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Bihar Politics: 'समान नागरिक संहिता का मुद्दा साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए BJP का प्रयास' -JDU

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Published : Jun 17, 2023, 9:24 PM IST

समान नागरिक संहिता पर फिर से विवाद शुरू हो गया है. 22वें विधि आयोग द्वारा सुझाव मांगे जाने के बाद से समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी यूसीसी) का विषय एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है. इस पर राजनीति तेज हो गयी है. JDU का मानना है कि 2024 लोकसभा चुनाव के लिए लिए मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने को बीजेपी का एजेंडा है.

विजय कुमार चौधरी
विजय कुमार चौधरी

पटना: वित्त मंत्री एवं जदयू के वरिष्ठ नेता विजय कुमार चौधरी ने बताया कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के प्रयास तेज कर दिए हैं. समान नागरिक संहिता के मुद्दे को एक बार फिर से चर्चा में लाना, इसी दिशा में एक कदम है. मोदी सरकार ने ही 2016 में इस मुद्दे पर विधि आयोग से स्पष्ट राय मांगी थी. आयोग ने इससे जुडे़ सारे तथ्यों की समीक्षा कर एवं सभी पक्षकारों से विमर्शोपरान्त केन्द्र सरकार को 2018 में स्पष्ट राय दी थी कि समान नागरिक संहिता लागू करने की आवश्यकता नहीं है.

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"केन्द्र सरकार को बताना चाहिए कि आखिर 2018 के बाद देश की सामाजिक संरचना अथवा विभिन्न धर्मावलंबियों की सोच में क्या परिवर्तन आया है, जिससे इस मुद्दे को फिर से उठाया जा रहा है. इस मुद्दे को फिर से उठाना देश को सांप्रदायिक विवाद एवं तनाव में झोंकने की साजिश कहलाएगी"- विजय चौधरी, वित्त मंत्री


अनावश्यक विवाद एवं तनाव पैदा होगाः विजय चौधरी ने कहा हमारा संविधान विभिन्न धर्म के लोगों के अपने मजहबी रवायत के अनुसरण की इजाजत देता है. इसी के अनुरूप शादी, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेना, संपत्ति अर्जन आदि का कार्य सहजता से हो रहा है. अब विभिन्न पक्ष के लोगों को बिना विश्वास में लिए समान नागरिक संहिता लागू करने की बात अनावश्यक विवाद एवं तनाव ही पैदा करेगा, जिसका उद्देश्य सिर्फ राजनीतिक हो सकता है.

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोडः यूसीसी- यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है- भारत में रहने वाले प्रत्येक नागरिक के लिए समान कानून का होना. फिर चाहे उनका धर्म या उनकी जाति कुछ भी क्यों न हो. समान नागरिक संहिता अगर लागू हो जाती है, तो धर्म के आधार पर निजी कानूनों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा. फिर शादी हो या तलाक या फिर विरासत विवाद, सबके लिए कानून एक होगा. अभी तलाक, शादी और संपत्ति के वारिस को लेकर अलग-अलग कानून हैं. संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का उल्लेख किया गया है.

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