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स्पेशल स्टेटस पर JDU में 'मतभेद', एक खेमा मुद्दे को त्यागने के पक्ष में तो दूसरा अंजाम से पहले रुकने को तैयार नहीं

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Published : Feb 2, 2022, 5:31 PM IST

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) की अगुवाई में लंबे समय से मुहिम चल रही है लेकिन अब ऐसा लगता है कि स्पेशल स्टेटस पर जेडीयू में एक राय नहीं (Different Opinion in JDU on Special Status) रह गई है, क्योंकि मंत्री विजेंद्र यादव के बाद मंत्री मदन सहनी भी कह रहे हैं कि हमें इस मुद्दे को त्याग देना चाहिए. हालांकि उपेंद्र कुशवाहा कहते हैं कि जब तक हमें हमारा हक नहीं मिल जाता तब तक यह अभियान चलता रहेगा. पढ़ें खास रिपोर्ट...

स्पेशल स्टेटस पर जेडीयू में एक राय नहीं
स्पेशल स्टेटस पर जेडीयू में एक राय नहीं

पटना:आम बजट 2022 (Union Budget 2022) में बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग (Demand of Special Status for Bihar) की कोई चर्चा नहीं है. इससे एक तरह से जेडीयू के पूरे अभियान की हवा निकल गई. पिछले 15-16 सालों से चल रहे अभियान के बावजूद प्रदेश को स्पेशल स्टेटस हासिल नहीं हो पाया है. अब इस मुद्दे पर पार्टी में अब एक राय भी नहीं है. योजना विकास एवं ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव ने पिछले साल ही कहा था कि विशेष राज्य का दर्जा कब तक मांगते रहेंगे, केंद्र विशेष मदद ही दे दे. अब वही बात बिहार सरकार में समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने भी कही है. उनका कहना है कि अब इस मुद्दे को हमें त्याग देना चाहिए. आखिर केंद्र असमर्थ है देने में तो हम लोगों को विशेष मदद की ही मांग करनी चाहिए. हालांकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह लगातार इसको लेकर अभियान चला रहे हैं.

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उधर, जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का भी कहना है कि जब तक हमें विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता है, तब तक यह अभियान चलता रहेगा. उनका यह भी कहना है कि पार्टी के नेशनल एक्सक्यूटिव का भी यही डिसीजन है. इस डिसिजन के अनुकूल हम लोग तब तक अभियान चलाते रहेंगे, जब तक कि बिहार को स्पेशल स्टेटस नहीं मिल जाता है. वहीं, जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार का भी कहना है कि हम लोगों की मांग पुरानी है. तार्किक ढंग से आगे भी हम लोग अपनी बात रखते रहेंगे. वे कहते हैं कि चाहे सरकार एनडीए की हो या यूपीए की, उसकी चिंता हम लोग नहीं करते हैं.


जेडीयू की ओर से बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर सहयोगी बीजेपी उसके साथ नहीं दिख रही है. बिहार बीजेपी के प्रवक्ता संतोष पाठक कहते हैं कि पहले ही साफ किया जा चुका है कि किसी भी राज्य को स्पेशल स्टेटस नहीं मिल सकता है. वे तो यहां तक करते हैं कि नियम कानून से ही सब कुछ हो सकता है लेकिन जिस तरह से लोग विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं, उनकी मंशा कुछ और लगती है.

स्पेशल स्टेटस पर जेडीयू में एक राय नहीं (Different Opinion in JDU on Special Status) होने के सवाल पर आरजेडी ने भी तंज कसा है. प्रवक्ता शक्ति यादव का कहना है कि 15-16 साल में भी जेडीयू अपनी सहयोगी बीजेपी से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिलवा सकी, आखिरी इसकी मांग किससे कर रही है. वे कहते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार में इनके मंत्री (आरसीपी सिंह) हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) एनडीए के मजबूत साथी हैं. ऐसे में मुझे लगता है कि विशेष राज्य का दर्जा इनके लिए महज राजनीतिक स्टंट है.

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दरअसल, न केवल बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग बल्कि कई मुद्दों पर पिछले कुछ समय से जेडीयू में मतभेद साफ नजर आ रहा है.

  • विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर आरसीपी सिंह की भी अलग राय है. उनका तो यहां तक कहना है कि यदि किसी को विशेष राज्य का दर्जा पहले मिलेगा तो वह उड़ीसा होगा.
  • जेडीयू के वरिष्ठ मंत्री विजेंद्र यादव पहले ही विशेष राज्य के दर्जे को छोड़ने की बात कर चुके हैं.
  • अब जेडीयू कोटे से मंत्री मदन साहनी ने भी साफ किया है कि स्पेशल स्टेटस के मुद्दे को त्यागना ही अच्छा होगा, क्योंकि इसमें समय की बर्बादी हो रही है.
  • केंद्रीय बजट को लेकर भी जेडीयू का एक खेमा जहां बिहार के दृष्टिकोण से निराशाजनक बता रहा है तो दूसरा खेमा बजट की सराहना कर रहा है.
  • उत्तर प्रदेश चुनाव लड़ने पर भी आरसीपी सिंह और ललन सिंह के बीच मतभेद किसी से छिपा नहीं है.

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