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LAHDC Kargil Elections 2023 : नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन की बंपर जीत, BJP को झटका

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 8, 2023, 10:35 PM IST

लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद-करगिल चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने शानदार जीत दर्ज की है. वहीं भाजपा के सिर्फ दो सीटों पर जीत हासिल हुई है. पढ़िए ईटीवी भारत के संवाददाता मीर फरहत की रिपोर्ट...

LAHDC Kargil Elections 2023
लद्दाख कारगिल चुनाव 2023

श्रीनगर: लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद-करगिल चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन ने रविवार को 30 सदस्यीय परिषद में से 22 सीटें जीत लीं, जबकि सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा दो सीटें पार नहीं कर सकी. 5वीं परिषद के चुनावों के नतीजे भाजपा के लिए एक झटका हैं क्योंकि उसने अनुमान लगाया था कि लद्दाख के मतदाता उसे कांग्रेस के मुकाबले में भारी जीत दिलाएंगे, क्योंकि लद्दाख जिसमें कारगिल और लेह जिले शामिल हैं, को 5 अगस्त, 2019 को पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य से एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था. रविवार देर शाम घोषित नतीजों में एनसी ने 26 सीटों में से 12 पर जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस 10, भाजपा 2 और निर्दलीय 2 सीट पर विजयी रहे. अब नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस परिषद का गठन करेंगे और एनसी विजेता उम्मीदवार इसके अध्यक्ष होंगे.

बता दें कि चुनाव में 85 उम्मीदवार मैदान में थे. इनमें से कांग्रेस पार्टी ने सबसे अधिक 22, उसके बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 17 और भाजपा ने 17 को मैदान में उतारा था, जबकि 25 निर्दलीय भी मैदान में थे. परिषद पर एनसी और कांग्रेस गठबंधन का शासन था क्योंकि उनके पास क्रमशः 10 और 8 निर्वाचित सदस्य थे. बीजेपी ने एक सीट जीती थी लेकिन बाद में पीडीपी के तीन निर्वाचित सदस्य पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. नेकां के फिरोज अहमद खान परिषद के अध्यक्ष थे और उन्होंने आज चुनाव जीत लिया. गौरतलब है कि लद्दाख में कारगिल जिला एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र है और जिले के चारों ओर अल्पसंख्यक बौद्ध आबादी बिखरी हुई है. परिषद के 26 सदस्यों के लिए 4 अक्टूबर को चुनाव हुए थे. यहां कुल 95388 मतदाताओं में से 74026 ने वोट डाले थे.

पांच साल के कार्यकाल वाली परिषद लद्दाख एलजी द्वारा शपथ दिलाए जाने के बाद 11 अक्टूबर से काम करना शुरू कर देगी. परिषद के चार सदस्यों को एलजी द्वारा नामित किया जाता है. 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद चुनाव कराए गए थे. चुनाव में जीत पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि नतीजों ने उन सभी ताकतों और पार्टियों को एक संदेश भेजा है, जिन्होंने अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक तरीके से, उनकी सहमति के बिना, जम्मू, कश्मीर और लद्दाख राज्य को विभाजित किया है.

उन्होंने कहा कि इन चुनाव परिणामों को भारतीय जनता पार्टी के लिए एक चेतावनी के रूप में काम करना चाहिए. अब समय आ गया है कि राजभवन और अनिर्वाचित प्रतिनिधियों के पीछे छुपना बंद करें और इसके बजाय जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार के लिए लोगों की उचित इच्छा को स्वीकार करें. लोकतंत्र की मांग है कि लोगों की आवाज सुनी जाए और उनका सम्मान किया जाए. वहीं पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि नतीजे उत्साहजनक हैं क्योंकि लद्दाख के लोगों ने धर्मनिरपेक्ष दलों को वोट दिया है. महबूबा ने एक्स पर पोस्ट किया कि नेकां और कांग्रेस जैसी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को कारगिल में अपनी जीत दर्ज करते हुए देखकर खुशी हो रही है.

यह 2019 के बाद पहला चुनाव है और लद्दाख के लोगों ने बात की है. कम्युनिस्ट नेता और पूर्व विधायक यूसुफ तारिगामी ने कहा कि एलएएचडीसी-कारगिल चुनावों में एनसी-कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन ने अनुच्छेद 370 के निरस्त होने और जम्मू-कश्मीर के विभाजन के बाद विकास की भाजपा की झूठी कहानी को स्पष्ट रूप से उजागर कर दिया है. उन्होंने कहा कि लद्दाख के लोग पहले ही क्षेत्र के प्रति मौजूदा सरकार की नीतियों पर अपनी असहमति और नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कारगिल हिल डेवलपमेंट काउंसिल चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की जीत बीजेपी के लिए झटका है क्योंकि उसे उम्मीद थी कि ठंडे रेगिस्तान को यूटी का दर्जा दिए जाने के बाद लोग उसे वोट देंगे, लेकिन अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने और लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से विभाजित करने की बीजेपी की हार एक जोरदार अस्वीकृति है.

क्षेत्र के लोग कारगिल के लिए राज्य का दर्जा और विधानसभा के साथ छठी अनुसूची का दर्जा और एक और संसद सीट की मांग कर रहे हैं और इन मांगों को भाजपा सरकार ने पूरा नहीं किया है. कारगिल और लेह के दो जिले, जो क्रमशः मुस्लिम और बौद्ध आबादी वाले जिले हैं, ने अपनी मांगों को आगे बढ़ाने के लिए एक गठबंधन बनाया. इसमें लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस- लेह और कारगिल जिलों का प्रतिनिधित्व करने वाले दो समूह शामिल हैं. भारत सरकार ने गृह मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में 17 सदस्यीय समिति भी गठित की थी लेकिन लोगों में बीजेपी के प्रति गुस्सा है क्योंकि सत्ताधारी पार्टी ने अभी तक उनकी कोई भी मांग पूरी नहीं की है.

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