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राजस्थान: कार्डियक अरेस्ट से बेटे की हुई मौत तो जोधपुर के इस डॉक्टर ने उठाया ये कदम!

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Published : Jun 4, 2022, 11:08 AM IST

कार्डियक अरेस्ट इन दिनों एक कॉमन डेथ कॉज बनता जा रहा है. ताजा उदाहरण बॉलीवुड के जाने माने सिंगर केके हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि सही समय पर अगर सीपीआर दे दिया जाता तो हो सकता है इस अनहोनी को टाला जा सकता था. ऐसी ही एक अनहोनी से 8 साल पहले जोधपुर के डॉक्टर राजेन्द्र तातेड गुजरे. जवान बेटे को खो दिया. इसके बाद डॉक्टर साहब ने लोगों को उस खास तकनीक से रूबरू कराना शुरू (Jodhpur Dr Tated Mission ) किया जो संकट काल में पीड़ित को बचा सकती है. कैसे, जानते हैं इस रिपोर्ट में...

Rajendra Tated is teaching people about CPR
जोधपुर के इस डॉक्टर ने उठाया ये कदम

जोधपुर.सिंगर केके की मौत के बाद आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट बताती है कि उनकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी. डॉक्टरों की माने तो हार्ट अटैक से ज्यादा खतरनाक कार्डियक अरेस्ट होता है. कार्डियक अरेस्ट में हार्ट एकदम ही काम करना बंद कर देता है. एसे में उस समय अगर किसी व्यक्ति को इसका अहसास हो जाए तो उसे सिर्फ सीपीआर देकर ही बचाया जा (Rajendra Tated is teaching people about CPR)सकता है. लेकिन वह भी तुरंत, अन्यथा इंसान का बचना मुश्किल होता है.

जोधपुर में डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर डॉ राजेंद्र तातेड ने शहर के लोगों को सीपीआर यानी कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन (Cardiopulmonary resuscitation) देना का तरीका सिखाने का बीड़ा उठा रखा है. बीते आठ साल से इस काम को नियमित तौर से कर रहे हैं. इन आठ सालों में लाखों लोगों को सीपीआर देने में प्रशिक्षित कर चुके हैं. डॉ तातेड ने इस मिशन को तब शुरू किया जब उनके बड़े बेटे शैलेश की कार्डियक अरेस्ट की वजह से मौत हो गई थी. शैलेश उस समय सूरत में थे. घर पर उनकी पत्नी और बेटा था. अचानक कार्डियक अरेस्ट हुआ और वो एकदम से गिर गए. अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने बताया कि कार्डियक अरेस्ट की वजह से (DR Rajender Tated teaches CPR) उनकी मृत्यु हो गई है.

जोधपुर के इस डॉक्टर ने उठाया ये कदम

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22 लोगों को दोबारा मिला जीवन:बेटे की मौत के बाद डॉक्टर राजेंद्र तातेड ने लोगों को सीपीआर का प्रशिक्षण देना अपने जीवन का मिशन बना लिया. जोधपुर के अलावा वह देश के कई शहरों में प्रशिक्षण दे चुके हैं. लोग उनके वीडियो से भी प्रशिक्षण ले रहे हैं. डॉ तातेड का कहना है कि वह लोगों को ट्रेंड रेस्कूयर बनाना चाहते हैं. अब तक कई लोगों को वह सीपीआर के बारे में बता चुके हैं. जबकि एक लाख लोगों को वह वन टू वन ट्रेनिंग भी दे चुके हैं. अब तक 22 लोगों को उनकी मुहिम से दुबारा जीवन मिला है.

छाती के बीचों बीच की हड्डी दबाना चाहिए:डॉ तातेड का कहना है कि कार्डियक अरेस्ट आने पर पहले चार से दस मिनट महत्वपूर्ण है. एसे में लोगों को सही तरीके से सीपीआर देना भी नहीं आता है, क्योंकि सभी यह मानते हैं कि हार्ट बाएं तरफ होता है, लोग वहां प्रेशर देते हैं. जबकि हार्ट की सही लोकेशन छाती के बीचों बीच होती है. जिसे स्टेनर्म कहा जाता है. उसे लगातार दबाना चाहिए. यह क्रम एक मिनट में सौ बार तक होना चाहिए. कार्डियक अरेस्ट के दौरान छाती पर जोर इतना लगना चाहिए कि, हड्डी दो इंच तक नीचे चली जाए. उन्होंने बताया कि कार्डियक अरेस्ट आने के बाद अगर यह क्रम लगातार दोहराया जाए, तो मरीज के वापस आने की पूरी संभावना होती है. लेकिन अनभिज्ञता के चलते लोग पसलियों पर जोर लगाते हैं. सही तरीके से लोगों को सीपीआर का पशिक्षण देने के लिए डॉ तातेड ने डमी बॉडी भी खरीद रखी है, जिसे वे साथ लेकर जाते हैं. जोधपुर के पार्क्स, सोसायटियों में अकसर रविवार को वे प्रशिक्षण (DR Rajender Tated Provides training on CPR) देते नजर आते हैं.

चार जगह काम आती है सीपीआर:सीपीआर से चार परिस्थितियों में व्यक्ति को बचाया जा सकता है. जिसमें, कार्डिक अरेस्ट आने पर, किसी के डूबने के तुरंत बाद पानी से निकालने पर या किसी को बिजली करंट के बाद की बेहोशी पर, और भगदड़ मचने के दौरान हार्ट रेसप्रे​ट्री रुक जाना शामिल है. एसे में भी सीपीआर दी जा सकती है. हालांकि भगदड़ की स्थिति में मुंह से मुंह सांस देने के ज्यादा फायदा होता है. लेकिन उसकी तकनीक से हर कोई वाकिफ नहीं है, तो एसे में यहां भी सीपीआर (DR Rajender Tated Provides training on CPR) दिया जा सकता है.

महिलाओं का सीखना जरूरी:डॉ तातेड का कहना है कि वर्तमान समय में विवाह के बाद ज्यादातर पति-पत्नी घर से दूर अकेले रहते हैं. ऐसे में महिलाओं को सीपीआर देना जरूर आना चाहिए. क्योंकि बदलती जीवन शैली में काम के तनाव का शिकार सर्वाधिक युवा हो रहे हैं. अगर यह स्थिति बनती है तो उनके जीवन साथी को यह जानकारी होनी चाहिए ताकि ऐसी किसी स्थिती में उनका जीवन बचाया जा . डॉ तातेड का कहना है कि इस तरह की शिक्षा कक्षा दसवीं के पाठ्यक्रम में भी शुरू हो होनी चाहिए, जिससे बच्चों को जानकारी रहे.

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