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Muzaffarpur Eye Hospital Case: HC ने अधिकारियों द्वारा हलफनामा दायर नहीं करने पर जतायी कड़ी नाराजगी

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Published : Aug 3, 2022, 10:42 PM IST

मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के दौरान आंखें गवाने के मामले में बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई (Muzaffarpur Eye Hospital Case) हुई. कोर्ट ने हलफनामा दायर नहीं करने पर अपनी नाराजगी जतायी. पढ़ें पूरी खबर..

Patna High Court
Patna High Court

पटना :पटना हाई कोर्ट ने मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में कई व्यक्तियों के आंख की रौशनी खो जाने के मामले पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय करोल की (Chief Justice Sanjay Karol) खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य के निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य सेवा और सिविल सर्जन, मुजफ्फरपुर द्वारा हलफनामा नहीं दायर करने पर सख्त रुख अपनाया. कोर्ट ने इन अधिकारियों द्वारा हलफनामा दायर नहीं करने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्हें हलफनामा दायर करने के लिए तीन सप्ताह की मोहलत दी.

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पिछली सुनवाई में मुजफ्फरपुर के एस एस पी को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट ने निर्देश दिया था. मुकेश कुमार ने ये जनहित याचिका दायर की है. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट (Patna High Court) के समक्ष याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वी के सिंह ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले में दर्ज प्राथमिकी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है. कोर्ट ने इससे पहले की सुनवाई करते हुए कहा था कि इस मामले में गठित डॉक्टरों की कमिटी को चार सप्ताह मे अपना रिपोर्ट प्रस्तुत करे.

पहले की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए पीएमसीएच या एम्स, पटना के डॉक्टरों की कमिटी गठित करें. इनमें आंख रोग विशेषज्ञ भी शामिल हों. इसमें कोर्ट को बताया गया था कि आंखों की रोशनी गंवाने वाले पीड़ितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक एक लाख रुपए दिए गए हैं. साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफ आई आर दर्ज कराया गया था, लेकिन अब तक दर्ज प्राथमिकी पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई.

इस याचिका में हाई लेवल कमेटी से जांच करवाने को लेकर आदेश देने अनुरोध किया गया है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने आरोप लगाया गया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन व राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपनी आंखें की रोशनी खोनी पड़ी. याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी आंखें गंवानी पड़ी. याचिका में पीड़ितों को सरकारी अस्पताल में उचित इलाज करवाने को लेकर आदेश देने का भी अनुरोध किया गया था. इस मामले पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह के फिर सुनवाई की जाएगी.

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