पक्ष-विपक्ष ने दंगों के लिए एक-दूसरे पर लगाया आरोप पटना: बिहार विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान सोमवार को विधान परिषद की कार्यवाहीशुरू होते ही स्थगित कर दी गई. बीजेपी विधायकों ने रामनवमी के बाद 2 जिलों में हुए दंगों पर सदन स्थगन प्रस्ताव लाया और इसे लेकर प्रदर्शन शुरू किया. जिसके बाद सभापति ने 2:30 बजे तक के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी. इसके बाद कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि सरकार इसे ठीक करने के लिए काम कर रही है लेकिन कुछ लोग इसे बिगाड़ने के लिए लगे हुए हैं. ऐसी घटनाओं को पर मुस्तैदी से प्रशासन को नजर रखनी चाहिए और तत्काल अंकुश लगाने के लिए काम करना चाहिए. बीजेपी द्वारा तुष्टीकरण के आरोप लगाए जाने के सवाल पर प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि बीजेपी इस तरह की बात करती रहती है लेकिन पहले बीजेपी बताए कि तुष्टीकरण होता क्या है.
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"सरकार इसे ठीक करने के लिए काम कर रही है लेकिन कुछ लोग इसे बिगाड़ने के लिए लगे हुए हैं. ऐसी घटनाओं को पर मुस्तैदी से प्रशासन को नजर रखनी चाहिए और तत्काल अंकुश लगाने के लिए काम करना चाहिए. पहले बीजेपी बताएं कि तुष्टीकरण होता क्या है. सरकार कानून के अनुसार जो होना चाहिए वह करने के प्रयास में लगी हुई है लेकिन कुछ लोग इसे बिगाड़ने में भी लगे हुए हैं, और हमें इस पर नियंत्रण रखना होगा."- प्रेमचंद्र मिश्रा, कांग्रेस एमएलसी
बिहार की जनता के साथ घोर अपराध:सदन के बाहर बीजेपी एमएलसी नवल किशोर यादव ने कहा कि बिहार की जनता के साथ जो घोर अपराध कर रहे हैं, जो अपनी संस्कृति के साथ घोर अपराध कर रहे हैं उसके बारे में वह बता रहे हैं. गृह मंत्री अमित शाह के बिहार दौरे के दौरान गृह मंत्री का राज्यपाल से बात करने और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात ना करने पर जदयू द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए नवल किशोर यादव ने कहा कि अमित शाह के मुंह में उंगली डालकर कोई कह सकता है कि आपको इनसे ही बात करनी है. उन्हें जिन से बात करने का मन होगा उनसे बात करेंगे जबरदस्ती नहीं किया जा सकता. जो जरूरत की चीज होगी जिन से बात करने की इच्छा होगी उसी से लोग बात करते हैं.
बीजेपी का पलटवार: नवल किशोर यादव ने कहा कि अमित शाह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से क्यों बात करेंगे, नीतीश कुमार का मुंह खुलता ही नहीं है. मुख्यमंत्री की बातों को उनकी प्रशासन नोटिस में नहीं लेती है, अधिकारी नोटिस नहीं करते हैं, उनकी पार्टी नोटिस नहीं करती. उनका गठबंधन नोटिस में नहीं लेता, बुजुर्ग हो गए हैं तो उनसे अब क्या बात करना. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जानबूझकर लोगों को आंदोलित करने के लिए इस घटना को अंजाम दिया है. रामनवमी जुलूस के लिए प्रशासन ने लाइसेंस दिया, रूट चार्ट तय किया लेकिन उस रूट पर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल और सुरक्षा बल की तैनाती क्यों नहीं हुई, यही सवाल है. बीजेपी पर लांछन लगाकर बदनाम करने की कोशिश सरकार कर रही है. वह सरकार से पूछना चाहते हैं कि क्या इन जुलूसों को लाइसेंस देश के गृह मंत्री ने दिया था या इस का रूट चार्ट अमित शाह ने तैयार किया था या पुलिस बल की तैनाती पर निर्णय अमित शाह ने लिया था.
"अमित शाह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से क्यों बात करेंगे, नीतीश कुमार का मुंह खुलता ही नहीं है. मुख्यमंत्री की बातों को उनकी प्रशासन नोटिस में नहीं लेती है, अधिकारी नोटिस नहीं करते हैं, उनकी पार्टी नोटिस नहीं करती. उनका गठबंधन नोटिस में नहीं लेता, बुजुर्ग हो गए हैं तो उनसे अब क्या बात करना. सरकार नहीं चाहती है कि हमारी संस्कृति अक्षुण रहे और इसीलिए एक तरफ रूट चार्ट तय किया और दूसरी तरफ उत्पात करने के लिए अपने आदमियों को लगा दिया और पुलिस बल की तैनाती नहीं करने दी."-नवल किशोर यादव, बीजेपी एमएलसी