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राज्योत्सव 2021: 23 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है कांकेर

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Published : Oct 31, 2021, 5:05 PM IST

Updated : Oct 31, 2021, 6:30 PM IST

Kanker is deprived of basic facilities
मूलभूत सुविधाओं से वंचित है कांकेर ()

उत्तर बस्तर (North Bastar) के नाम से बने कांकेर(Kanker) जिला को आज पूरे 23 साल हो चुके हैं. बता दें कि 25 मई 1998 को अविभाजित मध्यप्रदेश (Madhyapradesh) के समय कांकेर नया जिला बना था. हालांकि 23 साल होने के बावजूद कांकेर जिले वासियों को आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है.

कांकेरःजहां एक ओर छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) 21 वर्ष का हो रहा है. तो वहीं दूसरी ओर कांकेर (Kanker) जिला भी अब 23 साल का हो गया है. दरअसल, क्षेत्रफल में केरल (Keral) राज्य से भी बड़े बस्तर (Bastar) जिला से अलग होकर उत्तर बस्तर के नाम से बने कांकेर (Kanker) जिले को आज पूरे 23 साल हो चुके हैं. 25 मई 1998 को अविभाजित मध्यप्रदेश (Madhya pradesh) के समय कांकेर (Kanker) नया जिला बना था. हालांकि 23 साल होने के बावजूद कांकेर जिले वासियों को आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है. यहां आए दिन शिक्षा (Education), स्वास्थ्य (Health), सड़क(Road), पानी(Water), बिजली(Electricity) के लिए आम आदिवासी ग्रामीणों को सड़क पर उतर कर प्रदर्शन कर अपनी मांग रखनी पड़ती है.

मूलभूत सुविधाओं से वंचित है कांकेर

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रावघाट परियोजना जल्द होगी शूरू

बता दें कि वर्षों के इंतजार के बाद आखिर छत्तीसगढ़ में लौह अयस्क निकालने की रावघाट परियोजना का अब बहुत जल्द आरंभ होना तय माना जा रहा है. भिलाई स्टील प्लांट के लिए आक्सीजन की भूमिका निभाने वाले रावघाट परियोजना में रावघाट तक रेल पटरी बिछाना इतना आसान नहीं था. वर्षों की रणनीति एवं उचित प्रबंधन की वजह से इंजीनियरों एवं सुरक्षा बलों ने इस परियोजना को लगभग अमलीजामा पहना ही दिया है.

पानी, सड़क, शिक्षा को तरस रहे लोग

हालांकि जिले में चार साल से लौह अयस्क खनन में 340 करोड़ की रॉयल्टी के बाद भी माइंस प्रभावित गांव के ग्रामीण आज भी पानी, सड़क, शिक्षा स्वास्थ्य के लिए तरस रहे हैं. राज्य निर्माण के बाद इन 20 सालों में पहले के पांच और वर्तमान दो साल में कांग्रेस ने राज किया . जबकि बीच के महत्वपूर्ण 15 साल में भाजपा की सत्ता रही लेकिन जिले की जनता ने विकास के सपने संजोये थे वे आज भी अधूरे रह गये हैं.

बेरोजगारी बड़ी समस्या

लौह अयस्क से भरपूर इस आदिवासी बाहुल्य जिले में उद्योग के अभाव में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरी है. कांकेर जिले में बेरोजगारों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. जिले में 77 हजार 962 शिक्षित बेरोजगारों में पुरूष 47 हजार 108 तो 30 हजार 854 महिलाएं हैं. इस कड़ी में भी रोजगार कार्यालय में 6 हजार 497 युवा अब तक पंजीयन करा चुके हैं. हर साल 3 से 5 हजार बेरोजगार युवक पंजीयन करा रहे है.

कई प्राकृतिक पर्यटन स्थल

प्रकृति ने पर्यटन के रूप में कई ऐसे स्थल दिये हैं. लेकिन करोड़ों रुपये आंवटित होने के बावजूद ये जगह पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हो सका है. जिले में स्थित मलांजकूडूम, चर्रे-मर्रे जलप्रपात, गढ़िया पहाड़, सहित दर्जनों प्रकृति की देन हैं. लेकिन आज तक पर्यटन के रूप में विकसित नहीं किया जा सका है.

शिक्षा की दुर्गति

वहीं, जिले को राज्य गठन के बाद पहली बार सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल की सौगात मिली. ऐतिहासिक नरहरदेव स्कूल को स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में बदला गया. जिला मुख्यालय में तो एक स्टैंडर्ड स्कूल खोला गया, लेकिन कांकेर के अंदरुनी क्षेत्रों में अब भी शिक्षा की दुर्गति है. अंदरुनी क्षेत्रो में आज भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में स्कूल भवन मरम्मत की बाट जोह रहा है. स्कूलों में आज भी शिक्षक की कमी के कारण नौनिहाल पढ़ाई से वंचित हो रहे है. रोज आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में शिक्षा को लेकर बच्चों और पालकों को सड़क पर उतर कर प्रदर्शन करना पड़ रहा है.

शिक्षा की व्यवस्था सही नहीं

साथ ही हजारों आदिवासी छात्र एवं छात्राओं को माध्यमिक या उच्चशिक्षा से महज इसलिए वंचित किया जा रहा है. क्योंकि वे जाति और निवास प्रमाण पत्र हासिल नहीं कर पा रहे है. 50 साल की राजस्व मिसल रिकॉर्ड वंशावली के लिए सरपंच से लेकर पटवारी कलेक्टर, तहसीलदार के चक्कर काटने के बावजूद स्थाई प्रमाण पत्र नहीं मिल रहा है. एक सर्वेक्षण के मुताबित सिर्फ कोयलीबेड़ा विकासखंड में ही 3000 से ज्यादा बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी है. एक आंकड़े की बात करे तो कोयलीबेड़ा के 18 पंचायतों में शिक्षा क्षेत्रों पर नजर डालें तो लगभग 50000 तक जनसंख्या है. कॉलेजों में उच्च शिक्षा की ठीक से व्यवस्था नहीं है. हायर सेकंड्री स्कूल 2 है जिसमे एक में भवन नहीं है. एक में भवन अधूरा है. हाई स्कूल 6 है. मिडिल स्कूल 24 है. प्रायमरी स्कूल 94 है, तो कॉलेज है ही नहीं.

स्वास्थ्य व्यवस्था से वंचित लोग

दो साल पूर्व जिले को मिली मेडिकल कालेज की सौगात स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिले की जनता को उम्मीद की किरण दिखाया है.जिले में उपस्वास्थ्य केंद्र 249, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 35, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 8,सिविल अस्पताल 1, जिला अस्पताल 1 है. कांकेर जिले में स्वीकृति के बावजूद भी 66 चिकित्सकों के पद रिक्त हैं. स्वीकृत 158 में 92 चिकित्सक कार्यरत हैं. 66 चिकित्सकों के पद अब भी रिक्त हैं. यही हाल जिले में कर्मचारियों का है. जिले में 2 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित ही नहीं हो रहे हैं. कोयलीबेड़ा विकासखंड में नक्सलियों के द्धारा ध्वस्त किए गए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अभी तक वीरान हैं. वहीं उसी क्षेत्र के गोंडा में भी भवन नहीं होने के चलते प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित नहीं हो पा रहा है. वहीं, उत्तर बस्तर क्षेत्र में कई ऐसे गांव हैं. जहां स्वास्थ्यकर्मी पहुंचते ही नहीं हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव जिला मुख्यालय से करीब 100 से 110 किलोमीटर दूर हैं. बारिश के समय हालात और भी बदतर हो जाते हैं. मरीजों को नाव के सहारे नदी पार करनी पड़ती है. रात के समय नाव की सुविधा भी नहीं मिल पाती है.

मुख्यमंत्री की सौगत

राज्य निर्माण के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कांकेर जिले के लोगों को दो बड़ी सौगात दी. सभा को संबोधित करते हुए सीएम ने उप तहसील सरोना व कोरर को पूर्ण तहसील व कोड़ेकुर्से व बड़गांव को उप तहसील बनाने की घोषणा की. सीएम ने जिला अस्पताल में बेहतर सुविधाओं और राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के लिए भी करोड़ों रुपये की सौगात दी है. लेकिन अब तक चौड़ीकरण शुरू नहीं हो पाया है.

हृदय स्थल का सीसी सड़क बदहाल

नीचे रोड से दूध नदी पुल तक करीब तीन करोड़ की लागत से सीसी सड़क का निर्माण हुआ था. निर्माण कार्य पूरे हुए तीन महीने का समय ही बीता है और सीसी सड़क जगह-जगह से उखड़ने लगी है. जो लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. तीन महीने में ही सड़क के उखड़ने से इसकी गुणवत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है.

इन 23 सालों में पहले के पांच और वर्तमान दो साल में कांग्रेस ने राज किया. जबकि बीच के महत्वपूर्ण 15 साल में भाजपा की सत्ता रही. लेकिन जिले की जनता ने जो विकास के सपने संजोये थे. वो आज भी अधूरे रह गये हैं. पर्यटन, परिवहन जैसे मूलभूत सुविधाओं के लिए भी जिले के लोग दूसरे जिले या राज्यों पर निर्भर हैं. ऐसा नहीं कि जिले की जनता को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने केंद्र या राज्य सरकारों से राशि नहीं मिली. लेकिन जनप्रतिनिधि और अधिकारियों के बीच कमीशन के बंदरबाट से हर निर्माण कार्यों का बंटाधार हो गया.

जिले की सामान्य जानकारी

  • जिले की स्थापना - 25 मई 1998
  • जिले का भौगोलिक क्षेत्र फल वर्ग कि.मी. में - 6432 वर्ग कि.मी.
  • वन क्षेत्र वर्ग कि.मी. में - 1863 वर्ग कि.मी.
  • औसत वार्षिक वर्षा मी.मी. में - 1539.9 मी.मी.
  • लोक सभा क्षेत्र - क्रमांक 11 कांकेर
  • विकास खण्डों की संख्या एवं नाम- 07 (कांकेर, भानुप्रतापपुर, नरहरपुर, चारामा, अंतागढ़, कोयलीबेड़ा, दुर्गूकोन्दल)
  • ग्राम पंचायतों की संख्या - 386
  • आबादी गांव की संख्या - 1078
  • वन ग्रामों की संख्या - 09
  • नगरीय निकायों की संख्या - 05
  • जिले की कुल जनसंख्या(2001 की स्थिति में) - 6,50,934
  • पुरूष - 3,24,636
  • महिला - 3,26,298
  • अनुसूचित जाति - 27,663
  • अनुसूचित जनजाति - 3,65,031
  • साक्षरता दर -72.93 प्रतिशत
  • कृषि भूमि क्षेत्रफल - 2,80,000
Last Updated :Oct 31, 2021, 6:30 PM IST

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