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चुनाव आते ही कलाकारों की कटने लगी चांदी, लॉकडाउन के 8 महीने बाद काम की भरमार

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Published : Oct 17, 2020, 9:14 AM IST

पूरा विश्व कोरोना महामारी के चपेट में है, जिसके चलते लोगों को रोजगार मिलना तो दूर अपना रोजगार भी छिन गया है. वहीं बिहार में लोकतंत्र का पर्व आने से फिर एक बार कलाकारों की गाड़ी पटरी पर आई है. अब कलाकार को सॉन्ग, कमेंट्री और मिमिक्री का मौका मिलने लगा है.

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चुनाव में कलाकारों की हुई चांदी.

पटना: कोरोना महामारी के कारण पिछले 8 महीनों से कई कामकाज ठप चल रहे थे. बात करें अगर कलाकारों की जो गाना, कमेंट्री या मिमिक्री कर अपनी रोजी-रोटी चलाते थे, वह भी काफी परेशानी से जूझ रहे हैं. लेकिन जैसे ही बिहार विधानसभा चुनाव का नॉमिनेशन प्रारंभ हुआ और इन कलाकारों को खूब काम मिलने लगा है.

जूझ रहे थे आर्थिक तंगी से कलाकार
पटना के कलाकार बृज बिहारी मिश्रा जो कमेंट्री करते हैं और खुद का संगीत स्टूडियो भी चलाते हैं उन्होंने बताया कि स्थिति काफी बद से बदतर हो गई थी. लेकिन अब अचानक से काफी अधिक काम आने लगा है और लोगों को चुनाव प्रचार के लिए काफी कम समय में गाने, कमेंट्री और मिमिक्री चाहिए होती है. इसलिए हमें काम भी अधिक करना पड़ता है. वहीं लता मंगेशकर के गाने को हू-ब-हू उन्हीं के अंदाज में गाने वाली गायिका पूर्णिमा कुमारी ने कहा कि अब काम मिलने लगा है तो काफी अच्छा लग रहा है. स्टूडियो आना-जाना भी शुरू हो गया है. घर पर रियाज भी नहीं हो पाती थी. आर्थिक तंगी से भी जूझ रहे थे. लेकिन अब जिस तरीके से काम मिल रहे हैं लगता है कि सब कुछ जल्द ठीक हो जाएगा.

देखें रिपोर्ट.

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नेताओं की मिमिक्री की बढ़ी डिमांड
स्टूडियो चलाने वाले राजीव कमल ने बताया कि आजकल नेताओं की मिमिक्री की डिमांड काफी बढ़ गई है. खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार की. कई प्रत्याशी उनकी आवाज में अपना प्रचार रिकॉर्ड करवाते हैं और प्रचार प्रसार कर रहे हैं. राजीव ने बताया कि प्रति रिकॉर्डिंग में 7 से 10 हजार लगते हैं. वहीं कलाकार की आवाज में कोई संदेश दर्ज कराना चाहे या कमेंट्री कराना चाहे तो उसके लिए 6 से सात हजार रुपये देने होते हैं. वहीं उन्होंने कहा कि 2 हजार से 12 हजार तक के काम होते हैं, जिन्हें जिस तरीके का पैकेज चाहिए होता है उस आधार पर काम होता है.

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