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बिहार में अबतक 15 से 18 वर्ष के 41.77% बच्चों का हुआ टीकाकरण, जानिए किन कारणों से सुस्त पड़ी रफ्तार

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Published : Jan 22, 2022, 8:46 PM IST

कोरोना महामारी से निपटने के लिए बिहार में कोरोना टीकाकरण (Corona Vaccination in Bihar) तेजी से चल रहा है. 3 जनवरी से 15-18 साल के बच्चों को भी वैक्सीन (Vaccine For Children of 15-18 Years) दी जा रही है. हालांकि टीकाकरण की रफ्तार थोड़ी सुस्त है. इसकी एक वजह ठंड भी बताई जा रही है. पढ़ें ये रिपोर्ट...

बच्चों को कोरोना की वैक्सीन
बच्चों को कोरोना की वैक्सीन

पटना: इस साल 3 जनवरी से बिहार में भी बच्चों को कोरोना की वैक्सीन (Corona Vaccine For Children) दी जा रही है. राज्य सरकार ने 15-18 साल के बच्चों को वैक्सीन (Vaccine For Children of 15-18 Years) दिलाने के अपने अभियान के तहत 31 जनवरी तक सभी 83.46 लाख बच्चों को फर्स्ट डोज से टीका खरीद करने का लक्ष्य रखा है लेकिन 22 जनवरी तक प्रदेश में 15 से 18 वर्ष के बच्चों के वैक्सीनेशन की रफ्तार काफी सुस्त है. प्रदेश में अब तक इस उम्र वर्ग के 34.86 लाख बच्चों का वैक्सीनेशन हो पाया है. वैक्सीनेशन औसत 41.77% की है. प्रदेश का वैक्सीनेशन औसत राष्ट्रीय वैक्सीनेशन दर से 12 फीसदी कम है. देश में राष्ट्रीय वैक्सीनेशन दर 15 से 18 वर्ष के बच्चों का 53% के करीब हो चुका है.

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बच्चों के वैक्सीनेशन के मामले में राष्ट्रीय औसत से प्रदेश के 2 जिले ऊपर हैं. बच्चों के वैक्सीनेशन के मामले में जमुई जिला बिहार में टॉप बना हुआ है और यहां पर 57.74% वैक्सीनेशन के साथ 77908 वैक्सीनेशन हुए हैं. दूसरे नंबर पर पूर्वी चंपारण है जहां 55.43% वैक्सीनेशन के साथ 207737 वैक्सीनेशन हुए हैं. वहीं 15 से 18 वर्ष के बच्चों के वैक्सीनेशन को लेकर प्रदेश के फिसड्डी जिलों की बात करें तो किशनगंज फिसड्डी जिला है और यहां 23% वैक्सीनेशन के साथ 33704 वैक्सीनेशन हुए हैं. प्रदेश की राजधानी पटना भी फिसड्डी जिलों में शामिल है और यहां 35.32% वैक्सीनेशन के साथ 15 से 18 वर्ष के 174242 वैक्सीनेशन हुए हैं.

हाल के दिनों में प्रदेश में 15 से 18 वर्ष के बच्चों के वैक्सीनेशन की रफ्तार घटी है. 15 से 18 वर्ष के बच्चों के वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत के बाद शुरुआती सप्ताह में बच्चों के वैक्सीनेशन के मामले में बिहार टॉप 5 राज्यों में शामिल था. हाल के दिनों में 15 से 18 वर्ष के बच्चों के वैक्सीनेशन में काफी गिरावट आई है. इस मामले पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने अधिकृत जानकारी नहीं दी लेकिन चार कारण गिनाए जिन वजहों से बच्चों के वैक्सीनेशन का रफ्तार कम हुआ है.

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  1. ठंड का बढ़ना- ठंड अधिक बढ़ गया और इस वजह से बच्चे घर से वैक्सीनेशन सेंटर तक निकलकर जाने में संकोच से भरे रहे और अभिभावकों ने भी अधिक दिलचस्पी नहीं ली.
  2. स्कूल का बंद होना- कोरोना के मामले बढ़ने पर स्कूल बंद कर दिए गए ऐसे में स्कूल में स्पेशल वैक्सीनेशन के लिए बुलाने पर संख्या के मुताबिक बच्चे वैक्सीनेशन के लिए नहीं पहुंचे. बच्चों के अभिभावकों का कहना था कि सिर्फ वैक्सीन लेने के लिए स्कूल जाने कि बच्चे को जरूरत नहीं है समय मिला तो कभी भी नजदीकी वैक्सीनेशन सेंटर पर वैक्सीनेशन कराया जा सकता है.
  3. संक्रमण के मामले का बढ़ना- जनवरी के महीने में 7 जनवरी के बाद अचानक काफी तेजी से संक्रमण के मामले बढ़े, 18 वर्ष से कम उम्र वाले काफी संख्या में बच्चे संक्रमित हुए और काफी बच्चों में संक्रमण के लक्षण दिखने लगे. चिकित्सीय परामर्श और आईसीएमआर के गाइडलाइन के अनुरूप बच्चे कुछ दिनों के लिए आइसोलेटेड हो गए ऐसे में इन बच्चों के अभिभावकों का मानना है कि बच्चे पूरी तरह स्वस्थ होंगे और सर्दी जुकाम की शिकायत नहीं रहेगी तभी वह बच्चे का टीकाकरण कराएंगे.
  4. स्कूलों के फ्लाइंग स्टूडेंट- प्रदेश भर के सभी जिलों और खासकर राजधानी पटना कि यह गंभीर समस्या है. बच्चों के वैक्सीनेशन को लेकर सरकार ने जब स्कूलों से 15 से 18 वर्ष के बच्चों की संख्या मांगी तब स्कूलों ने उनके यहां जितने भी नामांकित बच्चे हैं सभी की सूची दे दी. सरकारी विद्यालयों में 15 से 18 वर्ष के अधिकांश बच्चे इंटरमीडिएट कक्षा में पढ़ते हैं. ऐसे में प्रदेश के सरकारी प्लस 2 स्कूलों में काफी संख्या में ऐसे बच्चे नामांकित हैं जिन्होंने अपना नामांकन स्कूल में कराया है लेकिन पढ़ाई के लिए वह कोटा, दिल्ली, रांची और प्रदेश के अन्य दूसरे राज्यों में है जहां वह इंजीनियरिंग, एनडीए और मेडिकल जैसे एग्जाम की तैयारी करते हैं.

हालांकि राजधानी पटना में 15 से 18 वर्ष के वैक्सीनेशन की रफ्तार धीमी पड़ने पर पटना के जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एसपी विनायक ने जानकारी दी कि बच्चों के वैक्सीनेशन को रफ्तार देने के लिए विभाग लगातार प्रयास कर रहा है. सभी स्कूलों से बातचीत की जा रही है और उनसे अपील की जा रही है कि स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को जागरूक करें कि स्कूल में चलने वाले वैक्सीनेशन कैंप में स्कूल के सभी वैक्सीनेशन के एलिजिबल बच्चे शामिल हो.

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