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शाहनवाज हुसैन बनेंगे बिहार के वित्त मंत्री? ये रिश्ता तो यही बताता है

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Published : Jan 18, 2021, 4:30 PM IST

शाहनवाज हुसैन के रूप में भाजपा ने अपने दिग्गज नेता को दिल्ली से पटना भेजा है. कहा जा रहा है कि उन्हें बिहार सरकार में वित्त विभाग जैसा हाईप्रोफाइल मंत्रालय मिल सकता है. पिछली सरकार में यह विभाग सुशील कुमार मोदी के पास था.

Sushil modi and shahnawaj husain
सुशील मोदी और शाहनवाज हुसैन

पटना:विधान परिषद की दो सीटों के लिए सोमवार को नामांकन हुआ. बीजेपी की ओर सेशाहनवाज हुसैन ने नामांकन दाखिल किया. वहीं, वीआईपी प्रमुख और पशुपालन मंत्री मुकेश सहनी ने भी पर्चा दाखिल किया. इसके साथ ही नीतीश मंत्रिमंडल विस्तारपर भी स्थिति साफ होती नजर आ रही है. नीतीश कुमार के राजभवन जाने के बाद कहा जा रहा है कि बहुत जल्द इसकी आधिकारिक घोषणा हो सकती है.

शाहनवाज को मिल सकता है वित्त विभाग
शाहनवाज हुसैन के रूप में भाजपा ने अपने दिग्गज नेता को दिल्ली से पटना भेजा है. कहा जा रहा है कि उन्हें बिहार सरकार में वित्त विभाग जैसा हाईप्रोफाइल मंत्रालय मिल सकता है. पिछली सरकार में यह विभाग सुशील कुमार मोदी के पास था. 2020 के चुनाव के बाद नई सरकार बनी तो विधान परिषद के सदस्य सुशील मोदी को उपमुख्यमंत्री का पद नहीं मिला. उन्हें पार्टी ने राज्यसभा भेज दिया. वर्तमान में वित्त विभाग भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के पास है.

शाहनवाज और सुशील मोदी के बीच एक अनोखा रिश्ता रहा है. शाहनवाज ने जिस विधान परिषद सीट पर नामांकन किया वह सुशील मोदी द्वारा खाली किया गया था. इससे पहले ही ऐसा हुआ जब शाहनवाज को वह जिम्मेदारी मिली जो पहले सुशील मोदी के पास थी.

2005 में भागलपुर से सांसद चुने गए थे शाहनवाज
सुशील मोदी 2004 के लोकसभा चुनाव में भागलपुर से जीतकर सांसद बने थे. वहीं, शाहनवाज अपना चुनाव हार गए थे. 2005 में बिहार में एनडीए की सरकार बनी तो सुशील मोदी ने संसद की सदस्यता त्याग दी और बिहार के उपमुख्यमंत्री बन गए. सुशील मोदी द्वारा खाली की गई सीट पर शाहनवाज को बीजेपी ने उतारा और उनकी जीत हुई.

2014 में रिश्ते हो गए थे तल्ख
एक सच्चाई यह भी है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में शाहनवाज हुसैन और सुशील मोदी के रिश्ते तल्ख हो गए थे. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो गए थे. बिहार सरकार से बीजेपी के अलग होने के चलते सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री नहीं रह पाए थे. वह अपने पुराने लोकसभा सीट भागलपुर से फिर से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने शाहनवाज को टिकट दे दिया था.

टिकट की लड़ाई में दोनों नेताओं के रिश्ते तल्ख हो गए थे. शाहनवाज को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि दोनों नेताओं ने सार्वजनिक रूप से कभी एक-दूसरे के खिलाफ बयान नहीं दिया. इन दिनों दोनों नेताओं के रिश्ते कितने मधुर हैं यह तो वे ही जानें, लेकिन राजनीतिक गलियारे में चर्चा गर्म है कि एक बार फिर शाहनवाज सुशील मोदी की कुर्सी संभाल सकते हैं.

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