बिहार

bihar

मंत्री विजय चौधरी ने कुढ़नी उपचुनाव के रिजल्ट काे बताया अप्रत्याशित, कहा- हार की होगी समीक्षा

By

Published : Dec 8, 2022, 5:42 PM IST

कुढ़नी उप चुनाव पर राजनीतिक पंडितों की नजर बनी थी. गठबंधन के बदले परिवेश में पहली बार भाजपा और जदयू के प्रत्याशी आमने-सामने थे. इसलिए नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी. महागठबंधन समर्थित जदयू के प्रत्याशी को भाजपा ने अकेले चित कर दिया. चुनाव परिणाम आने के बाद जदयू खेमे में खामोशी छाई हुई है. वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने नतीजे की समीक्षा करने की बात कही.

विजय कुमार चौधरी
विजय कुमार चौधरी

पटना:बिहार के कुढ़नी उपचुनावमें जेडीयू को हार (JDU Defeat in Kurhani By Election ) मिली है. नीतीश कुमार के महागठबंधन में जाने के बाद जेडीयू का यह पहला चुनाव था. JDU की तरफ से यह दावा किया जा रहा था कि सात दलों की ताकत है. इसलिए जेडीयू उम्मीदवार भारी मतों के अंतर से चुनाव जीतेगी. पार्टी कार्यालय में सुबह से हलचल बनी हुई थी. चुनाव परिणाम पर बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि कुढ़नी उपचुनाव का नतीजा अप्रत्याशित रहा है.

इसे भी पढ़ेंः RJD ने स्वीकारी कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव की हार, कहा- 'समीक्षा की जरूरत'

स्थानीय मुद्दे हावी रहेः विजय कुमार चौधरी ने कुढ़नी में मिली हार पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रारंभिक तौर पर लगता है कि सरकार की उपलब्धियों से अलग इस उपचुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी रहे. चुनाव अभियान के क्रम में हर जगह नीतीश कुमार के नेतृत्व की सराहना ही मिलती थी. साथ-साथ हर वर्ग के लोगों में महागठबंधन की स्वीकार्यता भी दिखती थी. कहीं-कहीं पंचायत स्तर के मुद्दों पर अवश्य थोड़ी नाराजगी दिखती थी, लेकिन लगता था कि लोग पूरे राज्य के हित को प्राथमिकता देंगे एवं जदयू के पक्ष में मतदान करेंगे.

इसे भी पढ़ेंः कुढ़नी उपचुनाव में JDU को मिली करारी हार, CM नीतीश कुमार की साख पर सवाल


नतीजे की समीक्षा की जाएगीः वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि महागठबंधन इस नतीजे की समीक्षा की जाएगी. मतदाताओं के इस फैसले के कारणों का भी विश्लेषण किया जाएगा. फिर पूरे चुनाव अभियान में एक बात स्पष्ट थी कि लोगों को गठबंधन अथवा नेतृत्व से नाराजगी नहीं है. इस आलोक में महागठबंधन आगे की कार्य योजना बनाएगा. चौधरी ने कहा कि जहां तक पूरे देश में हुए चुनाव के नतीजे का प्रश्न है तो भाजपा शासित प्रदेशों की संख्या में एक घट गयी है. यह भाजपा के लिए अच्छा संकेत नहीं है, क्योंकि हिमाचल प्रदेश में भी चुनाव प्रधानमंत्री के चेहरे पर ही लड़ा गया था.

ABOUT THE AUTHOR

...view details