पटना: 1967 में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के नक्सलबाड़ी गांव से शुरू हुआ 'लाल सलाम' नक्सलवादी के नाम से जाना जाने लगा. नक्सलवादी संगठनों ने जैसे-जैसे अपने पांव पसारे, इनकी हिंसा की घटनाएं बढ़ने लगी. बंगाल से सटे बिहार के कई जिलों में लाल सलाम का नारा गूंजने लगा. हालात ऐसे हो गए कि लाल रंग का आतंक बिहार में भी दिखने लगा. ऐसे में सरकार के सामने नक्सलियों पर लगाम लगाने की एक और चुनौती खड़ी हो गई. देखें ये रिपोर्ट...