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Bihar First Expressway: आमस दरभंगा एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य अब तक नहीं हुआ शुरू, 2024 में कैसे होगा पूरा?

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Published : Jul 6, 2023, 6:40 PM IST

बिहार का पहला एक्सप्रेस-वे 2024 तक बनकर तैयार हो जाना था लेकिन अभी तक इसका काम शुरू नहीं हो सका है. एनडीए की सरकार के समय जब नितिन नवीन बिहार सरकार के पथ निर्माण मंत्री थे तो उन्होंने 2022 में काम की शुरुआत करने का वादा किया था. अब तेजस्वी यादव के कंधों पर पथ निर्माण विभाग का दायित्व है, ऐसे में बिहारवासी जानना चाहते हैं कि एक्सप्रेस-वे के लिए और कितना इंतजार करना होगा. जानें कहां फंसा है पेंच..

Bihar First Expressway
Bihar First Expressway

कब मिलेगा बिहार को पहला एक्सप्रेस-वे

पटना: चार चरणों में बनने वाले औरंगाबाद से दरभंगा एक्सप्रेस-वेपर 6 हजार करोड़ से अधिक की राशि खर्च की जानी है. इन चारों का टेंडर पिछले साल ही हो गया था, लेकिन इस वर्ष छह माह बीत जाने के बाद भी काम शुरू नहीं हो सका है.

पढ़ें-बिहार में एक्सप्रेस वे पर अगले साल से शुरू होगा काम, मंत्री नितिन नवीन ने कहा- 4 एक्सप्रेस वे के साथ बढ़ रहे हैं आगे

कब मिलेगा बिहार को पहला एक्सप्रेस-वे?:आमस दरभंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण में जमीन अधिग्रहण के कारण पेंच फंस रहा है. 4 पैकेज में बनने वाले आमस दरभंगा एक्सप्रेस वे का निर्माण 2022 में ही शुरू हो जाना था और 2024 में पूरा होने का लक्ष्य था. लेकिन 2023 में भी 6 महीना बीत चुके हैं और निर्माण कार्य को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है.

क्या है निर्माण में देरी का कारण?: एनएचएआई (National Highways Authority of India) के क्षेत्रीय अधिकारी जरूर कह रहे हैं कि 4 पैकेज में से एक और तीन पैकेज का संबंधित कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट साइन हो गया है. दो बचे पैकेज का भी कॉन्ट्रैक्ट साइन जल्द से जल्द किया जाएगा. एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी अवधेश कुमार का यह भी कहना है कि जमीन अधिग्रहण की समस्या तो सड़क निर्माण के बाद भी बनी रहता है.

"अब 2024 में पूरा होना संभव नहीं है. कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के बाद 2 से ढाई साल का समय देना होगा. जमीन अधिकरण की जो समस्या है उसको लेकर उच्च स्तर पर बैठक लगातार हो रही है और समस्या को शॉट आउट करने का प्रयास किया जा रहा है."- अवधेश कुमार, क्षेत्रीय अधिकारी, एनएचएआई

नितिन नवीन ने वर्तमान सरकार पर फोड़ा ठिकरा: बिहार के पूर्व पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन इन दिनों रायपुर के दौरे पर हैं. नितिन नवीन छत्तीसगढ़ के प्रभारी हैं और विधानसभा चुनाव को लेकर व्यस्त हैं. फोन से हुई बातचीत में नितिन नवीन ने कहा दरभंगा एक्सप्रेस-वे को लेकर कई बार नितिन गडकरी से मुलाकात किये थे. केंद्र के सहयोग के कारण 4 पैकेज में बनने वाले इस परियोजना का टेंडर भी जारी हो गया. केंद्रीय परियोजनाओं को लेकर राज्य सरकार का ढुलमुल रवैया है.

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"एक्सप्रेस-वे जिन इलाकों से जा रहा है, कई स्थानों पर जमीन अधिग्रहण बड़ी समस्या बनी हुई है. पिछले 1 साल में सरकार के स्तर पर कोई बड़ा प्रयास भी नहीं हुआ है. महागठबंधन की सरकार में कोई प्रयास नहीं हो रहा है "- नितिन नवीन,पूर्व पथ निर्माण मंत्री,बिहार

2021 में केंद्र सरकार ने दी हरी झंडी: बिहार के पहले एक्सप्रेस वे आमस-दरभंगा एक्सप्रेस-वे को केंद्र सरकार ने 2021 में ही हरी झंडी दे दी थी. साथ ही नेशनल हाईवे डी 119 के नाम से नोटिफाइड भी कर दिया. लेकिन जमीन अधिग्रहण में हो रहे विलंब के कारण इसका निर्माण शुरू होने में विलंब हुआ है.

लगभग 6000 करोड़ की राशि खर्च होने का अनुमान: 189 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस-वे को 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है. 4 पैकेज में बनने वाले आमस-दरभंगा एक्सप्रेस वे पर लगभग 6000 करोड़ की राशि खर्च होने का अनुमान है. इसे ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे बनाने की तैयारी हो रही है. जब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी पिछले साल 14 नवंबर को बिहार दौरे पर आए थे तो उसी समय निर्माण के शिलान्यास की चर्चा होने लगी थी, सेकिन उसे फिर टाल दिया गया.

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कहां-कहां से गुजरेगा एक्सप्रेस-वे?: औरंगाबाद के आमस के निकट नेशनल हाईवे 19 से एक्सप्रेस-वे शुरू होगा. यह कच्ची दरगाह होते हुए हाजीपुर के कल्याणपुर, समस्तीपुर के ताजपुर से होकर दरभंगा में बेला से होते हुए नवादा में एनएच-27 में जाकर समाप्त होगा. 7 जिलों के 239 गांव में जमीन का अधिग्रहण का काम किया जा रहा है. 222 राजस्व गांव में 1363 एकड़ जमीन इस एक्सप्रेस-वे के लिए अधिग्रहण किया जा रहा है.

कैसे सुलझेगी जमीन अधिग्रहण की समस्या: एनएचएआई के अधिकारियों के अनुसार बिहार में जमीन अधिग्रहण परियोजना के लिए एक बड़ी समस्या है. आज दरभंगा एक्सप्रेस-वे में भी जमीन अधिग्रहण के कारण समस्या आ रही है, लेकिन इस समस्या का समाधान बिहार सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक कर किया जा रहा है.

"सच्चाई यही है कि इस योजना का विधिवत अब तक निर्माण का शिलान्यास नहीं हुआ है. पहले और तीसरे पैकेज में भी कंपनी ने अपने साइट पर गतिविधि जरूर शुरू की है. लेकिन वहां भी किसानों और जमीन मालिकों की तरफ से विरोध हो रहा है."- अवधेश कुमार, क्षेत्रीय अधिकारी, एनएचएआई

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80 से 85% जमीन अधिग्रहण जरूरी: कुल मिलाकर बिहार के पहले एक्सप्रेस-वे के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा जमीन अधिग्रहण है. जब तक परियोजना का 80 से 85% जमीन अधिग्रहण नहीं होगा, निर्माण कार्य के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइन नहीं होगा. टेंडर होने के बाद भी जमीन अधिग्रहण नहीं होने के कारण निर्माण कार्य में तेजी नहीं आएगी.

रेल परियोजना से लेकर हाईवे पर भी असर:बिहार में जमीन अधिग्रहण नहीं होने के कारण आधा दर्जन रेल परियोजनाओं पर असर पड़ा है. इसके अलावा तीन हाईवे का काम भी रुका हुआ है. जमीन अधिग्रहण के कारण बड़े प्रोजेक्ट भी फंसे हुए हैं. इसमें दरभंगा एम्स, पूर्णिया एयरपोर्ट और पटना में बनने वाले नए एयरपोर्ट भी शामिल हैं. इन परियोजनाओं पर सियासत भी खूब होती है.

व्यवसायिक गतिविधियों में करेगा बड़ा बदलाव : आमस दरभंगा एक्सप्रेस-वे चार पैकेज में बन रहा है. इसके लिए टेंडर जारी हो चुका है. यह एक्सप्रेस-वे 7 जिलों के साथ गया, पटना और दरभंगा एयरपोर्ट को जोड़ेगा. आमस दरभंगा एक्सप्रेस-वे के बन जाने से उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार के आवागमन और व्यवसायिक गतिविधियों में बड़ा बदलाव आएगा.

तय समय 2024 में हो पाएगा तैयार?: एक तरफ पड़ोसी राज्य यूपी में एक के बाद एक एक्सप्रेस-वे बनकर तैयार होता जा रहा है और आधा दर्जन से अधिक एक्सप्रेस-वे शुरू भी हो चुका है. वहीं बिहार में पिछले 3 साल से एक्सप्रेस-वे को लेकर कवायद हो रही है. एनएचएआई के अधिकारियों का कहना है कि 2 से 3 महीने में निर्माण कार्य दिखने लगेगा लेकिन सबसे बड़ी बात कि यदि इस साल के अंत तक निर्माण कार्य शुरू भी हुआ तो 2024 में आमस दरभंगा एक्सप्रेस वे तैयार होगा इसकी संभावना ना के बराबर है.

देरी से लागत बढ़ना तय: लगता है बिहार के लोगों को अभी लंबा इंतजार करना होगा. लगातार हो रहे विलंब से आमस दरभंगा एक्सप्रेस-वे का कॉस्ट भी बढ़ना तय है. ऐसे यह परियोजना प्रधानमंत्री पैकेज के तहत बनने वाला है. भारतमाला परियोजना का एक हिस्सा है.

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