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Inside Story : नीतीश का JDU अध्यक्ष बनना, तेजस्वी का ऑस्ट्रेलिया दौरा रद्द होना, आखिर क्या है बिहार की सियासी केमेस्ट्री

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 29, 2023, 9:53 PM IST

दिल्ली में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद में बड़ा फैसला लिया गया. नीतीश कुमार अब जदयू के नए बॉस होंगे. ललन सिंह के इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार ने कमान संभाली है. जदयू में मचे हलचल के बाद बिहार की राजनीतिक केमिस्ट्री पर भी असर होना तय माना जा रहा है. समझते हैं बिहार की राजनीति पर इस परिवर्तन का क्या होगा असर.

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जदयू में बदलाव का बिहार में क्या होगा असर.

पटना: बिहार के सियासी गलियारे में पिछले कुछ दिनों से यह चर्चा जोरों से चल रही थी कि नीतीश कुमार एनडीए में शामिल होंगे और नीतीश के इस निर्णय में रोड़ा बन रहे ललन सिंह को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाया जाएगा. शुक्रवार को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई. नीतीश के पाला बदलने की आशंका निर्मूल साबित हुई. लेकिन, ललन सिंह के इस्तीफे की खबर पर मुहर लगी. अब सवाल उठ रहा है कि इस परिवर्तन का बिहार की राजनीतिक केमेस्ट्री पर क्या असर पड़ेगा. इन सब के बीच उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने 6 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के दौरे को रद्द कर दिया है.

क्या नीतीश बदल सकते हैं पाला: 2016 में नीतीश कुमार ने पहली बार जदयू की कमान अपने हाथों में ली थी. उस समय भी बिहार में लालू प्रसाद यादव के साथ महागठबंधन की सरकार थी. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे. जदयू की कमान संभालने के 1 साल बाद ही नीतीश कुमार 2017 में महागठबंधन छोड़ बीजेपी के साथ एनडीए में चले गए. अब एक बार फिर से बिहार में महागठबंधन की सरकार है. और, नीतीश कुमार ने जदयू की कमान फिर से संभाल ली है. ऐसे में यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि नीतीश कुमार फिर से पाला बदल सकते हैं.

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लालू से नजदीकियां नहीं आयी रासः ललन सिंह को लेकर यह चर्चा हो रही थी कि उनकी नजदीकियां लालू यादव से बढ़ी है. कहा जा रहा है कि इसी वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. जदयू को तोड़ने की कोशिश करने का आरोप भी उन पर लगा था. इन सब को लेकर नीतीश कुमार ललन सिंह से खासे नाराज थे. इसके अलावा इंडिया गठबंधन में भी ललन सिंह नीतीश कुमार के लिए सही ढंग से पिच तैयार नहीं कर पा रहे थे. पार्टी की ओर से यह दिखाने की कोशिश की जाती रही कि ललन सिंह से इस्तीफा नहीं लिया जा रहा है. नीतीश कुमार और ललन सिंह एक साथ पार्टी की बैठक में भी गए, जिससे एकजुटता दिखाने की कोशिश की गई.

नीतीश ने एक तीर से किया दो शिकारः जदयू में हुए बदलाव के कारण बिहार में राजनीतिक हलचल बढ़ने लगी है. राजद खेमे में बेचैनी ज्यादा है. यही कारण है कि तेजस्वी यादव ने 6 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के दौरे को रद्द कर दिया. राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय के अनुसार नीतीश कुमार अपने फैसलों से चौंकाते रहे हैं. जिस प्रकार से लालू प्रसाद यादव से ललन सिंह की नजदीकियां बढ़ीं, उससे नीतीश कुमार नाराज थे. पार्टी के वरिष्ठ नेता भी ललन सिंह के रवैया से खुश नहीं थे. अशोक चौधरी से ललन सिंह का विवाद किसी से छिपा नहीं है. नीतीश कुमार इस फैसले से बीजेपी को भी मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि ललन सिंह प्रधानमंत्री के खिलाफ सीधे मोर्चा खोल रहे थे. लालू प्रसाद यादव को भी नीतीश कुमार ने मैसेज देने की कोशिश की है.

"नीतीश कुमार के इस फैसले से बिहार में कुछ ना कुछ परिवर्तन जरूर होगा. क्या शर्तें होंगी वह अब मायने रखता है. इसके साथ बिहार में नीतीश कुमार विधानसभा का चुनाव भी लोकसभा के चुनाव के साथ करा सकते हैं, इसकी भी संभावना बढ़ रही है."- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विश्लेषक

वापसी की शर्त क्या हो सकती हैः वैसे तो बिहार बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि नीतीश कुमार के लिए अब नो एंट्री है. लेकिन, बीजेपी के अंदरखाने में अभी चर्चा है कि केंद्रीय नेतृत्व यदि फैसला लेगा तो कुछ भी संभव है. क्योंकि, लोकसभा चुनाव 2024 में किसी तरह का जोखिम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी लेना नहीं चाहेगी. इस बार नीतीश कुमार की एनडीए में एंट्री होगी तो उनकी शर्तों पर नहीं होगी, यह भी कयास लगाये जा रहे हैं. जदयू के नेता भी इस बात को मान रहे हैं कि नीतीश कुमार गठबंधन को लेकर बड़ा फैसला ले सकते हैं. बिहार में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा का चुनाव भी संभव है, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी किसी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे.

बिहार विधानसभा का समीकरणः बिहार विधानसभा में सबसे बड़ा दल राजद है. उसके 79 विधायक हैं. उसके बाद भाजपा के 78 विधायक हैं. जदयू तीसरे स्थान पर है. इसके पास 44 विधायक हैं. कांग्रेस के पास 19 विधायक तो वाम दलों के पास कुल 16 विधायक हैं. इसके अलावा जीतन मांझी की पार्टी हम के चार विधायक और एआईएमआईएम के एक विधायक हैं. एक विधायक निर्दलीय हैं जो जदयू को सपोर्ट कर रहे हैं. बिहार में अभी महागठबंधन की सरकार है. जदयू, राजद और कांग्रेस सरकार में है, जबकि वाम दल बाहर से समर्थन कर रहा है. जदयू सरकार से बाहर निकलने का फैसला करता है तो उसको लेकर सियासी जोड़ घटाव शुरू हो गया है. अब जो कुछ भी होना है, वह खरमास के बाद ही होगा.

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