मामले, हुसैनारा खातून बनाम बिहार राज्य के लिए जमीन तैयार की, जिसकी वजह से जेलों में काफी समय से रह रहे भारत में 40,000 विचाराधीन कैदी रिहा हुए. धनखड़ ने कहा कि अगर उस दौरान वह लोग चुपचाप बैठ जाते तो जेलों में ही सड़ते रहते, लेकिन उन्होंने कोशिश की और उसमें उन्होंने सफलता हासिल की. उन्होंने कहा कि कोशिश करने से कभी संकोच नहीं करना चाहिए, असफलता ही सफलता की ओर एक कदम है.

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