पटना: बिहार में हर साल बाढ़ ( Flood in Bihar ) से भारी तबाही होती है. जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं. कई लोगों के घर बाढ़ में बह जाते हैं तो कई को जान से हाथ धोना पड़ता है. वहीं बाढ़ से बचाव के लिए जो तमाम उपाय केंद्र और बिहार सरकार ( Bihar Government ) की ओर से किए गए हैं, लेकिन मर्ज बढ़ता गया. अब स्थिति यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर बिहार में बाढ़ प्रभावित इलाके भले ही कम हो लेकिन बाढ़ से होने वाली तबाही सबसे ज्यादा है.
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42 साल से समस्या जस की तस
राज्य में 3800 किलोमीटर से अधिक लंबाई में तटबंध का निर्माण कराया गया, लेकिन इससे बाढ़ की समस्या खत्म नहीं हुई. पिछले 42 साल से बिहार की बड़ी आबादी के लिए कहर बना है. इसमें एक बड़ा योगदान नेपाल से आने वाल पानी का है. जिसकी वजह से कोसी, कमला, बागमती, गंडक, महानंदा और गंगा मानसून के समय बेहद खतरनाक रूप ले लेती हैं. इस दौरान बिहार के आधे से ज्यादा जिले बुरी तरह प्रभावित होते हैं. इसमें ना सिर्फ लोगों के जानमाल बल्कि खेती का भी बड़ा नुकसान होता है.
मिथिलांचल-सीमांचल सबसे ज्यादा प्रभावित
विशेष रूप से अगर कोसी नदी की बात करें तो लंबे समय से कोसी अपना रास्ता बदल रही है. अब तक कम से कम 20 बार अपना रास्ता बदल चुकी है. जिसकी वजह से पूरा मिथिलांचल और सीमांचल कोसी का कहर झेलने को मजबूर होता है. हर साल हजारों लोग बाढ़ की वजह से बेघर हो जाते हैं और उनके पास सरकारी मदद मिलने तक कोई और उपाय नहीं होता.
हर साल क्यों आती है बाढ़?
बिहार में बाढ़ की तबाही मुख्य तौर से नेपाल से आने वाली नदियों के कारण ही आती है. कोसी, नारायणी, कर्णाली, राप्ती, महाकाली जैसी नदियां नेपाल के बाद भारत में बहती हैं. नेपाल में जब भी भारी बारिश होती है तो इन नदियों के जलस्तर में वृद्धि हो जाती है. नेपाल में जब भी पानी का स्तर बढ़ता है वह अपने बांधों के दरवाजे खोल देता है, इसकी वजह से नेपाल से सटे बिहार के जिलों में बाढ़ आ जाती है. बाढ़ से बचाव के लिए तटबंध बनाए गए लेकिन ये तटबंध अक्सर टूट जाते हैं. बाढ़ से 2008 में जब कुसहा तटबंध टूटा था तो करीब 35 लाख की आबादी इससे प्रभावित हुई थी और करीब चार लाख मकान तबाह हो गए थे.
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कैसे रुक सकती है बर्बादी
बाढ़ नियंत्रण रिपोर्ट के मुताबिक, इस बर्बादी को रोका जा सकता है. एक और रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में बाढ़ की बर्बादी रोकी जा सकती है. अगर पानी को जल्द समुद्र में ले जाया सके, लेकिन यह तभी संभव है जब पानी के रास्ते में आने वाली रुकावट की सभी चीजों को हटा दिया जाए. विशेष रूप से बांध पानी के बहाव को रोकने की बड़ी वजह है. यही वजह है कि बांध बिहार में बर्बादी का एक बड़ा सबब है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
गंगा आंदोलन से जुड़े और बाढ़ की विस्तृत जानकारी रखने वाले रंजीव ने बताया कि कि अगर पिछली सरकारों ने नदियों को बांधने की वजह उन्हें बहने की पूरी छूट देना चाहिए थी. बाढ़ से बचाव के लिए केंद्र और बिहार सरकार ने अंग्रेजों के जमाने के उपाय ही सिर्फ अपनाये, सिर्फ तटबंध बनाने से समस्या का समाधान नहीं निकलेगा.