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..तो क्या उपचुनाव में BJP की जीत में चिराग पासवान संजीवनी साबित हुए !

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Published : Dec 10, 2022, 8:16 PM IST

Bihar Politics बिहार उपचुनाव में बीजेपी की जीत में चिराग पासवान की भूमिका (Chirag Paswan role in BJP victory in By Election ) पर हर तरफ चर्चा हो रही है. एलजेपीआर गोपालगंज और कुढ़नी में बीजेपी की जीत को चिराग फैक्टर का जलवा बता रहे हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

उपचुनाव में बीजेपी की जीत में चिराग पासवान का रोल
उपचुनाव में बीजेपी की जीत में चिराग पासवान का रोल

पटना: बिहार में चिराग पासवान (Chirag Paswan in Bihar By Election) बीजेपी के लिए मौजूदा वक्त में संजीवनी से कम साबित नहीं हो रहे हैं. एलजेपीआर की माने तो पहले गोपालगंज और अब कुढ़नी में बीजेपी की जीत के बड़े फैक्टर साबित हुए हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में भी चिराग पासवान फैक्टर बने थे. इस कारण बीजेपी को जेडीयू से ज्यादा सीटें आई थी. बीजेपी भी चिराग पासवान को जीत का एक फैक्टर बता रही है.

उपचुनाव में बीजेपी की जीत में चिराग पासवान का रोल

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बीजेपी के लिए संजीवनी से कम नहीं चिरागःपाॅलिटिकल एक्सपर्ट डॉ. संजय की माने तो चिराग पासवान दो उपचुनाव जीत के साथ-साथ 2020 के विधानसभा चुनाव में भी फैक्टर थे. 2020 के चुनाव में जहां-जहां चिराग पासवान के कैंडिडेट खड़े थे, वहां महागठबंधन की जीत और एनडीए की हार हुई थी. चिराग पासवान एक बार फिर से बीजेपी के साथ मजबूती से खड़े दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिहार के उपचुनाव के दो सीटों पर जीत का कारण इनके मतदाता रहे हैं, जो रामविलास पासवान के बाद चिराग पासवान को अपना नेता मानते हैं. उनकी भीड़ और उनकी उपस्थिति वोट में तब्दील करना एक मैसेज तो है कि चिराग पासवान बीजेपी के लिए संजीवनी से कम नहीं साबित हो रहे हैं.

दलितों की गोलबंदी से जीती बीजेपीःडॉ. संजय ने कहा कि जो बीजेपी चिराग पासवान से दूरियां बना ली थी, वह जैसे ही उपचुनाव आया नजदीकियां बढ़ जाती है. आखिर सवाल यह भी उठ रहा है कि चिराग पासवान अगर कुछ फैक्टर नहीं होते तो बीजेपी उन्हें क्यों मनाने में जुटी थी. कहीं न कहीं दलित वोटर चिराग पासवान के इर्द-गिर्द ही घूम रहे हैं. इसको बीजेपी जानती थी और इस बात को महागठबंधन के लोग भी मान रहे हैं कि दलितों और अति पिछड़ों में महागठबंधन को वोट नहीं किया है. कुढ़नी और गोपालगंज में दलित और गरीब तबके के लोगों ने मजबूती से बीजेपी को वोट दिया है. दलितों की गोलबंदी और चिराग पासवान की उपस्थिति से ही बीजेपी की जीत सुनिश्चित हो पाई है.

पासवान जाति का वोटिंग पैटर्न दोनों जगह अहमः कुढ़नी विधानसभा सीट पर बीजेपी की जीत तीन हजार 649 वोट से हुई है. कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र का समीकरण के अनुसार कुढ़नी में पासवान जाति के वोटरों की तादाद लगभग 10 हजार है. अहम बात ये भी है कि पासवान जाति के वोटरों का वोटिंग परसेंटेज ज्यादा होता है. वैसे ही गोपालगंज में भी हुआ था. वहां भी लगभग 12 हजार वोटर पासवान जाति के थे.



"चिराग पासवान दो उपचुनाव जीत के साथ-साथ 2020 के विधानसभा चुनाव में भी फैक्टर थे. 2020 के चुनाव में जहां-जहां चिराग पासवान के कैंडिडेट खड़े थे, वहां महागठबंधन की जीत और एनडीए की हार हुई थी. चिराग पासवान एक बार फिर से बीजेपी के साथ मजबूती से खड़े दिख रहे हैं"- संजय कुमार, पॉलिटिकल एक्सपर्ट
चिराग का जादू जनता के सिर चढ़कर बोलाःएलजेपीआर के प्रवक्ता प्रो. डॉ विनीत सिंह ने कहा कि विगत दोनों उपचुनाव में चिराग पासवान का जादू जनता के सिर पर चढ़कर बोला. उन्होंने कहा कि कुढ़नी, गोपालगंज और मोकामा में चिराग पासवान बीजेपी के लिए संजीवनी बनकर उभरे हैं. सिर्फ पासवान जाति के लोग ही नहीं बल्कि दलित, अति पिछड़ा समाज के लोग भी बढ़-चढ़कर उनके समर्थन में वोट दिया है. इस कारण बीजेपी को जीत मिली है.

NDA को 2025 में चिराग पासवान को सौंपना चाहिए नेतृत्वः विनीत सिंह ने कहा कि उपचुनाव के रिजल्ट से एनडीए के शीर्ष नेतृत्व को यह समझ में आ गया होगा कि बिहार की जनता किसे चाहती है. बिहार की जनता एक ऊर्जावान युवा की तलाश में है और उन्हें लगता है कि चिराग पासवान ही एक विकल्प हो सकते हैं. विनीत सिंह ने कहा कि 2024 लोकसभा और 2025 विधानसभा दूर नहीं है. ऐसे में एनडीए के शीर्ष नेतृत्व को 2025 से के लिए चिराग पासवान को अपना नेतृत्व देना चाहिए.

" बीते दोनों उपचुनाव में चिराग पासवान का जादू जनता के सिर पर चढ़कर बोला. कुढ़नी, गोपालगंज और मोकामा में चिराग पासवान बीजेपी के लिए संजीवनी बनकर उभरे हैं. सिर्फ पासवान जाति के लोग ही नहीं बल्कि दलित, अति पिछड़ा समाज के लोग भी बढ़-चढ़कर उनके समर्थन में वोट दिया है"- प्रोफेसर विनीत सिंह, प्रवक्ता, एलजेपीआर

बीजेपी ने माना चिराग पासवान भी जीत के फैक्टरः इधर, बीजेपी प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी की जीत के बहुत से कारण हैं. उनमें प्रधानमंत्री की विकास योजना, जनता का पार्टी पर विश्वास, प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व के साथ-साथ चिराग पासवान भी एक फैक्टर हैं. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार की गलत नीतियों की वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा है.

"बीजेपी की जीत के बहुत से कारण हैं. उनमें प्रधानमंत्री की विकास योजना, जनता का पार्टी पर विश्वास, प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व के साथ-साथ चिराग पासवान भी एक फैक्टर हैं"-अरविंद कुमार सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी

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