बिहार में लाखों लोगों को प्रभावित करने वाली कोसी नदी (Kosi River) की कहानी बस इतनी है कि हर बार बस 'वर्ष' बदलता है, कहानी वही होती है. बांध का टूटना, खेतों का उजड़ना, लोगों और जानवरों की जिन्दा जल समाधि. हजारों लोगों का विस्थापन और बाढ़ राहत के नाम पर एक बार फिर करोड़ों रुपए का खर्च. लेकिन इसके बावजूद स्थिति जस की तस. लोग हर साल तबाही का मंजर देखते हैं. कब किस क्षेत्र में बांध टूट जाए, लोगों के मन में डर समाया रहता है. कोसी-सीमांचल इलाके में हर साल लोग दहशत में रहते हैं. ना जानें कब कोसी किस तरफ रुख कर ले. कहां बांध टूट जाए.