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'मजदूर की भूख से मौत', जिला प्रशासन ने किया इनकार, बताया बीमारी को कारण

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Published : May 15, 2020, 12:06 PM IST

शेखपुरा
शेखपुरा

परिवारवालों का कहना है कि पिछले तीन दिनों से घर में अन्न का एक दाना भी नहीं था, इसलिए भूख से बुजुर्ग की मौत हो गई. वहीं, प्रशासन ने भूख से मौत होने की बात से इनकार किया है.

शेखपुरा: जिले में कथित तौर पर भूख से एक बुजुर्ग की मौत होने का मामला सामने आया है. परिवार वालों का आरोप है कि पिछले चार-पांच दिनों से घर में अन्न का एक दाना भी नहीं था. वहीं, मामले में जिला प्रसाशन ने मजदूर की मौत की वजह बीमारी को बताया है.

जानकारी के मुताबिक, मृतक की पहचान शेखपुरा के जमालपुर मुहल्ले के 35 वर्षीय रोहित उर्फ छोटू मांझी के रूप में हुई है. बताया जा रहा है कि छोटू मांझी मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करता था. बीमारी और लॉकडाउन की वजह से उसका कामकाज बंद था. स्थानीय लोगों के अनुसार तंगी के दौरान उसे कोई प्रशासनिक सहायता भी नहीं मिली. जिसका परिणाम रहा कि छोटू मांझी 21वीं सदी में भूख से मौत का शिकार हो गया.

मृतक की बेटी

'तीन दिनों से नहीं जला घर का चूल्हा'
ईटीवी से बातचीत में मृतक की बेटी ने बताया कि पिछले चार-पांच दिनों से घर में राशन नहीं है. जिसके कारण भूख की वजह से उसके पिता की मौत हुई है. अन्य पारिवारिक सदस्यों ने बताया कि रोहित मांझी के परिवार के पास न तो सिर पर छत है और न ही राशन कार्ड है. जिस वजह से उसका परिवार सरकारी योजनाओं से भी वंचित है. स्थानीय शारदा देवी ने बताया कि कुछ दिनों पहले जब वो छोटू मांझी के घर गई थी, तो पता चला कि घर में अनाज नहीं था और तीन दिनों से घर का चूल्हा नहीं जला था.

सत्येंद्र प्रसाद, डीपीआरओ

जिला प्रशासन ने कहा- बीमारी से हुई मौत
गौरतलब है कि इस पूरे मामले में प्रशासन ने छोटू मांझी की भूख से मौत होने की बात से इनकार किया है. इस बाबत डीपीआरओ सत्येंद्र प्रसाद ने बताया कि प्रभारी पदाधिकारी डॉ. अशोक कुमार सिंह ने मृतक का निरीक्षण किया और बताया है कि आंत अवरुद्ध होने और ससमय सही जगह पर इलाज नहीं होने के कारण उसकी मृत्यु हुई है. मृतक तीन दिन से बुखार से पीड़ित था. आज स्थानीय ढंग से इलाज भी कराया था. मृतक स्वस्थ था और भूख से मृत्यु का कोई लक्षण नहीं था.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'शव अंत्येष्टि के लिए प्रशासन ने दी आर्थिक मदद'
डीपीआरओ ने बताया कि मृतक बीपीएल कार्डधारक थे और 20 दिन पहले ही अनाज लिये थे. प्रशासन की तरफ से तत्काल कबीर अंत्येष्टि के तहत तीन हजार और पारिवारिक लाभ के तहत 20 हजार रुपये मौके पर दिया गया. शव अंत्येष्टि के लिए आर्थिक मदद दे दी गई है. वहीं, स्थानीय लोगों ने बताया कि इस परिवार को दो साल से कोई सरकारी राशन नहीं मिला है. हालांकि, राशन कार्ड था जिसे उसकी मानसिक रूप से बीमार पत्नी ने फाड़ दिया. कार्यपालक पदाधिकारी ने मौके पर मजदूर के मौत के बाद दो पैकेट राशन उपलब्ध कराया है. जिसमें आटा, चावल, आलू सहित अन्य सामग्री शामिल है.

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