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JDU on Amit Shah Bihar Visit : महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से भाजपा में बेचैनी

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Published : Jan 21, 2023, 5:09 PM IST

नीतीश कुमार के महागठबंधन में शामिल होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah bihar visit) का लगातार बिहार दौरा हो रहा है. 23 और 24 सितंबर को पूर्णिया और किशनगंज आए थे. दूसरी बार 11 अक्टूबर को सिताबदियारा में जेपी जयंती के मौके पर पहुंचे थे. अब तीसरी बार 22 फरवरी को पटना में स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती के मौके पर पहुंचने वाले हैं. कार्यक्रम को लेकर बिहार की राजनीति गरमा गयी है. पढ़िये पूरी खबर.

जदयू
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जदयू प्रवक्ता परिमल कुमार.

पटना:केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार दौरे पर आने वाले हैं. स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती (Sahajanand Saraswati birth anniversary ) के मौके पर भाजपा एक कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लेंगे. वे किसानों को संबोधित भी करेंगे. शनिवार को भाजपा के राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर ने प्रेस कांफ्रेंस कर कार्यक्रम के बारे में पूरी जानकारी दी. जदयू ने गृह मंत्री के दौरे को लेकर सवाल खड़े किए हैं.

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भाजपा किसान विरोधी हैः जदयू प्रवक्ता परिमल कुमार ने कहा है कि जबसे नीतीश कुमार महागठबंधन में आए हैं, तब से भाजपा खेमे में बेचैनी है. भाजपा के शीर्ष नेता लगातार बिहार का दौरा कर रहे हैं. जदयू नेता ने कहा कि भाजपा किसान विरोधी है और जिस तरीके से कृषि कानून को लेकर भाजपा ने किसानों के हितों की अनदेखी की थी वह सबको याद है. देश में लोकतंत्र है, कोई भी दौरा कर सकता है. लेकिन, अमित शाह को बिहार दौरे में कुछ हासिल होने वाला नहीं है.

'जबसे नीतीश कुमार महागठबंधन में आए हैं, तब से भाजपा खेमे में बेचैनी है. भाजपा के शीर्ष नेता लगातार बिहार का दौरा कर रहे हैं. देश में लोकतंत्र है, कोई भी दौरा कर सकता है. लेकिन, अमित शाह को बिहार दौरे में कुछ हासिल होने वाला नहीं है' - परिमल कुमार, प्रवक्ता, जदयू

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किसान आंदोलन के जनक थेः स्वामी सहजानंद को भारत में किसान आंदोलन के जनक थे. उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के गांव देवा में महाशिवरात्रि के दिन 1889 में उनका जन्म हुआ था. जमींदारी प्रथा के खिलाफ लड़ते हुए स्वामी जी 25 जून ,1950 को मुजफ्फरपुर में महाप्रयाण कर गए. स्वामीजी के नेतृत्व में सन 1936 से लेकर 1939 तक बिहार में कई लड़ाइयां किसानों ने लड़ीं. इस दौरान जमींदारों और सरकार के साथ उनकी छोटी-मोटी सैकड़ों भिड़ंतें भी हुई. उनमें बड़हिया, रेवड़ा और मझियावां के बकाश्त सत्याग्रह ऐतिहासिक हैं. इस कारण बिहार के किसान सभा को पूरे देश में प्रसिद्धि मिली.

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