बिहार

bihar

बिहार में पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग आयोग के अस्तित्व पर संकट, विपक्ष ने पूछा- कब प्रभावी होगा आयोग?

By

Published : Aug 16, 2021, 2:33 PM IST

बिहार में अति पिछड़ा वर्ग आयोग और अन्य पिछड़ा वर्गों (OBC) के लिए राज्य आयोग वर्तमान में सक्रिय नहीं है. पिछले 6 साल से इसका पुनर्गठन नहीं किया गया है. इस पर विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया है. पढ़िए पूरी खबर..

OBC list bihar
OBC list bihar

पटना: संसद में पिछड़ा और अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर 127वें संविधान संशोधन को मंजूरी दी जा चुकी है. संशोधन बिल पारित होने से राज्य सरकारों को ओबीसी लिस्ट (OBC List) तैयार करने का अधिकार मिल गया है और कई विवादास्पद मुद्दे भी अब सुलझाए जा सकेंगे. लेकिन अति पिछड़ों के हितों को लेकर बिहार सरकार (Bihar Government) गंभीर दिखाई नहीं देती है.

यह भी पढ़ें-संविधान संशोधन से बिहार की इन जातियों की जगी उम्मीद, OBC की लिस्ट में हो सकती हैं शामिल

10 अगस्त 2021 को पिछड़ा वर्ग से संबंधित 127 वां संविधान संशोधन बिल पारित हो गया. केंद्र की सरकार ने बिल को पेश किए जाने के बाद बताया कि संविधान संशोधन बिल से राज्य सरकारों को सूची तैयार करने का अधिकार मिल जाएगा. राज्य सरकार सूची (OBC List bihar) को लेकर अंतिम फैसला ले सकेगी.

देखें वीडियो

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद 1993 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया था. राज्य स्तर पर भी पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया था. लालू प्रसाद यादव की सरकार ने बिहार में पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया था और कुछ समय बाद नीतीश कुमार की सरकार ने अति पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया. लेकिन पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा हासिल नहीं था.

नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2019 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया और 10 अगस्त 2021 को लोकसभा में ओबीसी आरक्षण को लेकर 127 वां संविधान संशोधन बिल पारित किया गया. बिहार में 200 से अधिक जातियां हैं. बिहार में पिछड़ा अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महादलित के साथ-साथ सामान्य वर्ग शामिल हैं. राज्य में कुल 144 जातियां ओबीसी में शामिल हैं, जबकि 113 जातियां अति पिछड़ा और 31 जातियां पिछड़ा वर्ग के तहत हैं.

केंद्र की सरकार ने विपक्ष के दबाव में संशोधन बिल पारित कराया है. लेकिन पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग आयोग को लेकर बिहार सरकार उदासीन है और 6 साल से अधिक समय से आयोग निष्क्रिय है.- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

आपको बता दें कि पहले 1950 और फिर 1970 के दशक में काका कालेलकर और बीपी मंडल के अध्यक्ष की अध्यक्षता में 2 पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया था. 1992 में इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह लाभ और सुरक्षा के उद्देश्य से विभिन्न पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन करें.

पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कब होगा यह विषय राज्य सरकार का है. यह राज्य सरकार को तय करना है लेकिन 127 वां संविधान संशोधन के लिए नए केंद्र सरकार को बधाई देता हूं.-अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सन 1993 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम पारित किया गया और आयोग का गठन हुआ. लेकिन आयोग को इस दौरान संवैधानिक दर्जा हासिल नहीं हुआ.

हमारी सरकार पिछड़ों और अति पिछड़ों के हितों को लेकर संवेदनशील है. केंद्र सरकार ने क्रांतिकारी कदम उठाया है. जहां तक आयोग के गठन का सवाल है तो वह जल्द ही हो जाएगा.- रेणु देवी, उपमुख्यमंत्री, बिहार

बिहार में पिछले 6 साल से पिछड़ा अति पिछड़ा वर्ग आयोग निष्क्रिय हालत में है. पिछड़ा वर्ग आयोग बनाए जाने के पीछे मकसद यह है कि अगर पिछड़ा वर्ग के लिए 27% आरक्षण में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी की जाती है तो राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग उस पर कार्रवाई कर सकता है.

राजनीतिक दल पिछड़ों और अति पिछड़ों को लेकर वोट बैंक की राजनीति तो करते हैं लेकिन उनके हितों को लेकर गंभीर नहीं हैं. लंबे समय से पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन नहीं होना इस बात की तस्दीक करता है. आयोग के अस्तित्व में नहीं होने के चलते पिछड़ों और अति पिछड़ों के हक की लड़ाई कमजोर पड़ रही है.- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

बिहार में गिरी, जागा, मल्लिक और सूर्यापुरी जातियां ऐसे हैं, जिन्हें नए प्रावधान के तहत उम्मीद जगी है. गिरी और जागा जाति पिछड़ा वर्ग की कैटेगरी में शामिल हैं, जबकि मल्लिक और सूर्यापुरी जाति को इस कैटेगरी में नहीं रखा गया है. मल्लिक जाति को पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया था, लेकिन बाद में इन्हें सूची से बाहर कर दिया गया था. अदालत ने यह फैसला किया था कि ओबीसी आयोग पिछड़ी जातियों का फैसला करेगी. इससे राज्य सरकार की परेशानी बढ़ गई थी. लंबी प्रक्रिया के कारण समय लग रहा था. लेकिन अब उम्मीद यह की जा रही है कि बिहार में पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग आयोग का भी जल्द ही पुनर्गठन किया जा सकता है.

बता दें कि बिहार में अति पिछड़ा वर्ग आयोग और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए राज्य आयोग वर्तमान में सक्रिय नहीं है. इसका पुनर्गठन नहीं किया गया है. अति पिछड़ा वर्ग आयोग अति पिछड़ी जातियों से जुड़े मामलों पर कार्रवाई करती है, जबकि अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए राज्य आयोग के तहत पिछड़ी जातियों से जुड़े मामलों पर कार्रवाई की जाती है.

यह भी पढ़ें-BJP के दावे से CM ही असंतुष्ट, पूरी नहीं हुई OBC के हक की लड़ाई: कांग्रेस

यह भी पढ़ें-आरक्षण को तर्कसम्मत बनाने के लिए जातिगत जनगणना करवाए सरकार: दीपंकर भट्टाचार्य

ABOUT THE AUTHOR

...view details