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पटना: आयुर्वेद अस्पताल में आंखों की फंगल बीमारियों का ट्रीटमेंट शुरू

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Published : May 15, 2021, 8:35 PM IST

कोरोना काल में संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में ब्लैक फंगस का खतरा काफी बढ़ गया है. ऐसे में पटना के आयुर्वेद अस्पताल में आंखों से जुड़ी फंगल बीमारियों का ट्रीटमेंट शुरू हो गया है. देखिए ये रिपोर्ट.

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पटना:कोरोना वायरस का दुष्प्रभाव ब्लैक फंगसके रूप में काफी बढ़ रहा है. प्रदेश में अब तक 20 से अधिक ब्लैक फंगसके मामले सामने आ चुके हैं. जिसमें से एक मरीज की मौत भी हो चुकी है. ये ब्लैक फंगस की बीमारी 'म्यूकरमाइकोसिस' के नाम से मॉडर्न मेडिसिन के फील्ड में जाना जाता है. पटना के एम्सऔर आईजीआईएमएस समेत कुछ निजी अस्पतालों में कुल 20 मरीजों की पुष्टि हुई है, जिनमें ब्लैक फंगस पाया गया.

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फंगल बीमारियों का ट्रीटमेंट
पटना में एक पैथोलॉजी डॉक्टर के पिता जो कोरोना से उभर चुके थे, लेकिन बाद में ब्लैक फंगस की बीमारी डायग्नोस हुई और इससे उनकी मौत भी हो गई. पटना के विभिन्न अस्पतालों में जहां ब्लैक फंगस के मामले मिले हैं, वहां मरीजों का उपचार चल रहा है. वहीं, दूसरी तरफ पटना के आयुर्वेद अस्पताल में भी आंखों से जुड़ी फंगल बीमारियों का ट्रीटमेंट शुरू हो गया है.

डॉ.दिनेश्वर प्रसाद, प्राचार्य, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय पटना

''आयुर्वेद में आंखों से जुड़ी फंगल बीमारियों के ट्रीटमेंट के लिए क्रिया कल्प तकनीक है और अस्पताल में इसकी शुरुआत की गई है. इसमें आंखों का तर्पण किया जाता है और इस पद्धति में आयुर्वेदिक जड़ी बूटी और शुद्ध देसी घी से बनी लिक्विड दवाओं का मिश्रण तैयार कर मरीज की आंखों पर लेप चढ़ाया जाता है. काफी संख्या में उनके पास ऐसे लोग आ रहे थे जो शिकायत कर रहे थे कि कोरोना के बाद उनकी आंखों की रोशनी कम हो रही है.''-डॉ.दिनेश्वर प्रसाद, प्राचार्य, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय पटना

आंखों की फंगल बीमारियों का ट्रीटमें

आयुर्वेद अस्पताल में इलाज शुरू
राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि पोस्ट कोविड-19 बीमारियों के लिए कोई विशेष उपचार उपलब्ध नहीं है. कायाकल्प विधि से आंखों के फंगल बीमारियों के इलाज की लंबी प्रक्रिया है और इसके लिए अस्पताल में मरीज को 10 से 15 दिनों तक रखा जाता है और उनका ट्रीटमेंट चलता है. अभी के समय में चार-पांच मरीज हैं, जिनका इलाज चल रहा है.

देखिए ये रिपोर्ट

इलाज की पद्धति काफी किफायती
दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि मॉडर्न मेडिसिन फील्ड के कई चिकित्सक भी उनके संपर्क में है और यह बीमारी अभी अनुसंधान का विषय है. मगर आयुर्वेद में लक्षण के अनुसार पद्धति वर्णित है, पूरी उम्मीद है कि इसमें उन्हें निश्चित तौर पर लाभ मिलेगा और आने वाले दिनों में एक इतिहास कायम होगा. आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के माध्यम से भी लोगों को लाभ मिले इस उद्देश्य से यह इलाज की प्रक्रिया शुरू की गई है. इसका कोई नुकसान नहीं है और यह काफी किफायती इलाज प्रक्रिया है.

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उन्होंने कहा कि इस पद्धति में यही दिक्कत है कि इसका ट्रीटमेंट इंडोर होता है और इसके लिए मरीज को 10 से 15 दिन भर्ती रखना पड़ता है. ये इंस्टीट्यूशनल हॉस्पिटल है इसलिए यहां वैसे इलाज होते हैं, जो बाकी जगह नहीं होते हैं और यहां एमएस की पढ़ाई भी होती है, तो एमएस के छात्रों को शिक्षक क्रियाकल्प विधि को प्रैक्टिकल के माध्यम से भी सिखा रहे हैं.

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