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बिहार विधानसभा चुनाव में रोजगार के मुद्दे पर विपक्ष उठाएगा सवाल, सरकार पर होगा दबाव

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Published : Sep 10, 2020, 5:57 PM IST

राज्य के विभिन्न विभागों में करीब साढे़ चार लाख रिक्तियां वर्षों से लंबित हैं. शिक्षा विभाग में करीब 12 लाख 5000 शिक्षकों के पद अब तक नहीं भरे जा सके हैं. बिहार कर्मचारी चयन आयोग हो या फिर बिहार लोक सेवा आयोग, कोई भी भर्ती प्रक्रिया 5-6 साल से कम में पूरी नहीं होती.

bihar assembly elections
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पटना: बिहार में बेरोजगारी की दर 46 फीसदी तक पहुंच चुकी है. सरकारी नौकरियों की आस में सालों बीत रहे हैं. सरकार रोजगार की बजाए सड़क, बिजली जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाने की कोशिश में है. वहीं विपक्ष 2020 के चुनाव में सरकार के सामने बेरोजगारी का मुद्दा लेकर मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है.

बिहार विधानसभा चुनाव में बेराजगारी मुद्दा
बिहार में रोजगार इस बार बिहार विधानसभा चुनाव के महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक होगा. इसके संकेत पहले ही मिल गए थे, जब साल की शुरुआत में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बेरोजगारी हटाओ यात्रा की शुरुआत की थी. हालांकि उनकी यात्रा लॉकडाउन की वजह से रंग नहीं ला सकी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकार को घेरने की कोशिश
एक बार फिर पिछले कुछ महीनों से तेजस्वी इसी मुद्दे पर लगातार सरकार को घेरने की कोशिश में लगे हैं. आरजेडी के नेता रोजगार के मुद्दे पर ही चुनाव में उतरने की बात कह रहे हैं. तेजस्वी यादव ने हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधा हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि बिहार के नौजवान ग्रेजुएट, पोस्ट-ग्रेजुएट और पीएचडी कर के बिना नौकरी के घूम रहे हैं.

तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष

नेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर कसा तंज
नेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि बिहार में अगर एक चपरासी की नौकरी के लिए वैकेंसी आती है, तो उसमें डॉक्टर, इंजीनियर और पीएचडी की डिग्री वाले लोग अप्लाई करते हैं. इससे ज्यादा शर्म की बात कोई नहीं हो सकती.

साढे़ चार लाख रिक्तियां वर्षों से लंबित
राज्य के विभिन्न विभागों में करीब साढे़ चार लाख रिक्तियां वर्षों से लंबित हैं. शिक्षा विभाग में करीब 12 लाख 5000 शिक्षकों के पद अब तक नहीं भरे जा सके हैं. बिहार कर्मचारी चयन आयोग हो या फिर बिहार लोक सेवा आयोग, कोई भी भर्ती प्रक्रिया 5-6 साल से कम में पूरी नहीं होती.

आरजेडी का नया पोस्टर

संविदा पर रखे जा रहे है लोग
इन सबके अलावा हर परीक्षा में भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं. मामला कोर्ट तक जाता है, और वर्षों तक लंबित पड़ा रहता है. बिहार में कॉलेज शिक्षकों के करीब 5 हजार पद रिक्त पड़े हैं. वही डॉक्टर और नर्सों के भी कई हजार पद खाली हैं. विपक्ष ये आरोप भी लगा रहा है, कि बिहार में सरकारी नौकरियां खत्म कर सिर्फ संविदा पर लोग रखे जा रहे हैं.

राजीव रंजन, जेडीयू प्रवक्ता

एनडीए का पलटवार
हालांकि तेजस्वी के आरोपों पर एनडीए नेता कहते हैं कि आरजेडी को खुद ही ये जवाब देना चाहिए. उनके कार्यकाल में महज 93 हजार लोगों को रोजगार मिल सका. एनडीए सरकार ने पिछले 15 सालों में 7 लाख से ज्यादा लोगों को नौकरियां दी है. राजीव रंजन ने कहा कि स्किल मैपिंग और अन्य तरीकों से भी बड़ी संख्या में लोगों को बिहार में रोजगार मिला है.

बीजेपी ने तेजस्वी से पूछे सवाल
बीजेपी नेता निखिल आनंद कहते हैं कि तेजस्वी किस आधार पर नौकरी देने की बात करते हैं. तेजस्वी और तेजप्रताप तो अपने लिए ही नौकरी ढूंढ रहे हैं. अपहरण और हत्या का उद्योग चलाने वाले आरजेडी नेता ये बताएं कि सारे अपराधी और शराब का धंधा करने वाले लोग किस पार्टी से जुड़े हैं.

निखिल आनंद, बीजेपी नेता

आंकड़ों के जरिए सरकार को घेरने की तैयारी
बहरहाल एनडीए कितने दावे करें लेकिन आंकड़ों में कड़वी सच्चाई नजर आती है. पिछले कई सालों से राज्य में सरकारी नौकरियां युवाओं की पहुंच से दूर हो चुकी हैं. चाहे शिक्षा, स्वास्थ्य या सामान्य प्रशासन हो, हर जगह संविदा पर लोग रखे जा रहे हैं. हर जगह कर्मचारियों की जबरदस्त कमी है. सूत्रों के मुताबिक विपक्ष के पास इस बेरोजगारी का पूरा आंकड़ा है. यही वजह है कि विपक्ष इस बार इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है.

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