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बिहार में सिर्फ नाम की शराबबंदी? RJD ने कहा- होम डिलीवरी तो छोड़िए बेड तक उपलब्ध होती है शराब

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Published : Nov 8, 2021, 3:15 PM IST

बिहार में कहने को तो एक अप्रैल 2016 से ही शराबबंदी कानून (Prohibition Law) लागू है. शराब पीते, बेचते या लेकर चलते हुए पकड़े जाने पर कड़ी सजा का भी प्रावधान है, लेकिन फिर भी बिहार शराब की खपत के मामले में देश में अव्वल राज्यों की श्रेणी में है. यही नहीं हर साल जहरीली शराब से बिहार में सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है. विपक्ष का आरोप है कि बिहार में सिर्फ कहने को शराबबंदी है. दूसरी तरफ सत्ता पक्ष शराबबंदी को अपनी उपलब्धि बताता है और विपक्ष पर निशाना भी साधता है. इन सबके बीच सवाल वही कायम है कि क्या बिहार में सचमुच शराबबंदी है?

etv bihar jharkhand
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पटना:बिहार में शराब की खपत शराबबंदी(Prohibition) के बाद भी कम नहीं हुई है. एक समानांतर अर्थव्यवस्था जरूर खड़ी हो गई है, जिसमें शराब माफिया अब होम डिलीवरी और जरूरत पड़ने पर आपके बेड तक डिलीवरी करते हैं. यह हम नहीं कहते, यह दावा विपक्ष के नेता करते हैं. जिस हिसाब से बिहार में शराब पकड़ी जा रही है, वह भी यह बताने के लिए काफी है. आखिर कैसे शराबबंदी का सख्त कानून होने के बावजूद बिहार में हर जिले में और खासकर राजधानी में शराब की खेप पहुंच जाती है.

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बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) इस मामले को लेकर विशेष रूप से सरकार पर हमलावर है. एक तरफ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से शराब बंदी कानून को लेकर सवाल पूछ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ आरजेडी नेताओं ने कहा है कि सरकार की मिलीभगत से ही बिहार में शराब बिक रही है और एक समानांतर अर्थव्यवस्था खड़ी हो गई है. इस वजह से लोगों की जानें जा रही हैं लेकिन सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं है.

देखें रिपोर्ट

आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में 50 से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है. मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए कि आखिर शराबबंदी वाले राज्य में कैसे लोग जहरीली शराब के सेवन से मर रहे हैं. दस दिनो के अंदर जहरीली शराब पीने से 50 से अधिक लोगों की मौत और सरकार के द्वारा समीक्षा के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूरी की जा रही है. जब मुख्यमंत्री समीक्षा करते हैं तो उसके दूसरे ही दिन समस्तीपुर में जहरीली शराब के कारण 4 लोग काल के गाल में समा जाते हैं.

आरजेडी नेता के मुताबिक प्रशासन और सरकार की ओर से सिर्फ कागजी खानापूर्ति की जा रही है, क्योंकि शराब तस्कर और माफियाओं के माध्यम से समानांतर बीस हजार करोड़ की व्यवस्था की जाती है, उन लोगों के लिए जो शराब माफियाओं के बचाव मे खड़े रहते है. इसी वजह से अवैध शराब का कारोबार फल-फूल रहा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी-जेडीयू के नेता जब शराबखोरी में पकड़े जाते हैं तो उन्हें बचाने का प्रयास भी सरकार की ओर से ही होता है. मिसाल के तौर पर मुजफ्फरपुर में मंत्री के भाई के स्कूल में मिली दो ट्रक शराब में नामजद एफआईआर के बावजूद उनकी गिरफ्तारी की कोई कार्रवाई नहीं होती है, उनको बचाने के लिए मंत्री के स्तर से प्रशासन पर दबाव दिया जाता है.

मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि अब बीजेपी ने भी मान लिया है कि प्रशासन के स्तर से शराब माफियाओं को बचाया जाता है और उन्हें फलने-फूलने का मौका दिया जाता है, तभी तो स्थानीय प्रशासन और थाना को सूचना देने के बावजूद भी उन पर कार्रवाई नहीं होती है. ये बातें बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने भी बयान में माना है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि शराब माफियाओं के खिलाफ जो कार्रवाई होनी चाहिए, वह हो नहीं पा रही है. आरजेडी नेता ने तो यह भी कहा है कि अगर सरकार उचित कार्रवाई नहीं करती है तो वह शराब माफिया के खिलाफ पोल खोल अभियान चलाया जाएगा.

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हालांकि विपक्ष के आरोपों पर सरकार के बचाव में जेडीयू के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक कुमार झा ने कहा कि गांधी जी के विचारों पर चलने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी कानून लागू किया है, उसे कड़ाई से लागू कराया जा रहा है. इस मामले में अगर कहीं पुलिस या प्रशासन की संलिप्तता होती है तो उस पर भी सरकार कड़ी कार्रवाई करती है. जेडीयू नेता ने कहा कि अब तक 200 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को नौकरी से बर्खास्त किया जा चुका है. बड़ी संख्या में ऐसे पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई भी चल रही है. उन्होंने कहा कि गड़बड़ी करने वाले चाहे कोई भी हों, उन्हें सरकार नहीं छोड़ेगी. आपको बता दें कि सिर्फ वर्ष 2021 में ही अब तक 100 से ज्यादा लोगों की बिहार में जहरीली शराब से मौत हो चुकी है.

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