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बेतिया: शिक्षक ने सिखाई खेती की नई तकनीक, कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रहे किसान

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Published : May 3, 2020, 5:53 PM IST

शिक्षक रमेश कुशवाहा ने बताया कि वर्तमान में परंपरागत तकनीक से किसी भी फसल में लाभ नही कमाया जा सकता, इसलिए किसानों को नई तकनीक से ही खेती करनी चाहिए. इससे खेती कर किसान सालाना 8-10 लाख कमा सकता है.

Teacher showed new farming techniques
Teacher showed new farming techniques

बेतिया: जिले के पिपरासी प्रखंड के कतकी गांव निवासी रमेश कुशवाहा इस समय दियारा के किसानों के मार्गदर्शक बने हुए है. वे दियारा क्षेत्र के किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन की शिक्षा दे रहें हैं. शिक्षक रमेश ने नई तकनीक से सब्जी बोने का काम शुरू किया है, जो इस समय अच्छी पैदावार भी दे रही है. इससे लॉक डाउन में मजदूरों को काम और गांव के लोगों को सस्ती सब्जी भी मुहैया हो रही हैं. इसे लेकर शिक्षक को चारों तरफ सराहा जा रहा है.

शिक्षक की नई तकनीक बनी चर्चा का विषय
पिपरासी के सीमावर्ती यूपी के बुलहवा बाजार के प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षक रमेश कुशवाहा पिपरासी के कतकी गांव में रहते है. इन दिनों उनकी खेती करने का तरीका पूरे प्रखंड में चर्चा का विषय बना हुआ है. शिक्षक रमेश कुशवाहा ने बताया कि वर्तमान में परंपरागत तकनीक से किसी भी फसल में लाभ नही कमाया जा सकता, इसलिए किसानों को नई तकनीक से ही खेती करनी चाहिए.

नई तकनीक से खेती कर सालाना 8-10 लाख कमा सकता है किसान
नई तकनीक से सब्जी बोने के झमडा बनाना होता है.इस झमडा पर ही सब्जी पैदा होती है. इसके लिए एक एकड़ में ढाई क्विंटल तार जिसकी कीमत 18,250 रुपये, 150 बांस जिनकी कीमत 20 हजार, 40 किलोग्राम रस्सी इसकी कीमत 6 हजार, मजदूरी 10 हजार लगेगी. वही बांस को 8 और 4 फीट की दूरी पर लगाना है, यह ढांचा तीन साल चलेगा. इसके बाद एक एकड़ में 1650 करेला और परवल के पौधे जिनकी कीमत लगभग 3600 और 7 से 8 हजार रुपये है, लगाई जा सकती है. इन पौधों को चार फीट की दूरी पर लगाया जाएगा. वही बेड में भिंडी व चुकंदर भी बो सकते है, नई तकनीक से खेती करने में एक एकड़ में लगभग 60 हजार रुपये लागत आएगी. वही उत्पादन रोजाना करेला और परवल तीन से चार-चार क्विंटल निकलेंगे. इस तरह किसान हर साल आठ से दस लाख रुपये आराम से कमा सकते है.

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