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mangal dosha: कुंडली से मंगल दोष ऐसे करें दूर

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Published : Mar 15, 2023, 2:19 PM IST

mangal dosha
मंगल दोष ()

जब कुंडली में पहले, चौथे, सातवें, आठवें एवं बारहवें भाव में मंगल स्थित हो तो कुंडली मांगलिक मानी जाती है. उसी प्रकार चंद्र कुंडली में भी एक, चार, सात, आठ और बारहवें भाव में मंगल हो तो भी कुंडली में मांगलिक दोष आ जाता है. मांगलिक दोष होने के कारण वर या वधू दोनों की कुंडली मांगलिक होनी चाहिए.

मंगल दोष

रायपुर:ज्योतिषी मानते हैं कि यदि एक की कुंडली मांगलिक है, दूसरे की नहीं तो मंगल दोष का प्रभाव वैवाहिक जीवन को पूरी तरह नष्ट कर देता है. जबकि दोनों की कुंडली में यदि मंगल दोष हो तो मंगल दोष समाप्त हो जाता है. इसी प्रकार कुंडली या चंद्र कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में राहु, केतु, सूर्य अथवा शनि जैसे क्रूर ग्रह स्थित हो तो भी कुंडली मांगलिक मानी जाती है.

इन बातों का रखें ध्यान:ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर का कहना है कि "यदि इन भावों में यह क्रूर ग्रह विद्यमान है, तो भी मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है. 28 वर्ष की उम्र के बाद भी मांगलिक दोष का प्रभाव नहीं रह जाता है. इस प्रकार कुंडली में वर-वधू की कुंडली का मिलान किया जाना चाहिए. यह भी ध्यान रहे कि कोई भी ग्रह अपने घर को नष्ट नहीं करता है. अतः यह ग्रह अगर अपनी राशि में हो अपनी मूलत्रिकोण की राशि में हो या अपनी उच्च राशि में हो ऐसी स्थिति में कुंडली मांगलिक तो होगी, लेकिन मंगल दोष नहीं होगा. बिना कुंडली मिलाएं मंगल दोष के आधार पर विवाह किया जा सकता है. दोनों की कुंडली मांगलिक है, तो भी मंगल दोष खत्म हो जाता है. इसके लिए आपको जिसकी कुंडली मांगलिक है, उसे मंगल दोष का समाप्त किया जाना चाहिए."

ऐसे कराई जाती है शांति:ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर का कहना है कि "उज्जैन स्थित मंगलनाथ मंदिर में इसकी शांति कराई जाती है. मंगल ग्रह के मंत्रों के जाप से भी एवं अन्य विधियों से भी जैसे घट विवाह (वर या वधू जो मांगलिक हो उनकी शादी घट के साथ करा दी जाती) बिहार में कुंडली नहीं मिलाई जाती है. विशेषकर मैथिल ब्राह्मणों में वहां पर विवाह की परंपरा के तहत आम और मऊ में की शादी करा दी जाती है. इस प्रकार मंगल दोष स्वयं ही समाप्त हो जाता है. भले कुंडली में मंगल दोष हो या ना हो मंगल दोष के आधार पर वैवाहिक संबंध को नकार देना उचित नहीं है. क्योंकि यदि मंगल पहले, सातवें और दसवें भाव में हैं, या छठे भाव में हैं, तो उसकी दृष्टि सीधे लग्न पर पड़ेगी."

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ऐसे लोगों पर नहीं पड़ता असर:ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर का कहना है कि "ऐसे जातक बहुत ही सक्रिय और ऊर्जावान होते हैं. ऐसी स्थिति में ऐसे लोग अपने दांपत्य जीवन में ज्यादा सुखी होते हैं. कलयुग के इस भौतिकवादी युग में ऐसे जातक को कन्याए भी सहर्ष से स्वीकार करती हैं. और मंगल दोष का प्रभाव ऐसे लोगों पर नहीं पड़ता और उनका वैवाहिक और दांपत्य जीवन भी सुखमय रहता है."

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