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पटना में वृहद पैमाने पर किये जा रहे एंटीबॉडी टेस्ट, जानिए क्या है CMO की राय

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Published : Aug 9, 2020, 4:55 PM IST

पटना की अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ विभा कुमारी सिंह ने बताया कि इस जांच के कई मकसद हैं. लेकिन सबसे अहम मकसद समाज में किस हद तक हर्ड इम्यूनिटी डेवलप हुई है. इसकी जानकारी एकत्रित करना है.

डॉ विभा कुमारी सिंह
डॉ विभा कुमारी सिंह

पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. सबसे अधिक प्रभावित जिला राजधानी पटना है. वर्तमान समय में यहा लगभग 4 हजार से अधिक एक्टिव केस हैं. संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए राजधानी पटना में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एंटीबॉडी टेस्ट किया जा रहा है.

इसको लेकर पटना की अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ विभा कुमारी सिंह ने बताया कि इस जांच के कई मकसद हैं. लेकिन सबसे अहम मकसद समाज में किस हद तक हर्ड इम्यूनिटी डेवलप हुई है. इसकी जानकारी एकत्रित करना है. क्या है एंटिबॉडी टेस्ट, अब तक कैसा रहा है इस जांच का रिस्पांस. जानने के लिए पढ़ें यह पूरी रिपोर्ट.

'शरीर के इम्यून अवस्था को बताता है एंटीबॉडी टेस्ट'
डॉ विभा कुमारी ने बताया कि एंटीबॉडी टेस्ट सा टेस्ट है जो हमारे शरीर के इम्यून अवस्था को बताता है. यह जांच हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम के आधार पर किया जाता है. उन्होंने बताया कि एंटीबॉडी टेस्ट से तीन बातें पता चलती हैं. पहला यह कि हमारे समाज में 'हर्ड इम्यूनिटी डेवलप' हो रहा है या नहीं, दूसरा यह कि यह सिरो सर्विलेंस की अवस्था को बताता है और तीसरे से रिपोर्ट का उपयोग प्लाजमा थेरेपी में भी किया जाता है.

कोरोना जांच किट

'अभी ट्रायल बेसीस पर हो रहे एंटीबॉडी टेस्ट'
डॉ. विभा कुमारी सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में एंटीबॉडी टेस्ट ट्रायल बेसिस पर विभिन्न कम्युनिटी ग्रुप का हो रहा है. इसके माध्यम से यह जानने की कोशिश की जा रही है कि अलग-अलग समूह में कितनी इम्यूनिटी डेवलप हुई है. उन्होंने बताया कि एंटीबॉडी टेस्ट दो प्रकार के होते हैं, एक आईजीजी टेस्ट है और दूसरा आईजीएम टेस्ट है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

IGG टेस्ट और IGM टेस्ट से पता चलता है सिम्टम्स
आईजीजी टेस्ट से यह पता चलता है कि अगर किसी व्यक्ति को 15 दिनों से पूर्व कभी संक्रमण हुआ है. तो उसमें कोई सिम्टम्स डिवेलप हुआ है या नहीं. अगर सिम्टमस डेवलप नहीं हुए हैं, तो संक्रमण की स्थिति गंभीर नहीं रहा होगा. ऐसे व्यक्ति को ठीक हुए 15 दिन से ज्यादा बीत चुके होंगे.

डॉ. विभा ने आगे बताया कि आईजीएम टेस्ट में अगर किसी व्यक्ति की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव निकलता है, तो यह पता चलता है कि वह व्यक्ति हाल के लगभग 15 दिनों के अंदर संक्रमित हुआ है. ऐसे व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि अभी पटना में सिर्फ आईजीजी एंटीबॉडी टेस्ट हो रहा है और इस टेस्ट में अगर किसी व्यक्ति का रिपोर्ट पॉजिटिव आता है, तो हमें यह पता चल जाता है कि व्यक्ति में इम्यूनिटी डेवलप हो चुकी है.

डॉ विभा कुमारी सिंह , अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी

'कोई भी कर सकता है प्लाजमा डोनेट'
डॉ. विभा ने बताया कि आईजीजी टेस्ट में जिस किसी व्यक्ति को भी इम्यूनिटी लेवल 3 से ऊपर आता है, तो ऐसे लोगों का प्लाजमा कोरोना मरीजों को ठीक करने में इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि 18 वर्ष के ऊपर के और 55 किलो से ज्यादा वजन के कोई भी व्यक्ति और सामान्य महिला यानी कि जो गर्भवती ना हो वे अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं.

'एंटीबॉडी टेस्ट के शुरूआती रिपोर्ट उत्साहजनक'
डॉ विभा ने बताया कि अभी एंटीबॉडी टेस्ट के माध्यम से विभिन्न कम्युनिटी के ग्रुप का इम्यूनिटी लेवल पता लगाया जा रहा है कि किस स्तर तक लोगों में इम्यूनिटी डेवलप हुई है. उन्होंने कहा कि पटना जिले में अभी एंटीबॉडी टेस्ट शुरू हुए लगभग 1 सप्ताह बीत चुके हैं. इसके जो शुरुआती रिस्पांस से पता चल रहा है कि बहुत लोगों में कोरोना को लेकर हर्ड इम्यूनिटी डेवलप हो चुकी है. एंटीबॉडी टेस्ट में ऐसे कई ऐसे भी रिपोर्ट सामने आ रहे हैं. जिससे यह पता चल रहा है कि कई व्यक्ति कुछ दिनों पूर्व जरूर कोरोना से संक्रमित होकर ठीक भी हो चुके है.

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