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Lalu Return's: अपने रंगत में आकर लालू ने बदल दी है फिजा, दिल्ली से पटना तक सियासी हलचल

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Published : Aug 4, 2021, 9:06 PM IST

लालू आए खेला लाए

बिहार की सियासी पिच पर लालू जिस तरह बैटिंग कर रहे हैं, उससे कई वरिष्ठों के कान खड़े हो गए हैं. लालू यादव पटना आने से पहले मुलाकातों का दौर जारी रख एक अलग ही संदेश दे रहे हैं. लोग इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश में हैं कि क्या बिहार में सियासी फिजा बदलेगी?

पटना:बिहार विधानमंडल (Bihar legislative Assembly) के मानसून सत्र (Monsoon Session) खत्म होने के बाद एकाएक जिस तरह से लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) एक्टिव हुए हैं, उसने बिहार की सियासत (Bihar Politics) को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. लालू कुछ दिनों में ही शरद पवार, शरद यादव और मुलायम सिंह यादव से मिल चुके हैं. इस दौरान राजद (RJD) नेताओं के 15 अगस्त को तेजस्वी के झंडा फहराने का दावा हो या जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर तेजस्वी और नीतीश की मुलाकात, इसने कहीं ना कहीं सियासी विशेषज्ञों के भी कान खड़े कर दिए हैं.

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बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से ही विपक्ष ने सरकार पर हमले का मौका नहीं छोड़ा है. जब से लालू यादव जेल से बाहर आए हैं और उसके बाद जब से उनके पटना आने को लेकर चर्चा शुरू हुई है. तब से ही बिहार की सियासत एक अलग ओर जाती हुई दिख रही है. इस दौरान गाहे-बगाहे राजद नेताओं का दावा भी सियासी सरगर्मी बढ़ा रहा है.

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पिछले कुछ दिनों की बात करें तो राजद सुप्रीमो लालू यादव ने शरद यादव, शरद पवार और मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की है. इस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं. क्योंकि अगले साल यूपी में चुनाव होने हैं. इधर लालू यादव बहुत जल्द पटना भी लौटने वाले हैं. एक तरफ तीसरे मोर्चे के गठन की चर्चा दूसरी तरफ बिहार में सियासी फिजां को लेकर भी राजद नेता संकेत दे रहे हैं.

'बहुत जल्द बिहार की सियासत में भूचाल आने वाला है. लालू यादव को एक्टिव देखकर जिस तरह से एनडीए नेता परेशान हैं, उसी से सब कुछ क्लियर हो रहा है कि बहुत जल्द कुछ न कुछ होने वाला है. मैंने पिछले दिनों ही कहा था कि 15 अगस्त को तेजस्वी यादव झंडा फहराएंगे. मैं अब भी उन बातों पर कायम हूं.'-भाई वीरेंद्र, मुख्य प्रवक्ता, आरजेडी

पिछले कुछ दिनों के दौरान बिहार की सियासत की प्रमुख बातों पर गौर करें तो विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले थे. विपक्ष के नेताओं ने मुख्यमंत्री के साथ मिलकर प्रधानमंत्री से जातीय जनगणना कराने की मांग की है. इसके लिए नीतीश कुमार ने विपक्ष के साथ प्रधानमंत्री से मिलने का समय ही मांगा है.

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यहां यह बात गौर करने वाली है कि भाजपा जातीय जनगणना कराने के पक्ष में नहीं है. इधर भाजपा और जदयू के बीच के रिश्तों को लेकर भी समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं और राजद नेताओं का बयान कहीं ना कहीं लालू के वापस लौटने के बाद बिहार में बड़े बदलाव के संकेत दे रहा है. हालांकि एनडीए नेता राजद नेताओं के इन बयानों को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे हैं.

'जब से विधानसभा चुनाव में राजद की सरकार नहीं बन पाई है, तब से ही लालू यादव अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए बेचैन हैं. इसके लिए वे तोड़फोड़ में भी लगे हैं. लेकिन उन का कोई खेल अब सफल नहीं होने वाला है.'-नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जदयू

'जनता लालू यादव और उनके साथ रहने वालों को खूब अच्छी तरह पहचानती है. लोग जब विकास की दवा खा चुके हैं, तो वह एक्सपायरी दवा क्यों खाएंगे.'-अरविंद कुमार सिंह, भाजपा नेता

एक तरफ राजद नेताओं के दावे दूसरी तरफ लालू यादव के पटना आने की तैयारी, कहीं ना कहीं बिहार की सियासत की बेचैनी बढ़ाने वाली है. यही वजह है कि एनडीए नेता चाहे जो दावे करें लेकिन लालू की वापसी की खबर से बिहार की सियासी फिजां में आशंका के बादल मंडरने लगे हैं.

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